For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

आग में जलना नहीं आया.- ग़ज़ल

 मापनी १२२२ १२२२ १२२२ १२२२ 

कभी रुकना नहीं आया कभी चलना नहीं आया. 

हमें हर एक साँचें में कभी ढलना नहीं आया. 

बहारों में ये सहरा भी गुलिस्ताँ बन गया होता,

किसी दरिया समंदर को उसे छलना नहीं आया. 

जो बाहर ख़ूब  फूले हैं फले हैं पेड़ आमों के,

मेरे आँगन में उनको फूलना फलना नहीं आया.

जड़ें मज़बूत करने में हमारी ज़िंदगी बीती, 

अमरबेलों के जैसे पेड़ पर पलना नहीं आया.

 

मुकम्मल इश्क़ की उससे मुझे उम्मीद क्या होती, 

जिसे दो पल विरह की आग में जलना नहीं आया.

"मौलिक एवं अप्रकाशित "

Views: 599

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by बसंत कुमार शर्मा on July 21, 2020 at 8:32pm

आदरणीय सुरेन्द्र नाथ सिंह 'कुशक्षत्रप'  जी सादर नमस्कार 

आपकी मनभावन प्रतिक्रिया पाकर अभिभूत हूँ , सादर नमन 

Comment by बसंत कुमार शर्मा on July 21, 2020 at 8:32pm

आदरणीय  सालिक गणवीर जी सादर नमस्कार 

आपकी मनभावन प्रतिक्रिया पाकर अभिभूत हूँ , सादर नमन 

Comment by बसंत कुमार शर्मा on July 21, 2020 at 8:31pm

आदरणीय  Rupam kumar -'मीत' जी सादर नमस्कार 

आपकी मनभावन प्रतिक्रिया पाकर अभिभूत हूँ , सादर नमन 

Comment by बसंत कुमार शर्मा on July 21, 2020 at 8:31pm

आदरणीय लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' जी सादर नमस्कार 

आपकी हौसला अफजाई के लिए दिल से शुक्रिया 

Comment by नाथ सोनांचली on July 18, 2020 at 4:38pm

आद0 बसन्त कुमार शर्मा जी सादर अभिवादन। एक उम्दा ग़ज़ल पर मेरी कोटिश शुभकामनाएं निवेदित है। सादर

Comment by सालिक गणवीर on July 18, 2020 at 9:32am

भाई बसंत कुमार शर्मा जी.

सादर अभिवादन

एक उम्दा ग़जल और  ख़ास तौर पर चौथे शैर पर दाद और मुबारकबाद क़ुबूल कीजिए.

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on July 16, 2020 at 9:01pm

आ. भाई बसंत जी, सादर अभिवादन । अच्छी गजल हुई है । हार्दिक बवाई ।

Comment by बसंत कुमार शर्मा on July 16, 2020 at 5:58pm

आदरणीय अमीरुद्दीन 'अमीर' जी सादर नमस्कार, आपकी हौसलाअफजाई से अभिभूत हूँ , आपने जो इस्लाह की है उसके अनुसार सुधार कर लेता हूँ , सादर नमन 

Comment by अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी on July 16, 2020 at 12:39am

जनाब बसंत कुमार शर्मा जी आदाब, अच्छी ग़ज़ल हुई है बधाई स्वीकार करें। कुछ टंकण त्रुटियों की ओर आपका ध्यानाकर्षण कराना चाहूँगा : हमें औरों के साँचें में कभी ढलना नहीं आया. इस मिसरे में औरों बहुवचन है इसलिए साँचें को साँचों कर लीजिए,

"बहारों में ये सेहरा भी गुलिस्तां बन गया होता,  इस मिसरे में आया शब्द सेहरा ठीक नहीं है सहीह शब्द 'सहरा' यानि रेगिस्तान है, गुलिस्तां में चन्द्र बिन्दु होना चाहिए। उर्दू के शब्दों 'खूब', 'मजबूत' और 'जिन्दगी' में ख और ज पर नुक़्ता लगा लें। सादर। 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
Tuesday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Apr 29
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Apr 28
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Apr 28
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
Apr 27
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
Apr 27
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Apr 27

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service