For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ह्रदय से काला नेता (कुंडलिया )

नेता खुद करते फिरें, इधर उधर की ऐश

दीवाली पर ना मिले, तेल, कोयला,  गैस

तेल, कोयला,  गैस, चूल्हा जलेगा कैसे 

रंक भाड़ में जाय, भरलो  बैंक में पैसे 

वोट दियो पछताय, मनुज अब जाकर चेता 

उजले हैं परिधान, ह्रदय से काले नेता

*********************************

Views: 617

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on November 12, 2012 at 3:43pm

हार्दिक आभार फूल सिंह जी आपको भी दिवाली की शुभकामनाएं 

Comment by PHOOL SINGH on November 12, 2012 at 1:14pm

राजेश जी प्रणाम.......

सुंदर अतिसुंदर भावपूर्ण रचना......"सपरिवार सहित आपको शुभ दीपावली"

फूल सिंह

Comment by कुमार गौरव अजीतेन्दु on November 12, 2012 at 9:15am

बहुत सुन्दर व्यंगात्मक कुण्डलिया के लिए हार्दिक बधाई स्वीकारें आदरणीया राजेश जी


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on November 9, 2012 at 3:35pm

हार्दिक आभार प्रदीप कुमार जी आपको आपके परिवार को भी दिवाली की शुभकामनाएं 

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on November 9, 2012 at 1:52pm

आदरणीया राजेश कुमारी जी, सादर अभिवादन 

शानदार रचना. 

दीपावली की सपरिवार शुभकामनाएं. 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on November 8, 2012 at 9:10pm

सादर आभार सौरभ जी 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on November 8, 2012 at 9:05pm

सादर आभार, आदरणीया, कि आपने मेरे कहे का मान रखा.

देखिये, ऐडमिन अपना काम कर गये ..  :-)))


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on November 8, 2012 at 8:46pm

प्रिय प्राची जी आपको कुंडलियाँ पसंद आई मेरी लेखनी को उर्जा मिली ह्रदय से शुक्रिया 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on November 8, 2012 at 8:31pm

हार्दिक आभार सौरभ पाण्डेय जी आपकी पारखी नजर के क्या कहने आप बिलकुल सही कह रहे हैं यहाँ काले ही होना चाहिए क्या यह शब्द आप एडिट कर सकते हैं? या मैं फिर से पोस्ट करूँ 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on November 8, 2012 at 8:23pm

सुन्दर सटीक सामयिक कुण्डलिया के लिए बधाई आदरणीया राजेश कुमारी जी 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to योगराज प्रभाकर's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-110 (विषयमुक्त)
"अहसास (लघुकथा): कन्नू अपनी छोटी बहन कनिका के साथ बालकनी में रखे एक गमले में चल रही गतिविधियों को…"
15 hours ago
pratibha pande replied to मिथिलेश वामनकर's discussion ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024
"सफल आयोजन की हार्दिक बधाई ओबीओ भोपाल की टीम को। "
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"आदरणीय श्याम जी, हार्दिक धन्यवाद आपका। सादर।"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"आदरणीय सुशील सरना जी, हार्दिक आभार आपका। सादर"
yesterday

प्रधान संपादक
योगराज प्रभाकर posted a discussion

"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-110 (विषयमुक्त)

आदरणीय साथियो,सादर नमन।."ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-110 में आप सभी का हार्दिक स्वागत है। इस बार…See More
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

कुंडलिया छंद

आग लगी आकाश में,  उबल रहा संसार।त्राहि-त्राहि चहुँ ओर है, बरस रहे अंगार।।बरस रहे अंगार, धरा ये तपती…See More
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर posted a blog post

कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर

कहूं तो केवल कहूं मैं इतना कि कुछ तो परदा नशीन रखना।कदम अना के हजार कुचले,न आस रखते हैं आसमां…See More
Wednesday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to मिथिलेश वामनकर's discussion ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीय।"
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to मिथिलेश वामनकर's discussion ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024
"ओबीओ द्वारा इस सफल आयोजन की हार्दिक बधाई।"
Wednesday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to मिथिलेश वामनकर's discussion ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024
"धन्यवाद"
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to मिथिलेश वामनकर's discussion ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024
"ऑनलाइन संगोष्ठी एक बढ़िया विचार आदरणीया। "
Tuesday
KALPANA BHATT ('रौनक़') replied to मिथिलेश वामनकर's discussion ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024
"इस सफ़ल आयोजन हेतु बहुत बहुत बधाई। ओबीओ ज़िंदाबाद!"
Tuesday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service