For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

तीन वर्षों के अंतराल के बाद दिनांक 28 जनवरी 2023 को ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार भोपाल चैप्टर की मासिक साहित्यिक संगोष्ठी दुष्यन्त कुमार स्मारक पांडुलिपि संग्रहालय में सम्पन्न हुई। सर्वप्रथम संस्था के नए अध्यक्ष आदरणीय अशोक निर्मल जी समेत मुख्य अतिथि आदरणीय सौरभ पांडेय जी और विशिष्ट अतिथि आदरणीय तिलकराज कपूर जी ने ओबीओ भोपाल चैप्टर के आजीवन अध्यक्ष रहे, मरहूम उस्ताद ग़ज़लकार ज़हीर कुरेशी साहब को याद कर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। आदरणीय सौरभ जी ने ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार की कार्यप्रणाली और सीखने सिखाने की परंपरा का संक्षिप्त विवरण दिया। आदरणीय तिलकराज कपूर जी ने गज़ल और शेरियत पर अपने विचार रखें। कार्यक्रम का संचालन बलराम धाकड़ जी द्वारा किया गया।


इसके बाद रचना पाठ का सत्र आरंभ हुआ। महावीर सिंह की ग़ज़ल से गोष्ठी की शुरुआत हुई। उन्होंने सुनाया 

"उनको अपने पराए न आये नज़र,

वो हमें आजतक आज़माते रहे"।

आ.कमलेश नूर जी द्वारा सुनाई गजल का यह शे'र बहुत पसंद किया गया -

"लोग कहते हैं मैं बाज़ार का जादूगर हूँ,

बेच देता मैं मिट्टी को सितारा कर के"

आ. संतोष खिलवड़कर जी ने जब तरन्नुम में ये ग़ज़ल सुनाई कि,

"आपसे गर मिला नहीं होता,

जो हुआ वो हुआ नहीं होता" तो माहौल ग़ज़लमय हो गया।

आदरणीय मनीष बादल जी ने अपने दोहे और ग़ज़ल सुनाई । उनके दोहे,

"जीवन की इस राह में, यही किया बस 'फील'/

ख़ुशियाँ सौ मीटर चलीं, दुःख तो मीलों मील"

ने आम मनुष्य के जीवन के दर्द को बखूबी उकेरा।

आदरणीय सीमा मिश्रा जी ने कई सुघड़ दोहे सुनाए। विभिन्न विषयों पर आधारित दोहों ने श्रोताओं को मुग्ध कर दिया।  दोहों को सभी ने बहुत सराहा,

"रोटी कपड़ा ब्याह और बूढ़ी माँ बीमार,

एक फसल के शीश पर कितने-कितने भार।"

वहीं आ. सुन्दर लाल प्रजापति जी ने ग़ज़ल सुनाई,

"मैं किसी दर्द के मेहमान से हैरान नहीं,

कोई ऐसा भी रहा है जो परेशान नहीं"।

आ. देवेश देव जी ने ग़ज़ल "अगरचे ये किसी इंसान से वादा नहीं करते, ज़ुबाँ के जो धनी हैं, बात से पलटा नहीं करते" को बहुत सराहा गया।

आ. सीमा हरिशर्मा जी ने नौजवानों को समझाते हुए सुनाया, "जान पहचान को प्यार कहना नहीं, बंधनों के बिना बँध सहना नहीं"।

 मिथिलेश वामनकर की ग़ज़ल के इस शेर बहुत सराहा गया, "विशिष्ट था मैं, अभीष्ट था मैं, ये तथ्य लेकिन अतीत का है, निवृत्त सेवा से जो हुआ तो, सकल भवन को खटक रहा हूँ"।

आ. हरि वल्लभ शर्मा जी ने सुनाया, "फ़लक से उतरा सहर आफ़ताब पानी में, जला के बैठा हो जैसे अलाव पानी में।

आ. बलराम धाकड़ जी ने जब पढ़ा कि "इरादा तो था मोहर्रम को ईद कर देंगे, तरीका उनका था, जैसे शहीद कर देंगे" तो हॉल तालियों से गूँज गया।

