For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

चुनरी निचोड़ रही थी।

बस सबको पीछे छोड़ रही थी, बिलकुल सरपट दौड़ रही थी।
कीर्तिमान कई तोड़ रही थी, दोनों में लग होड़ रही थी।
चालक- परिचालक दोनों में
बस के चारों ही कोनों में
मची हुई होड़ा-होड़ी थी
सब्र सभी ने छोड़ी थी
इंद्रजाल का पाश पड़ा था
या फिर कोई नशा चढ़ा था
जिसने एक झलक भी पा ली
रह गया ठिठक कर वहीँ खड़ा था
कसी हुई थी जींस कमर पर, थी कुर्ती ढीली-ढाली।
जिसमे छलक-छलक जाती थी,यौवन-मदिरा की प्याली।
हर एक कंठ में प्यास जगी, कुछ ऐसी बनी कहानी।
संत फकीरों तक के मुँह का , सूख गया था पानी।
अभी चढ़ी ही थी बस में , सर्वांग सुंदरी बाला।
भ्रमर हृदयों को आज कली ने, खंड-खंड कर डाला .
कितनी सीटें रिक्त पड़ी थी , सबको छोड़ दिया।
चालक-केबिन में जा बैठी, उर ही तोड़ दिया।
जाते ही चालक से बातें दो चार करी
चालक की उम्मीदों ने मानों हुँकार भरी
चालक की आँखें चमक उठी, जब दसन-द्युति को देखा।
आज विधाता नें खोला है, उसकी किस्मत का लेखा।
कण्डक्टर ने भी दाँव लगाया, बोला टिकट दिखाओ।
थोड़ा सरको, जगह बनाओ, मुझको निकट बिठाओ।
बस में चढ़ी हुई थी गबरू , एक से एक सवारी
चालक-परिचालक की जोड़ी लेकिन, आज पड़ी थी भारी
केबिन का शीशा बंद, पर्दा भी ढल गया।
सवारियों का रश्क़, शक़ में बदल गया।
फुसफुसाहट कब शोर बन गयी
सवारियों की , केबिन से ठन गयी
आखिर शीशा खुला, पर्दा हटा
सामने थी फिर रूप की छटा
लपेट कर ऊँगली, चुनरी निचोड़ रही थी
कीर्तिमान कई तोड़ रही थी, दोनों में लग होड़ रही।
बस सरपट दौड़ रही थी, सबको पीछे छोड़ रही थी।
गंगा धर शर्मा 'हिंदुस्तान'
अजमेर।
मौलिक व अप्रकाशित

Views: 428

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on September 4, 2014 at 5:21pm

इस प्रस्तुतो के लिए आपको बधाइयाँ , आदरणीय |

Comment by Shyam Narain Verma on September 3, 2014 at 11:16am

" बहुत  ही सुन्दर भावात्मक प्रस्तुति .. बधाई  

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदरणीया प्रतिभा जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। आपने सही कहा…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"जी, शुक्रिया। यह तो स्पष्ट है ही। "
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"सराहना और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार आदरणीय उस्मानी जी"
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"लघुकथा पर आपकी उपस्थित और गहराई से  समीक्षा के लिए हार्दिक आभार आदरणीय मिथिलेश जी"
yesterday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आपका हार्दिक आभार आदरणीया प्रतिभा जी। "
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"लेकिन उस खामोशी से उसकी पुरानी पहचान थी। एक व्याकुल ख़ामोशी सीढ़ियों से उतर गई।// आहत होने के आदी…"
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"प्रदत्त विषय को सार्थक और सटीक ढंग से शाब्दिक करती लघुकथा के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें आदरणीय…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदाब। प्रदत्त विषय पर सटीक, गागर में सागर और एक लम्बे कालखंड को बख़ूबी समेटती…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीय मिथिलेश वामनकर साहिब रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर प्रतिक्रिया और…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"तहेदिल बहुत-बहुत शुक्रिया जनाब मनन कुमार सिंह साहिब स्नेहिल समीक्षात्मक टिप्पणी और हौसला अफ़ज़ाई…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदरणीया प्रतिभा जी प्रदत्त विषय पर बहुत सार्थक और मार्मिक लघुकथा लिखी है आपने। इसमें एक स्त्री के…"
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"पहचान ______ 'नवेली की मेंहदी की ख़ुशबू सारे घर में फैली है।मेहमानों से भरे घर में पति चोर…"
Tuesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service