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क्या जीवन है/हाइकू (प्रयास)

बालू का स्थल
जालाभास रश्मि से
तपती प्यास
------------------

प्रीति सुमन
नागफनी का बाग
व्यर्थ खोजना
------------------

तृप्ति कामना
घी दहकाए ज्वाला
पूर्ति आहुति
-------------------

जीवन यात्रा
हर क्षण रहस्य
रोना या गाना
-------------------
गन्तव्य कहाँ!
लमकन जारी है
क्या जीवन है?
-विन्दु (मौलिक,अप्रकाशित)

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Comment

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Comment by Vindu Babu on April 28, 2013 at 4:01pm
आपने प्रत्येक रचना का अनुमोदन किया,यह देखकर बहुत अच्छा लगा।
सादर आभार आदरणीय
Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on April 26, 2013 at 2:32pm

प्रीति सुमन
नागफनी का बाग
व्यर्थ खोजना

अति सुन्दर 

बधाई,

आदरणीया वंदना जी , सादर 

Comment by Vindu Babu on April 14, 2013 at 9:50am
परम् आदरणीय सौरभ पाण्डेय महोदय आपने अवलोकन किया मेरा प्रयास सार्थक हुआ।
आपका बहुत आभार!
सादर
Comment by Vindu Babu on April 14, 2013 at 9:48am
आदरेया सावित्री राठौर आपकी प्रतिक्रिया हमारा सम्बल है।
सादर आभार आपका!

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on April 14, 2013 at 7:48am

आदरणीया वन्दनाजी, आपकी हाइकु-रचनाएँ प्रभावी हैं.सादर बधाइयाँ.

Comment by Savitri Rathore on April 7, 2013 at 3:05pm

प्रीति सुमन
नागफनी का बाग
व्यर्थ खोजना
------------------
अतिसुन्दर विन्दु जी !

Comment by Vindu Babu on April 6, 2013 at 10:18am
आदरणीय रक्ताले महोदय सादर अभिनन्दन!
आपने मेरे प्रयास का अवलोकन किया इसके लिए सादर आभार.
Comment by Ashok Kumar Raktale on April 5, 2013 at 8:45pm

आदरणीया सादर, बहुत सुन्दर हाइकु, बधाई स्वीकारें.

Comment by Vindu Babu on April 5, 2013 at 8:29pm
आदरेया आपकी प्रतिक्रिया मेरा सौभाग्य है।
पहले प्रयास मे आपके अमूल्य सुझाव पर पर सुधार लाने का प्रयास किया,अब आपके इस सुझाव का भी विशेष ध्यान रखने की कोशिश रहेगी।
महोदया पुन: कहुंगी कि यहां उपस्थित होने का मेरा पहला उद्देश्य सीखना ही है। आपके सस्नेह सहयोग के लिए सादर आभार!

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on April 5, 2013 at 7:24pm

बहुत सुन्दर हायकू लिखे हैं आ० वंदना जी.

कथ्य सांद्रता हायकू का विशिष्ट गुण है...जिससे भरपूर हैं यह हायकू , हार्दिक बधाई स्वीकार करें 

हायकू के शिल्प के बारे में एक बात सांझा करना चाहूंगी, "यदि पहली और तीसरी पंक्ति समतुकांत हो तो हायकू कई गुना निखर उठते हैं."

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