वरिष्ठ ग़ज़लकार आदरणीय महेश अग्रवाल जी ने अपने चिर परिचित अंदाज़ सुनाया, "किया है पाप गंगा में ज़हर मिलाने का, मगर सब चाहते हैं पुण्य भी, उसमें नहाने का"।

आदरणीया ममता बाजपेयी जी के गीत जो दर्शन को बयाँ कर रहा था "जाने ऐसी बात ही क्या, बातें क्यों चुपचाप हो गईं" को सबने बहुत सराहा।

आ. तिलकराज कपूर जी ने ग़ज़ल सुनाई, "इश्क़ की ये फुहारें तो शुरुआत है, डुबकियाँ कुछ लगा जा तुझे इश्क़ हो"।

आ. सौरभ पांडेय जी के नवगीत,"छू दो तुम फिर सुनो अनश्वर" को बहुत पसंद किया गया।

अध्यक्षता कर रहे आदरणीय अशोके निर्मल जी ने सुनाया, "पोर-पोर में एक समुन्दर, एक समंदर मन के अंदर, पुरवाई अपनों से हारी, जीते आँधी और बवंडर"।

गोष्ठी की विशेषता यह रही कि मंच का संचालन कर रहे आ. बलराम धाकड़ जी ने भी स्मृतिशेष ज़हीर कुरेशी जी को सम्मान देते हुए, सभी रचनाकारों को उनके ही शे'रों से मंच पर आमंत्रित किया।

Views: 322

Reply to This

Replies to This Discussion

हार्दिक बधाई और शुभकानाएँ ।

एक लम्बे अंतराल के बाद ओबीओ के भोपाल की इकाई की संगोष्ठी आयोजित हुई. यह अवश्य था कि इस इकाई के आजीवन अध्यक्ष, जनाब जहीर कुरेशी जी, के अकाल कलवित हो जाने के पश्चात यह पहली गोष्ठी उनके स्मरण से लगातार आप्लावित होती रही.

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

घाव भले भर पीर न कोई मरने दे - लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

अच्छा लगता है गम को तन्हाई मेंमिलना आकर तू हमको तन्हाई में।१।*दीप तले क्यों बैठ गया साथी आकर क्या…See More
48 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहते हो बात रोज ही आँखें तरेर कर-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और स्नेह के लिए आभार। यह रदीफ कई महीनो से दिमाग…"
8 hours ago
PHOOL SINGH posted a blog post

यथार्थवाद और जीवन

यथार्थवाद और जीवनवास्तविक होना स्वाभाविक और प्रशंसनीय है, परंतु जरूरत से अधिक वास्तविकता अक्सर…See More
16 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"शुक्रिया आदरणीय। कसावट हमेशा आवश्यक नहीं। अनावश्यक अथवा दोहराए गए शब्द या भाव या वाक्य या वाक्यांश…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीया प्रतिभा पाण्डेय जी।"
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"परिवार के विघटन  उसके कारणों और परिणामों पर आपकी कलम अच्छी चली है आदरणीया रक्षित सिंह जी…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"आ. प्रतिभा बहन, सादर अभिवादन।सुंदर और समसामयिक लघुकथा हुई है। हार्दिक बधाई।"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"आदाब। प्रदत्त विषय को एक दिलचस्प आयाम देते हुए इस उम्दा कथानक और रचना हेतु हार्दिक बधाई आदरणीया…"
yesterday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"आदरणीय शहज़ाद उस्मानी जी, आपकी टिप्पणी के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। शीर्षक लिखना भूल गया जिसके लिए…"
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"समय _____ "बिना हाथ पाँव धोये अन्दर मत आना। पानी साबुन सब रखा है बाहर और फिर नहा…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"हार्दिक स्वागत मुहतरम जनाब दयाराम मेठानी साहिब। विषयांतर्गत बढ़िया उम्दा और भावपूर्ण प्रेरक रचना।…"
yesterday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
" जय/पराजय कालेज के वार्षिकोत्सव के अवसर पर अनेक खेलकूद प्रतियोगिताओं एवं साहित्यिक…"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service