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प्रिय मित्रों,

                 मैंने हिन्दी के बहुत ब्लॉग देखें हैं,परन्तु यही बात मुझे हर जगह खलती है कि लेखक एवम पाठक ,ब्लोगों अथवा साईटस् पर सक्रिय और नियमित नहीं होते !कुछ अपवादों  को छोड़कर, जिनमे लेखक ही अधिकांश हैं, वही नियमित हैं, बाकि मेहमान की भांति कभी कभी ही प्रकट होते हैं !उदाहरस्वरुप इस साईट पर ११०० से अधिक सदस्य हैं परन्तु अगर सक्रियता और नियमितता देखी जाए तो ४० के करीब  ही सक्रिय होंगे जो ब्लॉग को रोज पढते अथवा लिखतें हैं ! फिलहाल हिन्दी ब्लॉगजगत में सब जगह यही हाल है कि लोग अथवा सदस्य सक्रिय नहीं होते, इसलिए यदि कोई अच्छा लिखे भी तो उसकी उम्मीद टूटती है कि पढ़ने वाला कोई इक्का- दुक्का ही मिलेगा ! इसलिए इस साईट के सदस्य के नाते मेरा सभी सदस्यों से विनम्र निवेदन है कि आप सब पढ़ने लिखने के लिए सक्रिय हो जाएँ और यदि अधिक नहीं तो दिन-रात में इस कार्य के लिए कम से कम एक घंटा नियमित रुप से समय निकालें ! यदि ऐसा होता है तो लेखक और पाठक दोनों को बड़ी संतुष्टि मिलेगी और ज्ञानार्जन  भी होगा यानि विचारविमर्श के माध्यम से हर व्यक्ति कुछ न कुछ जरुर सीखेगा ! धन्यवाद !

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:) आप सही कह रहे हैं चर्चा भटक गई है। वैसे आप सभी मेरे जैसे निष्क्रिय सदस्य को कुछ हद तक सक्रीय करने में कामयाब रहे हैं धन्यवाद। कोशिश करूँगी पक्का वादा नही...:) आज तो बारह बज गये...शुभरात्री।

 

सुनीताशानूजी, 

इस चर्चा की क्या यह कम बड़ी उपलब्धि है कि आपकी सक्रियता के प्रति हम आश्वस्त हो रहे हैं ?!!!!!  

बहुत-बहुत धन्यवाद..

 

:-))

हा हाहा हा...बहुत खूब ! इस चर्चा ने सबको सक्रिय कर दिया. सही कहा आपने सौरभ जी.

हम बिचारे लोगों के प्रति आपकी सहानुभूति के लिये आभार.

 

(हम अभी-अभी यहाँ टपके हैं...इसलिये आप हमें भी सक्रिय कह सकते हैं :) )

शन्नोजी, पहले तो नमस्कार.

सही कहिये कई हफ़्तों बाद हम आपसे मुखातिब हो रहे हैं. आप कैसी हैं?

 

आपकी इस पुनर्सक्रियता (????!!!!!!!) को हार्दिक नमन !!!  :-))))))))))))) ..

आदरणीया शन्नो  जी कृपया हमारी ओर से  भी नमस्कार स्वीकार कर लें !  :-))

सौरभ जी, नमस्कार !

सब आपकी दुआ है...खैरियत से हूँ. अधिक समय तो नहीं हुआ पर 27 तारीख को हमने अपने को फेसबुक से डिटैच किया था...कुछ मेंटल टेंशन होने की वजह से दिमाग को आराम देने के बिचार से. तो इस चक्कर में ओ बी ओ से भी डिटैच हो गयी मतलब ये कि समय ना मिल पाने के कारण इधर भी कुछ असर पड़ा :) यानि कि हाजिरी नहीं लगा पायी. 8 तारीख को फेसबुक पर वापस आई तो इधर भी झाँका आप लोगों के हाल-चाल लेने को. पता लगा कि सदस्यों की सक्रियता पर चर्चा हो रही है. हम तो जैसे संकोच और शरम के मारे पानी-पानी हो गये. ऊपर से गणेश की हम पर जुर्माना वाली धमकी का भी असर हुआ. पहले तो सोचा कि यहाँ से खिसक लूँ..पर फिर मैदान में मुकाबला करने की ठानी. और इस चर्चा का परिणाम सक्रियता में पूर्ण हुआ. जोश में आकर कुछ देर पहले एक रचना भी लिख डाली और ब्लाग में स्थापित कर दी :) जय हो चर्चा भवानी की ! यहाँ 12 तो नहीं बजे हैं फिर भी रात है...9.35. मैं काफी पी रही हूँ इस समय...वैसे तो चाय ही पीती हूँ...पर आज चेंज हो गया. आप सबको गुडनाइट !    

 

शन्नोजी, आभार.

इसे सक्रियता नहीं अनुकरणीय आत्मीयता कहते हैं...

  

 

:)

नमस्कार सौरभ जी, आपने विश्वास किया बहुत-बहुत धन्यवाद। मै कोशिश करूँगी कि सक्रीय बनी रहूँ।

सादर

आदरणीय बागी जी,

हम वाकई अपने आप को एक ऐसा उदाहरण मानते हैं जिसने अहम को सफलतापूर्वक एक हद तक अपने से अलग किया. हम अपने लिए लिखते रहे हमेशा. वाह-वाही परिवारजनो से बराबर मिलती रही. मित्रों से भी. पर कभी किसी ने इतने बड़े परिवेश में और इतनी सूक्ष्माता से ना उसे सुना ना पढ़ा. आप, अंबरीश जी, सौरभ जी, योगराज जी, सबने इतनी आत्मीयता से हमें सीखया और बताया है कि बड़े से बड़े शिक्षक भी नही सिखा सकते. हम बहुत आभारी हैं और बहुत प्रसन्नता होगी अगर यहाँ सब इस बात को पहले समझें कि  'इस खुदाई में एक तू क्या है?'  और फिर 'खुदी को बुलंद' करें..

 

सदा आभारी,

आराधना

//बहुत प्रसन्नता होगी अगर यहाँ सब इस बात को पहले समझें कि  'इस खुदाई में एक तू क्या है?'  और फिर 'खुदी को बुलंद' करें..//

लाख टके की बात कह दी आपने ! :-)

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