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एक भिक्षुक की याचना .....

मुझे जानो समझो
पर इतना न झकझोरो
कि मैं नग्न हो जाऊं
अपमानित फिरू !

यह जो पाने, न पाने के दायरे है
तुम्ही कहो, इन्हें मैं कैसे तोडू ?
अगर मुझे पूर्ण न कर सको
तो न समझने का भान करो !
पर इतना भी न झकझोरो
कि मैं नग्न हो जाऊं
अपमानित फिरू !
अन्वेषा....
हम सब के ह्रदय में कही न कही एक भिक्षुक छुपा हुआ है !

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Comment

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Comment by Anwesha Anjushree on January 10, 2013 at 7:01pm

Dhanyawad Pradeep ji..abhar

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on December 20, 2012 at 4:00pm

आदरणीया अन्वेषा जी, 

सादर 

सही तो कहा है आपने .

बधाई. 

Comment by Anwesha Anjushree on December 19, 2012 at 2:39pm

Rajesh Kumari ji aur Vijay Nikore ji..shukriya

Comment by vijay nikore on December 17, 2012 at 7:15pm

हम सब के ह्रदय में कही न कही एक भिक्षुक छुपा हुआ है !

यह सच है।  सुन्दर भावों से पिरोया है कविता को। बधाई।

विजय निकोर


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on December 17, 2012 at 6:00pm

बहुत बढ़िया प्रस्तुति 

Comment by Anwesha Anjushree on December 17, 2012 at 5:27pm

Suman ji, Shailendra ji, Vinus ji aur Arun ji...abhaar..waise to lekhak ke liye har kabita bahut pyara hota hai, par yeh mere dil ke bahut karib hai...abhar ak baar phir

Comment by अरुन 'अनन्त' on December 17, 2012 at 12:17pm

यथार्थ को सत्यता प्रदान करती बेहतरीन अभिव्यक्ति बधाई स्वीकारें

Comment by वीनस केसरी on December 17, 2012 at 2:34am

गहरी और सच्ची अभिव्यक्ति

हार्दिक बधाई

Comment by CA (Dr.)SHAILENDRA SINGH 'MRIDU' on December 16, 2012 at 9:46pm

बहुत ही सारगर्भित रचना, हार्दिक बधाई स्वीकार करें आदरणीया Anwesha Anjushree मैम

Comment by SUMAN MISHRA on December 16, 2012 at 1:47pm

DI aapne sach kahaa ,ham sabke andar ek bhichhuk chupa hai,,,,bilkul ishwar ke saamne ham deen bhichhuk hai,,,namrta ka prateek insaan ,,,bhi bhichhuk hai,,,sabhee ke liye vineet bhaav rakhtaa hua bhichhuk hi hai....man ko chhoo gayee aapki panktiyaan

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