For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

कालिख: लघुकथा :हरि प्रकाश दुबे

“सुन कमला, सारा काम निपट गया या अभी भी कुछ बाकी है!”

नहीं ‘मेमसाहब’ सब काम पूरा कर दिया है, दाल और सब्जी भी बना के फ्रिज मैं रख दी है, आटा भी गूंथ दिया है, साहब आयेंगे तो आप बना कर दे दीजियेगा !

“अरे बस जरा सा ही काम तो बचा है, कमला,ऐसा कर रोटी भी बना कर हॉट केस मैं रख जा !”

“मेमसाहब मुझे देर हो रही है, घर पर बच्चे भूखे होंगे !”

अरे चल पगली १५ मिनट में मर थोड़ी ही जायेंगे, चल जल्दी से बना दे !

गरीबी चाहे जो न करवा दे, कमला ने बड़े अनमने ढंग से रोटी बना दी और चलने लगी, तभी ! अरे कमला  शाम को टाइम पर आ जाना -‘मेमसाहब’ ने कहा !

शाम को कमला आयी और उसके साथ उसका पति भी चला आया, और आते ही बोला," ‘मेमसाहब’ कल से कमला आपके यहाँ काम करने नही आयेगी !”

इतना सुनते ही ‘मेमसाहब’ भड़क गयीं और बोलीं " क्यों तन्खाव्ह कम पड़ रही है क्या?”

नहीं-नहीं  , हमारी अपनी कुछ समस्या है- कमला के पति ने कहा !

" क्या तकलीफ है ? कुछ पैसा वगेहरह चाहिये तो बताओ, बाद में इसकी पगार से काट लूंगी !”

नहीं ‘मेमसाहब’ अब आप तो दूसरी कामवाली ढूंढ लीजिये !”

"अरे भाई तकलीफ बताये बगैर मे तुम्हें काम नही छोड़ने दुंगी, बोल क्या तकलीफ है?”

कमला का पति बोला " आप जिस तरह अपने पति को डांटती फटकारती रहती हो , यह देख देखकर ये भी यह भी सब सीखने लग गई है , मेरे मे साहब जितनी सहनशक्ति नही है, जिससे इस बेचारी को रोज मार खानी पड़ती  है, अब तो बच्चों पर भी इसका असर पड़ने लगा है, मुझे मेरे घर मे और अशांति नही चाहिए !”

मेमसाहब’ के मुहँ पर कोई कालिख पोत गया था !

 

"मौलिक व अप्रकाशित"

© हरि प्रकाश दुबे

Views: 647

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by khursheed khairadi on July 29, 2017 at 9:09am
आदरणीय हरी सर , बहुत सटीक लघुकथा है।संभ्रांत वर्ग के नैतिक पतन को उजागर करती हुई रचना है। बहुत बहुत बधाई सर।
Comment by Nita Kasar on July 25, 2017 at 9:15pm
सार्थक,संदेशप्रद कथा के लिये बधाई आद० हरिप्रकाश दुबे जी ।
Comment by Sheikh Shahzad Usmani on July 25, 2017 at 8:51pm
बेहतरीन सृजन। सादर हार्दिक बधाई आदरणीय हरि प्रकाश दुबे जी।
//बोल क्या तकलीफ़ है? // का अप्रत्याशित जवाब पढ़ कर पाठक चौंक जाएंगे। जवाब कुछ और भी हो सकता था उसी प्रवाह को बरकरार रखते हुए। लेकिन यह कालिख पूर्ण करारा व्यंगात्मक/कटाक्षपूर्ण जवाब भी रोचक व विचारोत्तेजक है। फिर भी समापन पर पुनर्विचार किया जा सकता है।
Comment by Samar kabeer on July 25, 2017 at 6:17pm
जनाब हरि प्रकाश दुबे जी आदाब,अच्छी लघुकथा लिखी आपने,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।
Comment by TEJ VEER SINGH on July 25, 2017 at 1:46pm

बेहतरीन संदेश प्रद रचना आदरणीय हरि प्रकाश जी। हार्दिक बधाई।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, अभिवादन।  गजल का प्रयास हुआ है सुधार के बाद यह बेहतर हो जायेगी।हार्दिक बधाई।"
1 hour ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय प्रेम जी नमस्कार अच्छी ग़ज़ल हुई है बधाई स्वीकार कीजिये गुणीजनों की टिप्पणियाँ क़ाबिले ग़ौर…"
3 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय चेतन जी नमस्कार ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ ,बधाई स्वीकार कीजिये गुणीजनों की टिप्पणियाँ क़ाबिले…"
3 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दिनेश जी बहुत शुक्रिया आपका सादर"
3 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमीर जी  बहुत शुक्रिया आपका हौसला अफ़ज़ाई के लिए और बेहतर सुझाव के लिए सुधार करती हूँ सादर"
3 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय चेतन जी बहुत शुक्रिया हौसला अफ़ज़ाई के लिए आपका मक़्त के में सुधार की कोशिश करती हूं सादर"
3 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमित जी बेहतर इस्लाह ऑयर हौसला अफ़ज़ाई के लिए शुक्रिया आपका सुधार करती हूँ सादर"
3 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय लक्ष्मण जी नमस्कार अच्छी ग़ज़ल हुई आपकी बधाई स्वीकार कीजिये अमित जी और अमीर जी के सुझाव क़ाबिले…"
3 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमित जी नमस्कार बहुत ही लाज़वाब ग़ज़ल हुई बधाई स्वीकार कीजिये है शेर क़ाबिले तारीफ़ हुआ ,गिरह भी…"
3 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमित जी आदाब, और प्रस्तुति तक पहुँचने के लिए आपका आपका आभारी हूँ। "बेवफ़ा है वो तो…"
3 hours ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
" आदरणीय मुसाफिर जी नमस्कार । भावपूर्ण ग़ज़ल हेतु बधाई। इस्लाह भी गुणीजनों की ख़ूब हुई है। "
4 hours ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीया ऋचा यादव जी नमस्कार । ग़ज़ल के अच्छे प्रयास हेतु बधाई।"
4 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service