For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मान है,सम्मान है.

पर ईमान नही.

धन है दौलत है,

पर नियत नही.

चाह आसमान में उड़ने की,

पर मेहनत नही.

मंजिले है राहे है,

पर मुसाफ़िर नही.

मंदिर है भगवान है,

पर भक्त नही.

माँ है बाप है ,

पर सेवा नही.

भाई है बहन है,

पर प्यार नही.

नेता है भ्रष्टाचार है,

पर विकास नही.

संत है सत्संग है,

पर सत्संगति नही.

जन्म है मृत्यु है,

पर भय नही.

Views: 770

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Aarti Sharma on March 16, 2013 at 11:50pm

आदरणीय विजय  भाई सादर प्रणाम..रचना को सराहने के लिए आपका हार्दिक धन्यवाद ..

Comment by Aarti Sharma on March 16, 2013 at 11:48pm

आपका हार्दिक धन्यवाद डॉ. स्वर्ण जी 

Comment by Dr. Swaran J. Omcawr on March 15, 2013 at 1:09pm

कलियुग पर बहुत बढ़िया भावपूरण  आलेख 


sharing  के लिए आभार 

 

Comment by vijay nikore on March 9, 2013 at 1:28pm

आदरणीया आरती जी:

 

न जाने कैसे यह रचना पढ़ने से रह गई थी।

 

आरती जी, इस कविता में शब्दों की सरलता इसे

और भी सुन्दर बना रही है।

 

आपको बधाई।

 

सादर,

विजय निकोर

 

 

Comment by Aarti Sharma on February 2, 2013 at 11:41pm

आपका बहुत बहुत धन्यवाद मैम ...


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on February 2, 2013 at 11:34pm

संत है सत्संग है,

पर सत्संगति नही.

जन्म है मृत्यु है,

पर भय नही.---बिलकुल सही कहा बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति बधाई आरती जी 

Comment by Aarti Sharma on February 2, 2013 at 11:24pm

आपको मेरी रचना पसंद आई .....धन्यवाद  सर ..

Comment by नादिर ख़ान on February 2, 2013 at 10:52pm

सुंदर भाव लिए उम्दा रचना ...

बहुत खूब ... आरती जी 

Comment by Aarti Sharma on February 1, 2013 at 9:04am

बहुत बहुत धन्यवाद सर..

Comment by Ashok Kumar Raktale on February 1, 2013 at 9:02am

 सादर,कलियुग को परिभाषित करती सुन्दर रचना के साथ आपका स्वागत है आदरणीया आरती शर्मा जी. 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"बहुत सुंदर अभिव्यक्ति हुई है आ. मिथिलेश भाई जी कल्पनाओं की तसल्लियों को नकारते हुए यथार्थ को…"
Friday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय मिथिलेश भाई, निवेदन का प्रस्तुत स्वर यथार्थ की चौखट पर नत है। परन्तु, अपनी अस्मिता को नकारता…"
Thursday
Sushil Sarna posted blog posts
Wednesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार ।विलम्ब के लिए क्षमा सर ।"
Wednesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया .... गौरैया
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी । सहमत एवं संशोधित ।…"
Wednesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .प्रेम
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन पर आपकी मनोहारी प्रशंसा का दिल से आभार आदरणीय"
Jun 3
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .मजदूर

दोहा पंचक. . . . मजदूरवक्त  बिता कर देखिए, मजदूरों के साथ । गीला रहता स्वेद से , हरदम उनका माथ…See More
Jun 3

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सुशील सरना जी मेरे प्रयास के अनुमोदन हेतु हार्दिक धन्यवाद आपका। सादर।"
Jun 3
Sushil Sarna commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"बेहतरीन 👌 प्रस्तुति सर हार्दिक बधाई "
Jun 2
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .मजदूर
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन पर आपकी समीक्षात्मक मधुर प्रतिक्रिया का दिल से आभार । सहमत एवं…"
Jun 2
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .मजदूर
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा का दिल से आभारी है सर"
Jun 2
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . .
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन आपकी स्नेहिल प्रशंसा का दिल से आभारी है सर"
Jun 2

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service