For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

तरसते अम्बर धरती (कुण्डलिया छंद )

धरती अम्बर से कहे ,सुना प्रेम के गीत 

अम्बर धरती से कहे, दिवस गए वो बीत 

दिवस गए वो बीत ,मुझे कुछ दे न दिखाई 

 कोलाहल के  बीच,तुझे  देगा न सुनाई 

जन करनी के  दंड, अभागिन प्रकृति भरती   

किस विध मिलना होय ,तरसते अम्बर धरती

*******************************************

Views: 582

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on December 2, 2012 at 12:00pm

प्रिय सीमा जी आपकी टिपण्णी हमेशा नव उत्साह नव प्रोत्साहन प्रदान करती है जिसकी प्रतीक्षा करती है कोई भी रचना ,हार्दिक आभार आपका 

Comment by seema agrawal on December 2, 2012 at 11:29am

दिवस गए वो बीत ,मुझे कुछ दे न दिखाई 

 कोलाहल के  बीच,तुझे  देगा न सुनाई ...बहुत खूब ... अच्छे भावों का इस प्रकार के  शब्दों में अनुवादित हो जाना सोने में सुहागे की तरह होता है 

बहुत बहुत बधाई 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on November 26, 2012 at 9:02am

अशोक कुमार रक्ताले जी कुंडलिया की सराहना हेतु हार्दिक आभार 

Comment by Ashok Kumar Raktale on November 25, 2012 at 10:20pm

जन करनी के  दंड, अभागिन प्रकृति भरती   

किस विध मिलना होय ,तरसते अम्बर धरती

वाह! बहुत सुन्दर कुंडलिया के लिए सादर  हार्दिक बधाई स्वीकार करें आदरेया राजेश जी.

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on November 25, 2012 at 10:26am

सधन्यवाद स्वागत है 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on November 25, 2012 at 10:04am

मेरी कुंडलिया की इतनी सुन्दर समीक्षा हेतु बहुत बहुत हार्दिक आभार आदरणीय लक्ष्मण जी 

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on November 24, 2012 at 10:37pm

जन करनी के  दंड, अभागिन प्रकृति भरती   

किस विध मिलना होय ,तरसते अम्बर धरती

बहुत ही सही कहाँ अपने आदरेया राजेश कुमारी जी,वायु प्रदुषण, ध्वनि प्रदुषण, जल प्रदुषण 

सब मानव की करनी के परिणाम स्वरुप प्रक्रति में संतुलन बिगड़ रहा है, सुन्दर कुण्डलियाँ छंद 

के माध्यम से बात कहने के लिए हार्दिक बधाई स्वीकारे 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on November 24, 2012 at 9:48pm

आदरणीय गणेश जी आपको कुंडलिया पसंद आई आपका बहुत बहुत हार्दिक आभार 


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on November 24, 2012 at 9:09pm

//दिवस गए वो बीत, मुझे न दे कुछ दिखाई 

कोलाहल के  बीच,तुझे  देगा न सुनाई//

सुन्दर कुण्डलिया छंद , आदरणीया राजेश कुमारी जी, इस संदेशात्मक रचना हेतु कोटिश: बधाई स्वीकार करें |


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on November 24, 2012 at 11:59am

प्रिय प्राची जी आपकी सुखद प्रतिक्रिया पाकर मन खुश हुआ बहुत बहुत हार्दिक आभार आपका 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"बहुत सुंदर अभिव्यक्ति हुई है आ. मिथिलेश भाई जी कल्पनाओं की तसल्लियों को नकारते हुए यथार्थ को…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय मिथिलेश भाई, निवेदन का प्रस्तुत स्वर यथार्थ की चौखट पर नत है। परन्तु, अपनी अस्मिता को नकारता…"
Thursday
Sushil Sarna posted blog posts
Wednesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार ।विलम्ब के लिए क्षमा सर ।"
Wednesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया .... गौरैया
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी । सहमत एवं संशोधित ।…"
Wednesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .प्रेम
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन पर आपकी मनोहारी प्रशंसा का दिल से आभार आदरणीय"
Monday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .मजदूर

दोहा पंचक. . . . मजदूरवक्त  बिता कर देखिए, मजदूरों के साथ । गीला रहता स्वेद से , हरदम उनका माथ…See More
Jun 3

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सुशील सरना जी मेरे प्रयास के अनुमोदन हेतु हार्दिक धन्यवाद आपका। सादर।"
Jun 3
Sushil Sarna commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"बेहतरीन 👌 प्रस्तुति सर हार्दिक बधाई "
Jun 2
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .मजदूर
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन पर आपकी समीक्षात्मक मधुर प्रतिक्रिया का दिल से आभार । सहमत एवं…"
Jun 2
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .मजदूर
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा का दिल से आभारी है सर"
Jun 2
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . .
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन आपकी स्नेहिल प्रशंसा का दिल से आभारी है सर"
Jun 2

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service