For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

परित्यागी (कविता)राहिला

ना हम तुम से कोई प्रश्न करें।।
न तुम हम से कोई सवाल करो ,
ना हम तुमसे कोई शिक़वा करें।।
ना तुम हम से कोई मलाल रखो।

तुम मन चाहा पथ चुन ही लो,
फिर मेरी राह ना आन धरो।।
तुम मन चाहा स्वप्न बुन ही लो,
फिर मेरे दर ना कान धरो।

जब अंध अहं सीमा लांघे,
जब मेरा वजूद ख़ाक करो ,
तब स्वयं स्वतंत्र कर मेरा मन
तुम मुझ पर अहसान करो।।

जाओ ,जहाँ तुम्हें छाँव मिले,
जाओ, वहाँ जहां दिल खिले,
जाओ,सत्य स्वीकार किया,
तुम अपना जहाँ आबाद करो

अब ना चाहो, कि संग चलूँ,
और मनमाना सा भरम रखूँ,
या सरि का दूजा तट बनूँ,
तुम अब ना मेरी सांस हरो।

ना हम तुमसे कोई प्रश्न करें,
न तुम हमसे कोई सवाल करो।।

मौलिक एवम अप्रकाशित

Views: 530

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on November 21, 2017 at 1:05pm
अच्छी कविता हुई आदरणीया..सादर
Comment by pratibha pande on November 20, 2017 at 11:27pm
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति प्रिय राहिला जी हार्दिक बधाई
Comment by Samar kabeer on November 20, 2017 at 2:40pm
मोहतरमा राहिला जी आदाब,कविता का प्रयास अच्छा है,बधाई स्वीकार करें ।
Comment by Mohammed Arif on November 20, 2017 at 8:00am
आदरणीया राहिला जी आदाब,
मेरे कहने का नाम आशय यह है कि यह सुंदर अभिव्यक्ति तो है ही और रचना नकारने के लायक कतई नहीं है । यदि आप किसी छंद में लिखती तो अच्छा होता । कौन से छंद में रचना बेहतर होगा यह आपको तय करना होगा ।
Comment by Rahila on November 20, 2017 at 6:46am
आदरणीय आरिफ़ साहब सिर्फ अभिव्यक्ति है। मुझे छंद ,मात्रा देखकर ही बुखार आ जाता है। यदि ये कविता के व्याकरण से सही नहीं है तो बेशक़ नकारने योग्य है।
Comment by Mohammed Arif on November 19, 2017 at 11:33pm
आदरणीया राहिला जी आदाब,
सुंदर भावाभिव्यक्ति । दिली मुबारकबाद क़ुबूल करें । यह रचना किस छंद में लिखी गई है ? बताने का कष्ट करें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .इसरार

दोहा पंचक. . . .  इसरारलब से लब का फासला, दिल को नहीं कबूल ।उल्फत में चलते नहीं, अश्कों भरे उसूल…See More
23 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सौरभ सर, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। आयोजन में सहभागिता को प्राथमिकता देते…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सुशील सरना जी इस भावपूर्ण प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। प्रदत्त विषय को सार्थक करती बहुत…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, प्रदत्त विषय अनुरूप इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। गीत के स्थायी…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सुशील सरनाजी, आपकी भाव-विह्वल करती प्रस्तुति ने नम कर दिया. यह सच है, संततियों की अस्मिता…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आधुनिक जीवन के परिप्रेक्ष्य में माता के दायित्व और उसके ममत्व का बखान प्रस्तुत रचना में ऊभर करा…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय मिथिलेश भाई, पटल के आयोजनों में आपकी शारद सहभागिता सदा ही प्रभावी हुआ करती…"
yesterday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"माँ   .... बताओ नतुम कहाँ होमाँ दीवारों मेंस्याह रातों मेंअकेली बातों मेंआंसूओं…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"माँ की नहीं धरा कोई तुलना है  माँ तो माँ है, देवी होती है ! माँ जननी है सब कुछ देती…"
Saturday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय विमलेश वामनकर साहब,  आपके गीत का मुखड़ा या कहूँ, स्थायी मुझे स्पष्ट नहीं हो सका,…"
Saturday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय, दयावान मेठानी , गीत,  आपकी रचना नहीं हो पाई, किन्तु माँ के प्रति आपके सुन्दर भाव जरूर…"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service