तू कभी मुश्किलों से डरना मत
या मेरी राह से गुजरना मत
दर्द जीवन में मिले तो उसको
समेट लेना मगर बिखरना मत
सुलाया खंजरों के बिस्तर पर
और कहते है आह भरना मत
मैंने ये तो नही कहा तुमसे
न रहूँ मैं तो तुम संवारना मत
मै बहकने लगूं कभी भी अगर
तुमको मेरी कसम संभलना मत
आतिश-ए-इश्क से भरा हूँ मैं
मोम है तू मगर पिघलना मत
............................................ अरुन श्री !
Comment
सुलाया खंजरों के बिस्तर पर औरकहते हैं आह भरना मत ,बहुत खूब अरुण श्री जी
ek sundar si ghazal padhne ko mili.
badhai aapko.
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