For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल- चींटियाँ उड़ने लगीं, शाहीन कह देने के बाद

2122 2122 2122 212

हर दुआ पर आपके आमीन कह देने के बाद
चींटियाँ उड़ने लगीं, शाहीन कह देने के बाद

आपने तो ख़ून का भी दाम दुगना कर दिया
यूँ लहू का ज़ायका नमकीन कह देने के बाद

फिर अदालत ने भी ख़ामोशी की चादर ओढ़ ली

मसअले को वाक़ई संगीन कह देने के बाद

ये करिश्मा भी कहाँ कम था सियासतदान का
बिछ गईं दस्तार सब कालीन कह देने के बाद

फूल, तितली, चाँद-तारे, रंग से महरूम हैं

आपकी रानाई को रंगीन कह देने के बाद

ख़ूब उगला ज़ह्र यारों ने तअल्लुक़ तोड़ कर

साँप का बिल है मेरी अस्तीन कह देने के बाद

~ बलराम धाकड़

मौलिक/अप्रकाशित।

Views: 960

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Balram Dhakar on October 27, 2018 at 4:18pm

आदरणीय अजय तिवारी जी, आपको ग़ज़ल पसन्द आई, मेरा लिखना सार्थक हुआ।

बहुत बहुत शुक्रिया!

धन्यवाद!

Comment by Balram Dhakar on October 27, 2018 at 4:17pm

आदरणीय महेंद्र कुमार जी, ग़ज़ल में शिरक़त और हौसला अफजाई का बहुत बहुत शुक्रिया!

सादर!

Comment by Ajay Tiwari on October 27, 2018 at 7:53am

आदरणीय बलराम जी, एक और ऊर्जावान ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई. 

Comment by Mahendra Kumar on October 26, 2018 at 11:55am

बहुत ही ख़ूबसूरत ग़ज़ल है आदरणीय बलराम धाकड़ जी। हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिए। सादर।

Comment by Balram Dhakar on October 25, 2018 at 9:46pm

आदरणीय ब्रजेश जी, हौसला अफजाई का बहुत बहुत शुक्रिया!

सादर!

Comment by Balram Dhakar on October 25, 2018 at 9:45pm

आदरणीय सुरेंद्र जी, ग़ज़ल में शिरक़त और हौसला अफजाई का बहुत बहुत शुक्रिया!

सादर!

Comment by Balram Dhakar on October 25, 2018 at 6:17pm

आदरणीय समर सर, सादर अभिवादन एवं धन्यवाद। आप जिस तवज्जो और जितना वक़्त देकर ग़ज़लों की तक़तीअ और मीमांसा करते हैं वह हम जैसे शागिर्दों के लिए किसी प्रकाश स्तम्भ से कम नहीं है। आपके कहे मुताबिक सुधार कर लिया जाएगा। पुनः बहुत आभार।

सादर।

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on October 25, 2018 at 12:44pm

बहुत ही खूब ग़ज़ल कही है आदरणीय..3,4,5 शे'र विशेष रूप से पसंद आये।आदरणीय समर जी की टिप्पड़ी शिक्षा पूर्ण है।

Comment by Samar kabeer on October 25, 2018 at 11:39am

// मामले को वाक़ई संगीन कह देने के बाद//

इस मिसरे में 'मामले' की जगह और  कोई शब्द रखें।

Comment by नाथ सोनांचली on October 25, 2018 at 11:23am

आद0 बलराम धाकड़ जी सादर अभिवादन। आपकी ग़ज़ल पर आद0 समर साहब की टिप्पणी से हम सबको भी ग़ज़ल और कथ्य की बारीकियों को समझने में मदद मिली। आपको ग़ज़ल पर मेरी दाद और बधाई निवेदित है।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी आपने प्रदत्त विषय पर बहुत बढ़िया गजल कही है। गजल के प्रत्येक शेर पर हार्दिक…"
2 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"गजल**किसी दीप का मन अगर हम गुनेंगेअँधेरों    को   हरने  उजाला …"
7 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आ. भाई भिथिलेश जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त विषय पर उत्तम रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
8 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"दीपोत्सव क्या निश्चित है हार सदा निर्बोध तमस की? दीप जलाकर जीत ज्ञान की हो जाएगी? क्या इतने भर से…"
20 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"धन्यवाद आदरणीय "
22 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"ओबीओ लाइव महा उत्सव अंक 179 में स्वागत है।"
22 hours ago
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"स्वागतम"
23 hours ago
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' left a comment for मिथिलेश वामनकर
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। जन्मदिन की शुभकामनाओं के लिए हार्दिक आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post साथ करवाचौथ का त्यौहार करके-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन।गजल पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार।"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post साथ करवाचौथ का त्यौहार करके-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, करवा चौथ के अवसर पर क्या ही खूब ग़ज़ल कही है। इस बेहतरीन प्रस्तुति पर…"
Thursday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

साथ करवाचौथ का त्यौहार करके-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२२/२१२२/२१२२ **** खुश हुआ अंबर धरा से प्यार करके साथ करवाचौथ का त्यौहार करके।१। * चूड़ियाँ…See More
Thursday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service