For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-86 (विषय: समर्पण)

आदरणीय साथियो,

सादर नमन।
.
"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-86 में आप सभी का हार्दिक स्वागत है। इस बार का विषय है 'समर्पण'। तो आइए इस विषय के किसी भी पहलू को कलमबंद करके एक प्रभावोत्पादक लघुकथा रचकर इस गोष्ठी को सफल बनाएँ।  
:  
"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-86
"विषय: 'समर्पण'
अवधि : 30-05-2022  से 31-05-2022 
.
अति आवश्यक सूचना:-
1. सदस्यगण आयोजन अवधि के दौरान अपनी केवल एक लघुकथा पोस्ट कर सकते हैं।
2. रचनाकारों से निवेदन है कि अपनी रचना/ टिप्पणियाँ केवल देवनागरी फॉण्ट में टाइप कर, लेफ्ट एलाइन, काले रंग एवं नॉन बोल्ड/नॉन इटेलिक टेक्स्ट में ही पोस्ट करें।
3. टिप्पणियाँ केवल "रनिंग टेक्स्ट" में ही लिखें, १०-१५ शब्द की टिप्पणी को ३-४ पंक्तियों में विभक्त न करें। ऐसा करने से आयोजन के पन्नों की संख्या अनावश्यक रूप में बढ़ जाती है तथा "पेज जम्पिंग" की समस्या आ जाती है। 
4. एक-दो शब्द की चलताऊ टिप्पणी देने से गुरेज़ करें। ऐसी हल्की टिप्पणी मंच और रचनाकार का अपमान मानी जाती है।आयोजनों के वातावरण को टिप्पणियों के माध्यम से समरस बनाये रखना उचित है, किन्तु बातचीत में असंयमित तथ्य न आ पायें इसके प्रति टिप्पणीकारों से सकारात्मकता तथा संवेदनशीलता आपेक्षित है। देखा गया कि कई साथी अपनी रचना पोस्ट करने के बाद गायब हो जाते हैं, या केवल अपनी रचना के आस पास ही मंडराते रहते हैंI कुछेक साथी दूसरों की रचना पर टिप्पणी करना तो दूर वे अपनी रचना पर आई टिप्पणियों तक की पावती देने तक से गुरेज़ करते हैंI ऐसा रवैया कतई ठीक नहींI यह रचनाकार के साथ साथ टिप्पणीकर्ता का भी अपमान हैI
5. नियमों के विरुद्ध, विषय से भटकी हुई तथा अस्तरीय प्रस्तुति तथा गलत थ्रेड में पोस्ट हुई रचना/टिप्पणी को बिना कोई कारण बताये हटाया जा सकता है। यह अधिकार प्रबंधन-समिति के सदस्यों के पास सुरक्षित रहेगा, जिस पर कोई बहस नहीं की जाएगी.
6. रचना पोस्ट करते समय कोई भूमिका, अपना नाम, पता, फोन नंबर, दिनांक अथवा किसी भी प्रकार के सिम्बल/स्माइली आदि लिखने/लगाने की आवश्यकता नहीं है।
7. प्रविष्टि के अंत में मंच के नियमानुसार "मौलिक व अप्रकाशित" अवश्य लिखें।
8. आयोजन से दौरान रचना में संशोधन हेतु कोई अनुरोध स्वीकार्य न होगा। रचनाओं का संकलन आने के बाद ही संशोधन हेतु अनुरोध करें। 
.    
यदि आप किसी कारणवश अभी तक ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार से नहीं जुड़ सके है तो www.openbooksonline.com पर जाकर प्रथम बार sign up कर लें.
.
.
मंच संचालक
योगराज प्रभाकर
(प्रधान संपादक)
ओपनबुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम

Views: 1410

Replies are closed for this discussion.

Replies to This Discussion

 सब कुछ खोदा हमने (लघुकथा) :


"क्यों भाई, आख़िर 'ख़ुदाई' को भूलकर ख़ास जगहों पर हर तरह की 'खुदाई' ही 'खुदाई' क्यों?"


"तो फ़िर इतिहास कैसे बदलेगा भाई, हमारा काम कैसे दिखेगा? ढाई आख़र प्रेम से या साझा आस्था से... या यूँ नया इतिहास रचने से, ऐं?"


(मौलिक व अप्रकाशित)

सादर अभिवादन। गोष्ठी  में प्रविष्टियों के आग़ाज़ में विलम्ब के कारण यह रचना अभी लिखकर पोस्ट की है। मार्गदर्शन निवेदित।

गोष्ठी की शुरुआत करने हेतु आपको बधाई आ.उस्मानी जी।

आदाब। शुक्रिया। आपकी सक्रिय उपस्थिति से मंच का गौरव बढ़ा। हम प्रोत्साहित हुए।

आदरणीय शेख़ शहज़ाद उस्मानी जी , सारगर्भित लघुकथा की हार्दिक बधाई स्वीकार करें।

आदाब। गोष्ठी में हाज़री और टिप्पणियों हेतु व मेरी हौसला अफ़ज़ाई हेतु बहुत-बहुत शुक्रिया। आप सभी की विषयांतर्गत लघुकथाओं की प्रतीक्षा है।

