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पुराना जब भी जाता है नया इक साल आता है,

नया जब साल आता है उम्मीदे साथ लाता है/

 

कोई इक बार आकर के व्यथा उनसे भी तो पूछो,

जिन्हें आते हुए नव साल का इक पल न भाता है/

 

कभी तुम झाँक लो देखो जरा उस मन की तो बूझो,

बुझी उम्मीद है जिसकी  अँधेरा  अब  सताता है/

 

शमाएँ तुम जलालो चढ के जा जाकर मीनारो पे,

नही कर पाओगे रोशन यही अब दिल में आता है/

 

सबक इस हादसे हालात से पाकर के तुम समझो,

खुशी कैसी लगे जब कोई  इक मातम मनाता है/

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Comment by कल्पना रामानी on April 24, 2013 at 9:57am

बहुत सुंदर गजल....

Comment by Ashok Kumar Raktale on January 3, 2013 at 10:04pm

आदरणीय विजय निकोर जी आदरणीय राजेश कुमार झा जी, आदरेया डॉ. प्राची जी सादर आप सभी से भावों पर सराहना पाकर मन को संतोष हुआ. आप सभी का हार्दिक आभार.

Comment by Ashok Kumar Raktale on January 3, 2013 at 10:03pm

आदरणीय सौरभ जी सादर प्रणाम,रचना भाव पर आपसे आशीष पाकर प्रसन्नता हुई. हार्दिक आभार.


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on January 2, 2013 at 5:22pm

सबक इस हादसे हालात से पाकर के तुम समझो,

खुशी कैसी लगे जब कोई  इक मातम मनाता है/..............वेदना की मुखरित अभिव्यक्ति 

Comment by राजेश 'मृदु' on January 2, 2013 at 4:22pm

आपकी रचना बहुत ही अच्‍छी होती है, इस रचना ने भी वही किया है, 'मन बंजारा सबकुछ हारा, रामनाम बस एक सहारा' ऐसी विषम स्थिति पर यही पंक्तियां मन में कौंध गई, सादर

Comment by vijay nikore on January 2, 2013 at 4:16pm

वेदना की सुन्दर अभिव्यक्ति।

विजय निकोर


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on January 2, 2013 at 3:45pm

वेदना को सुन्दर स्वर मिला है. सही है, जिस पल मन दुखी हो कुछ सुहाता नहीं है. 

शुभ-शुभ

Comment by Ashok Kumar Raktale on January 1, 2013 at 9:42pm

हार्दिक आभार आद. महिमा श्री जी सादर,आपको भी सपरिवार नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं.

Comment by MAHIMA SHREE on January 1, 2013 at 11:44am

शमाएँ तुम जलालो चढ के जा जाकर मीनारो पे,

नही कर पाओगे रोशन यही अब दिल में आता है/

 

सबक इस हादसे हालात से पाकर के तुम समझो,

खुशी कैसी लगे जब कोई  इक मातम मनाता

आदरणीय अशोक सर  ..

आपसे पूर्णतः सहमत अगर इतना कुछ होने के बाद  मानसिक तौर पर परिवर्तन नहीं आये तो फिर बड़ी ही निराशाजनक बात होगी पर  ..कोशिश तो  जारी रखनी होगी .. आशा है  नववर्ष में समाज में सकरात्मक बदलाव आये ..सोच बदलें .

नववर्ष की आपको सपरिवार बधाइयाँ और शुभकामनाएं

Comment by Ashok Kumar Raktale on December 31, 2012 at 8:31pm

आदरणीय श्याम जी आद. नादिर खान साहब, आद. डॉ. अजय खरे जी सादर, आप सभी का हार्दिक अभिनन्दन.इतने बड़े आंदोलन के बाद भी नारी शोषण में कमी ना आना अवश्य ही चिंता का विषय है जब तक कोई अच्छा हल नहीं निकल आता नए वर्ष  ही क्या कोई भी जश्न फीका ही हो जाता है.आप सभी का पुनः आभार.

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