For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

कुछ प्रश्न कचोटते हैं

पूरा घर सम्हालती बेटियाँ क्यों ससुराल आते ही

ऐसी लापरवाह हो जाती हैं कि चूनर आग पकड़ लेती है

खिलखिलाती बेटियाँ क्यों इतनी अवसन्न हो जाती हैं

कि ज़हर खा लेती हैं या पंखे से झूल जाती हैं

जिनके लिये आँसू बस रूठने का सबब हुआ करते थे

अब वे बेटियाँ हँसते हुए भी क्यों रो देती हैं

धर्म कर्म  रीति नीति की बातें बहुत होती हैं

हर मंदिर में सुबह सवेरे देवी पूजित होती है

फिर क्यों उन्हीं बंद द्वारों के पीछे

लालच की वेदी पर निर्दोष हवि होती है

कुछ प्रश्न अनुत्तरित से दिन रात कचोटते हैं

आँखिर बेटी के माँ बाप क्यों इतने बेबस होते हैं

इस अभिशाप का अंतिम समाधान नहीं मिलता है

दहेज़ का दानव नैतिकता के भी आगे नहीं झुकता है

जब तक नाभिस्थित लिप्सा का अमृत कुंड नहीं सूखेगा

चाहे जितने राम अवतरित हों यह रावण नहीं मरेगा I

.

(तनूजा उप्रेती )

 

मौलिक व अप्रकाशित

 

 

 

Views: 521

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Tanuja Upreti on August 4, 2015 at 4:56pm
आप सभी विद्वतजनों का प्रोत्साहन हेतु आभार
Comment by Archana Tripathi on August 4, 2015 at 8:14am
आदरणीय तनुजा जी उप्रेती जी ,कुछ प्रश्न कचोटते हैं।यह दिल दिमाग को उद्वेलित कर गयी सदियों से इन सवालो के जवाब नहीं मिले और तेजी से बदलते मूल्यों के मध्य भी नहीं मिल पाएंगे।
हार्दिक बधाई आपको ।
Comment by pratibha pande on August 3, 2015 at 8:35pm
बहुत भावुक और सशक्त रचना है .बधाई आपको आ० तनूजा उप्रेती जी
Comment by Dr. Vijai Shanker on August 2, 2015 at 4:34am
प्रस्तुति बधाई, आदरणीय सुश्री तनूजा उप्रेती जी , सादर।

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on August 2, 2015 at 2:05am

एक सशक्त वैचारिक प्रस्तुति केलिए हार्दिक बधाई आदरणीया तनुजा उप्रेतीजी. आपकी अभिव्यक्ति जैसे प्रश्न उठा रही है वे प्रासंगिक तो हैं ही, समाज से उत्तर की अपेक्षा न कर समाज की हरेक इकाई के आचरण में सकारात्मक बदलाव की मांग करते हुए-से हैं. 

शुभ-शुभ

 

Comment by Samar kabeer on August 1, 2015 at 11:21pm
मोहतरमा तनूजा उप्रेती जी,आदाब,सुन्दर प्रस्तुति हेतु बधाई स्वीकार करें ।
Comment by Tanuja Upreti on August 1, 2015 at 6:02pm

आभार मिथिलेश जी आभार मनोज जी

Comment by मनोज अहसास on August 1, 2015 at 5:53pm
नमन
सादर

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on August 1, 2015 at 3:29pm

दहेजलोभियों पर तीखा प्रहार करती बेहतरीन रचना के लिए आपको हार्दिक बधाई आदरणीया तनूजा उप्रेती जी.

सचेत करती ये पंक्तिया बहुत प्रभावशाली है और सीधा दिल में उतरती है-

जब तक नाभिस्थित लिप्सा का अमृत कुंड नहीं सूखेगा

चाहे जितने राम अवतरित हों यह रावण नहीं मरेगा I

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Profile IconDr. VASUDEV VENKATRAMAN, Sarita baghela and Abhilash Pandey joined Open Books Online
18 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब। रचना पटल पर नियमित उपस्थिति और समीक्षात्मक टिप्पणी सहित अमूल्य मार्गदर्शन प्रदान करने हेतु…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर अमूल्य सहभागिता और रचना पर समीक्षात्मक टिप्पणी हेतु…"
yesterday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेम

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेमजाने कितनी वेदना, बिखरी सागर तीर । पीते - पीते हो गया, खारा उसका नीर…See More
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय उस्मानी जी एक गंभीर विमर्श को रोचक बनाते हुए आपने लघुकथा का अच्छा ताना बाना बुना है।…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सौरभ सर, आपको मेरा प्रयास पसंद आया, जानकार मुग्ध हूँ. आपकी सराहना सदैव लेखन के लिए प्रेरित…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय  लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार. बहुत…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहजाद उस्मानी जी, आपने बहुत बढ़िया लघुकथा लिखी है। यह लघुकथा एक कुशल रूपक है, जहाँ…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"असमंजस (लघुकथा): हुआ यूॅं कि नयी सदी में 'सत्य' के साथ लिव-इन रिलेशनशिप के कड़वे अनुभव…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब साथियो। त्योहारों की बेला की व्यस्तता के बाद अब है इंतज़ार लघुकथा गोष्ठी में विषय मुक्त सार्थक…"
Thursday
Jaihind Raipuri commented on Admin's group आंचलिक साहित्य
"गीत (छत्तीसगढ़ी ) जय छत्तीसगढ़ जय-जय छत्तीसगढ़ माटी म ओ तोर मंईया मया हे अब्बड़ जय छत्तीसगढ़ जय-जय…"
Thursday
LEKHRAJ MEENA is now a member of Open Books Online
Wednesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service