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प्रेम दिवस :

दिलवालों का आ गया, दिलवाला त्योहार ।
दिल ले कर दिल ढूँढता, दिल अपना  दिलदार ।।

लाल दिलों का लग रहा, गली-गली बाजार ।
अब तो दिल का आजकल, होता है व्यापार ।।

प्रेम प्रदर्शन का बना, मुक्त मिलन आधार ।
कैसा यह त्योहार जो, लील रहा संस्कार ।।

कितनी उत्सुक लग रही, युवा सभ्यता आज ।
अवगुंठन में प्यार के, करें कलंकित लाज ।।

वेलेंटाइन की आढ़ में, लज्जित होती लाज ।
देख प्रेम की दुर्दशा, क्षुब्ध आज है ताज ।।

सुशील सरना / 14-2-22

मौलिक एवं अप्रकाशित 

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Comment by Sushil Sarna on February 19, 2022 at 2:25pm
आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय
Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on February 18, 2022 at 5:33am

आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। प्रेमदिवस पर उत्तम दोहे हुए हैं । हार्दिक बधाई।

Comment by Sushil Sarna on February 17, 2022 at 11:36am
आदरणीय समर कबीर जी आदाब, सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा का दिल से आभारीहै सर
Comment by Samar kabeer on February 15, 2022 at 3:21pm

जनाब सुशील सरना जी आदाब, प्रेम दिवस पर अच्छे दोहे हुए हैं, बधाई स्वीकार करें ।

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