आदरणीय, हाज़िर हूँ।

स्वागत विषयांतर्गत आपकी 'रचना' का।

  • बेवफा
    उड़ता बादल थमा। संंघनित था।थका हुआ था।नीचे धरा का विस्तृत आंचल दिखा।बरसने लगा।बरसता ही गया।धरती नहाई।प्रफुल्लित,प्रमुदित हुई। उसकी कोख में संचित बीज अंकुरित हुए।प्रस्फुटित हुए। बिरवे निकल चले।वह धन्य हुई।
    पल्लवित पौधों की हवाओं संग अठखेलियां देख धरा की छाती और चौड़ी हो गई। मग्न हुई।उसने गगन की ओर निहारा कि रसीले, हठीले प्रियतम को टेरूं कि देख! तेरे नन्हे -मुन्ने कितने मस्त हैं। तू भी थोड़ा इतरा ले पर यह क्या? घुंघराला,नटखट बादल तो निष्प्राण छिन्न  -भिन्न -सा आसमान में खंड  -खंड हो रुई के फाहों जैसा बिखरा हुआ था।हवाएं उसे ठोकर मार निकल जातीं।
    धरा ने बदल को टोका, 'देख, तेरे नेह से उपजे बिरवे अब बड़े होने लगे।हवाओं से खेलने लगे।'
    'मेरे बिरवे?कौन?कैसे?कब के?कहां के? बादल ने ढेर सारे सवाल मढ दिए। फिर उड़ने -बिखड़ने लगा।
    'तू बेवफा ही रहा।'धरा ने हिकारत से इतना ही कहा।
    'मौलिक एवं अप्रकाशित'

बहुत ख़ूब। बढ़िया प्रयोग,परिकल्पना और अभिव्यक्ति। जल के प्राकृतिक चक्र और धरा के समर्पण पर बेहतरीन शिल्पबद्ध प्रवाहमय रचना। हार्दिक बधाई जनाब मनन कुमार सिंह साहिब।  अंतिम दो संवादों/वाक्यों से संदेश समझने में मुझे दिक्कत हुई।

आदरणीय मनन जी व पाठकगण (व्यूअर्स), जानना चाहता हूँ कि गोष्ठी में सहभागिता न्यूनतम होते जाने के कारण क्या हैं? तेज गर्मी/लघुकथा प्रतियोगितायें/संग्रह/संकलन/ईपुस्तक प्रकाशनों की तरफ़ बढ़ता रुझान या इंटरनेट/वेबसाइट संचालन/तकनीकी/डिवाइस समस्याएं या वरिष्ठजनों आदि की अति व्यस्तता के फलस्वरूप? जवाब की प्रतीक्षा रहेगी यहाँ या वाट्सएप/मेसेंजर पर।

आ.उस्मानिजी,आपकी चिंता बिलकुल जायज है।ऐसा मैं भी सोच रहा हूं।आपके द्वारा इंगित सभी बिंदु सार्थक हैं।इस मंच की लघुकथा गोष्ठी में इस तरह की उदासीनता चिंतनीय है। हां,यदि कुछ अन्य कारण हों,तो मैं क्षमा प्रार्थी रहूंगा।

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय Sanjay Shukla जी आदाब  ओ.बी.ओ के नियम अनुसार तरही मिसरे को मिलाकर  कम से कम 5 और…"
6 minutes ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"नमस्कार, आ. आदरणीय भाई अमित जी, मुशायरे का आगाज़, आपने बहुत खूबसूरत ग़ज़ल से किया, तहे दिल से इसके…"
16 minutes ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आसमाँ को तू देखता क्या है अपने हाथों में देख क्या क्या है /1 देख कर पत्थरों को हाथों मेंझूठ बोले…"
29 minutes ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"2122 1212 22 बेवफ़ाई ये मसअला क्या है रोज़ होता यही नया क्या है हादसे होते ज़िन्दगी गुज़री आदमी…"
47 minutes ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"धरा पर का फ़ासला? वाक्य स्पष्ट नहीं हुआ "
59 minutes ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय Richa Yadav जी आदाब। ग़ज़ल के अच्छे प्रयास के लिए बधाई स्वीकार करें। हर तरफ शोर है मुक़दमे…"
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"एक शेर छूट गया इसे भी देखिएगा- मिट गयी जब ये दूरियाँ दिल कीतब धरा पर का फासला क्या है।९।"
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई अमित जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन गजल से मंच का शुभारम्भ करने के लिए बहुत बहुत हार्दिक…"
1 hour ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' जी आदाब।  ग़ज़ल के अच्छे प्रयास के लिए बधाई स्वीकार…"
1 hour ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"2122 1212 22 बात करते नहीं हुआ क्या है हमसे बोलो हुई ख़ता क्या है 1 मूसलाधार आज बारिश है बादलों से…"
3 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"खुद को चाहा तो जग बुरा क्या है ये बुरा है  तो  फिर  भला क्या है।१। * इस सियासत को…"
5 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"सादर अभिवादन, आदरणीय।"
5 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service