= जीवन सन्दर्भ =
खेत की मुंडेर पर चहकते पक्षियों की ढेर सारी बातें,
गेहूँ की बालियों के आँचल की मदमाती भीनी-भीनी सुगंध,
सर्दी की धूप का मेरी पीठ पर रखा दोस्ताना हाथ,
एक लय होकर काम करते हुए अनेक जीवन,
बैलों के गले की घण्टियों का राग,
यहाँ वहाँ उछलकूद करते बछड़े,
रंभाती गायें,
इन परिदृश्यों का स्वार्गिक आनंद मजबूर करता है मुझे -
कि जीवन सन्दर्भों को नए सिरे से पुनर्परिभाषित करूँ..... [16/11/1994]
Comment
आदरणीय नमन जी, आपका शब्द-चित्र सहज शब्दों के कारण हृदय के अधिक निकट बसा है.
बधाई
सम्मान्य डॉ नमन दत्त जी,
मानव जीवन, विशेषकर ग्राम्य परिवेश की समूची आनंदचर्या को आपने जिस ख़ूबसूरती के साथ शब्दबद्ध किया है उसने आपके काव्य को अनुपम बना दिया है .....वाह वाह
बहुत बहुत अभिनन्दन आपका इस शानदार कविता के लिए..........
डॉ. नमन दत्त जी, नमन ,जीवन सन्दर्भ पुनर्परिभाषित करने की आवश्यकता को ......
bahut khoob dr. saaheb
आदरणीय श्री डॉ. साब नमस्कार ! सुन्दर शब्द ! जीवन सन्दर्भ को पुनर परिभाषित करने की आवश्यकता हर जगह , हर द्रश्य में जान पड़ती है ! बढ़िया रचना
जरूर, आदरणीय डाक्टर साहब जी, सादर
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