For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

बाली उमिरिया पतली कमरिया चलेलु तू इठालाइ के ,

बाली उमिरिया पतली कमरिया चलेलु तू इठालाइ के ,
आग लगइबु का हो गोरिया बीच बजरिया आई के ,

चाल बा तोहर नागिन जइसन अचरा जब सरकावेलू ,
देख के मुखड़ा मन इ बोले अंगिया काहे न लगावे लू ,
तोहरो सुरतिया मनवा मोहे काहे जालू ललचाई के ,
बाली उमिरिया पतली कमरिया चलेलु तू इठालाइ के ,

जवन तू कह्बू उहे करब हमरा के अपनाs लs हो ,
तहरे खातिर जियत बानी मन के आसरा पूरा द हो ,
मन में तूही बsसल बारू रखs अंगिया से हमके लगाइ के ,
बाली उमिरिया पतली कमरिया चलेलु तू इठालाइ के ,

तन मिली त मनवा खिली जियरा भरी उड़ान हो ,
तहरे अईला से हो गोरिया आवे ला ईहा बहार हो ,
मुश्कि तोहार बा मनमोहन खुश बानी तोहे पाई के ,
बाली उमिरिया पतली कमरिया चलेलु तू इठालाइ के ,

Views: 1265

Replies to This Discussion

आग लगाइबु का हो गोरिया बिच बजरिया आई के ,
...................................................................
जवान तू कह्बू उहे करब हमरा के अपना ल हो ,
तहरे खातिर जियत बानी मन के आसरा पूरा द हो ,
....................................................................जय हो गुरुजी की। रवि भाई ए तहार गीत पढ़ि के मन गदगदा गइल....अउर हाँ एइसन गीतन के कलेक्सन के एगो बहुत बढ़िया एलबम निकालल जा सकेला...त भाई देर मति करS...कुछु अउरी एइसने गीत सुना दS इहाँ अउर भेर एइसन करS की एगो एलबमो तइयार हो जाव...आज के सुनवइया लोगन के माँग के हर तरह से पूरा करत इ गीत लाजवाव बा।। जय हो। जय हो। जय हो।।
हई देखs हो भाई बवाल कर देहलस ,
गुरु जी के लेखनी कमाल कर देहलस,
इ त आग लगावे के पूरा बेवस्था हो गइल,
OBO बहुतन के नींद हराम कर देहलस,

जय हो गुरु जी , जब राउर ई हाल बा त नवहन के का होई , रउवा त गरदा उड़ा देहनी महाराज , प्रभाकर भईया ठीके कहत बाडन अब एल्बम निकाल ही दिही , बहुत बढ़िया , नीमन गीत लिखले बानी रौवा , बिलकुल फ़िल्मी अंदाज, जय हो,
चाल बा तोहर नागिन जइसन अचरा जब सरकावेलू ,
देख के मुखड़ा मन इ बोले अंगिया काहे न लगावे लू ,
तोहरो सुरतिया मनवा मोहे काहे जालू ललचाई के ,
बाली उमिरिया पतली कमरिया चलेलु तू इठालाइ के ,

jai ho guru jee ke......waah bhai....bahut badhiya likhale bani...lagal rahi aisehi
गणेश भएया रौव त पूरा तएयरी कएले बनी आग लगवे के
चाल बा तोहर नागिन जइसन अचरा जब सरकावेलू ,
देख के मुखड़ा मन इ बोले अंगिया काहे न लगावे लू ,
तोहरो सुरतिया मनवा मोहे काहे जालू ललचाई के ,
बाली उमिरिया पतली कमरिया चलेलु तू इठालाइ के ,
हाय - हाय गज़ब ढा दिए गुरूजी. नि:संदेह बड़ा ही जानदार तथा जानलेवा रचना है. आपका तो मैं नहीं जानता पर पढ़ने वालों की उम्र जरुर दस - बीस साल कम हो जायेगी. जय हो.

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर left a comment for लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार की ओर से आपको जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं।"
23 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक धन्यवाद। बहुत-बहुत आभार। सादर"
23 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी
"आदरणीय गिरिराज भंडारी सर वाह वाह क्या ही खूब गजल कही है इस बेहतरीन ग़ज़ल पर शेर दर शेर  दाद और…"
23 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .इसरार
" आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय जी…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, आपकी प्रस्तुति में केवल तथ्य ही नहीं हैं, बल्कि कहन को लेकर प्रयोग भी हुए…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .इसरार
"आदरणीय सुशील सरना जी, आपने क्या ही खूब दोहे लिखे हैं। आपने दोहों में प्रेम, भावनाओं और मानवीय…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post "मुसाफ़िर" हूँ मैं तो ठहर जाऊँ कैसे - लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी इस बेहतरीन ग़ज़ल के लिए शेर-दर-शेर दाद ओ मुबारकबाद क़ुबूल करें ..... पसरने न दो…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on धर्मेन्द्र कुमार सिंह's blog post देश की बदक़िस्मती थी चार व्यापारी मिले (ग़ज़ल)
"आदरणीय धर्मेन्द्र जी समाज की वर्तमान स्थिति पर गहरा कटाक्ष करती बेहतरीन ग़ज़ल कही है आपने है, आज समाज…"
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर updated their profile
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदरणीया प्रतिभा जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। आपने सही कहा…"
Oct 1
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"जी, शुक्रिया। यह तो स्पष्ट है ही। "
Sep 30
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"सराहना और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार आदरणीय उस्मानी जी"
Sep 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service