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शोख़ दोहे : 

कातिल हसीन शोखियाँ, मयखाने सा नूर ।
दिल बहके तो जानिए, सब आपका कुसूर ।।

साँसें दे हर साँस को, साँसों का उपहार ।
साँसों को अच्छा लगे, ये साँसों का प्यार ।।

पागल दिल की हसरतें, पागल दिल के ख़्वाब ।
पागल दिल को कर गए , ख़्वाबों के सैलाब ।।

बड़े तीव्र हैं प्यास के, अधरों पर अंगार  ।
नैनों से नैना करें, मधुर मिलन मनुहार ।।

बेहिज़ाब अगड़ाइयाँ, गज़ब नशीला नूर ।
देख बहकना नूर को, दिल का है दस्तूर ।।

सुशील सरना / 26-2-22

मौलिक एवं अप्रकाशित 

Views: 285

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Comment by Sushil Sarna on March 1, 2022 at 4:55pm
आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार ।
Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on March 1, 2022 at 8:14am

आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। उत्तम दोहे हुए हैं । हार्दिक बधाई। 

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