For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

अध्यापक और शिक्षा

गुरु भगवान से पहले आते सब जाते बलिहारी

ज्ञान का सूरज यहाँ निकलता नहीं रहे अज्ञानी

सूरज सादृश्य वह ज्ञान बांटते कोई नहीं शानी

शिक्षा एवं संस्कार बांटते यह है अमिट कहानी

सरकारी स्कूलों में अध्यापक करते हैं मनमानी

देश की प्रगति में बाधक पर कहलाते हैं ज्ञानी

ऐसे शिक्षक को दंड मिले तो नहीं कोई हैरानी    

मानवता को शर्मिंदा कर बच्चों की करते हानी

बच्चों संग करते भेद भाव शिक्षा में आनाकानी

नादानों से करते दुर्व्यवहार सुनकर होती हैरानी   

यहाँ गरीबों के बच्चों को मिलता नहीं है पानी  

छुआ-छूत, ऊंच, नीच की मिलती रोज कहानी

आजादी के सत्तर सालों में नहीं मिटी बेईमानी

सुन करके यह अचरज होता ऐसी कड़वी वानी

संविधान के साथ हो रही है यह कैसी नादानी    

देश और समाज के दुश्मन करते हैं मनमानी  

सरकार हमारी करती क्या !होती न फरमानी॥  

मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 622

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on October 6, 2016 at 10:14pm

सुंदर रचना हुई है आदरणीय |हार्दिक बधाई |

Comment by Ram Ashery on September 21, 2016 at 5:00pm

ध्न्यवाद मैडम जी आपके इस सुझाव के लिए मैं अपनी तरफ से पूरी कोशिस करूंगा । अपने मेरी रचना को धायन से पढ़ा और अपने अमूल्य सुझाव दिये मैं उसके लिए आपका आभारी हूँ यहा हृदय  से आभार व्यक्त करता हूँ

 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on September 21, 2016 at 4:33pm

समतुकांत शब्दों को ढूँढ उनपर कथ्य साधने का सफल प्रयास... किन्तु ये गीत या कविता कुछ भी नहीं.... इन मूल भावों पर अभी बहुत श्रम शेष रह गया.. 

कथ्य ज़रूर सही है मगर उसे प्रभावशाली तरह से प्रस्तुत करना एक कला है.... आशा है अन्य अभिव्यक्तियों  के सतत पठन और अभिव्यक्तिकरण पर आपकी नज़र रहती होगी.... ज़रूर आपकी एक सधी हुई प्रस्तुति देखने को मिले ऐसी शुभकामना है आ० राम आश्रय जी 

Comment by Ram Ashery on September 20, 2016 at 8:20pm

मेरी रचना पर आपके अमूल्य शब्दों के लिए आपको मेरा अभिनंदन स्वीकार हो  

Comment by सुरेश कुमार 'कल्याण' on September 20, 2016 at 11:43am
बहुत ही सुन्दर रचना आदरणीय राम आसरे महोदय, हार्दिक बधाई । सादर ।
Comment by Ram Ashery on September 19, 2016 at 9:00pm

आदरणीय समर कबीर सर आपको मेरा सदर अभिवादन स्वीकार हो आपने मेरी रचना को पढ़ा और उसकी तारीफ की उसके लिए आपको  एक बार फिर से सदर अभिनंदन करता हूँ 

Comment by Samar kabeer on September 19, 2016 at 5:33pm
जनाब राम आश्रय जी आदाब,आपकी रचना सत्य बयान कर रही है,यही हो रहा है आजकल शिक्षा के नाम पर ।
बहुत अच्छी लगी आपकी रचना,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Profile IconDr. VASUDEV VENKATRAMAN, Sarita baghela and Abhilash Pandey joined Open Books Online
2 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब। रचना पटल पर नियमित उपस्थिति और समीक्षात्मक टिप्पणी सहित अमूल्य मार्गदर्शन प्रदान करने हेतु…"
9 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर अमूल्य सहभागिता और रचना पर समीक्षात्मक टिप्पणी हेतु…"
9 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेम

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेमजाने कितनी वेदना, बिखरी सागर तीर । पीते - पीते हो गया, खारा उसका नीर…See More
11 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय उस्मानी जी एक गंभीर विमर्श को रोचक बनाते हुए आपने लघुकथा का अच्छा ताना बाना बुना है।…"
11 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सौरभ सर, आपको मेरा प्रयास पसंद आया, जानकार मुग्ध हूँ. आपकी सराहना सदैव लेखन के लिए प्रेरित…"
12 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय  लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार. बहुत…"
12 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहजाद उस्मानी जी, आपने बहुत बढ़िया लघुकथा लिखी है। यह लघुकथा एक कुशल रूपक है, जहाँ…"
12 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"असमंजस (लघुकथा): हुआ यूॅं कि नयी सदी में 'सत्य' के साथ लिव-इन रिलेशनशिप के कड़वे अनुभव…"
13 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब साथियो। त्योहारों की बेला की व्यस्तता के बाद अब है इंतज़ार लघुकथा गोष्ठी में विषय मुक्त सार्थक…"
yesterday
Jaihind Raipuri commented on Admin's group आंचलिक साहित्य
"गीत (छत्तीसगढ़ी ) जय छत्तीसगढ़ जय-जय छत्तीसगढ़ माटी म ओ तोर मंईया मया हे अब्बड़ जय छत्तीसगढ़ जय-जय…"
yesterday
LEKHRAJ MEENA is now a member of Open Books Online
Wednesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service