For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

समय से परे, अगर जो कभी हम मिले
अलग से ही कुछ नाम से
अलग से ही रंग-रुप में
क्या तुम मुझे पहचान लोगे?

शायद मेरा स्पर्श या हृदय का स्पन्दन अलग हो,
मेरी बोली, मेरी अभिव्यक्ति अलग हो,
मेरा चेहरा या मेरे भाव अलग हो,
क्या तुम मुझे पहचान लोगे?

गर पवन बन मैं छु लूं तुम्हे,
या वृष्टि बन तुम्हारे रोम-रोम को भिगाउँ ,
नीर बन अगर में तुम्हारी प्यास बुझाउँ,
क्या तुम मुझे पहचान लोगे ?

अगर के बेल बन तुमसे लिपट जाउँ,
सागर की लहरें बन तुम्हारे चरणो में आउँ ,
या चाँदनी बन तुम पर छा जाउँ ,
क्या तुम मुझे पहचान लोगे?

Views: 455

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Ashok Kumar Raktale on December 25, 2012 at 6:55pm

वक्त यदि दिशाएं बदल दे तो ऐसे ही प्रश्न उठते हैं बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति. सादर हार्दिक बधाई स्वीकारें आद. अन्वेक्षा जी.

Comment by Anwesha Anjushree on December 19, 2012 at 2:40pm

Vijay Nikore , Saurabh Pandey, Dr Prachi Singh , Dr Ajay Khare ji and Rajesh Kumar Jha ji..Thanks a lot to all of U

Comment by राजेश 'मृदु' on December 18, 2012 at 1:15pm

बहुत कम अवसर ऐसे होते हैं जब इतनी सधी रचना से साक्षात्‍कार होता है, कहीं कोई अटक नहीं, कोई शब्‍दों से चमत्‍कार उत्‍पन्‍न करने की कोशिश नहीं सीधे बात करती है आपकी यह रचना

Comment by Dr.Ajay Khare on December 18, 2012 at 12:18pm

ANVESHA JI ITNI KOMAL ANUBHUTI KE LIYE BADHAI 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on December 18, 2012 at 9:59am

प्रेम की बेहद सुन्दर अभिव्यक्ति..वाह!

हार्दिक बधाई इस रचना पर प्रिय अन्वेषा जी 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on December 17, 2012 at 11:24pm

प्रेम की पराकष्ठा ऐसे प्रश्नों से कितनी सुलभ लगती है ! बधाई.. .

सतत अभ्यासरत हों

Comment by vijay nikore on December 17, 2012 at 9:42pm

आदरणीय अन्वेषा जी,

वाह..वाह... वाह !

क्या बिम्ब हैं ! क्या भाव हैं ! क्या अभिव्यक्ति है !

आपको अनेकानेक बधाई।

विजय निकोर

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 186 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का मिसरा आज के दौर के…See More
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"  क्या खोया क्या पाया हमने बीता  वर्ष  सहेजा  हमने ! बस इक चहरा खोया हमने चहरा…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"सप्रेम वंदेमातरम, आदरणीय  !"
Sunday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
Friday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
Friday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Dec 10
anwar suhail updated their profile
Dec 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Dec 5
ajay sharma shared a profile on Facebook
Dec 4
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Dec 1
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service