For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

पत्थरों के शहर में शीशे का घर मेरा भी है

पत्थरों के शहर में शीशे का घर मेरा भी है।

खौफ़ में साये में जीने का हुनर मेरा भी है॥

क़त्ल, दहशत, बम धमाके, हैं दरिंदे हर तरफ,

वहशतों के दौर में मुश्किल सफ़र मेरा भी है॥

देखना है कब तलक लेगा मेरा वो इम्तहान,

प्यार की बाज़ी में सब कुछ दांव पर मेरा भी है॥

मुड़ के अब तो देखने की तुमको ही फुर्सत नहीं,

कारवां के साथ तेरे एक सर मेरा भी है॥

उम्रभर रोती हैं आँखें बच के रहिए इश्क़ से,

ये तजुर्बा था किसी का अब मगर मेरा भी है॥

हर तरफ सहरा है रस्ते गुम हैं मंज़िल लापता,

और उसपे बेख़बर अब राहबर मेरा भी है॥

हो गया है क़त्ल उसका चुप रही इंसानियत,

जब परिंदे ने कहा के ये शज़र मेरा भी है॥

तुझको दुनिया चाँद से तशवीह देती है मगर,

इस हंसीं रुख़सार पर कुछ तो असर मेरा भी है॥

इश्क़ के मारों में “सूरज” तू अकेला ही नहीं,

हुस्न के बाज़ार में खूने-जिगर मेरा भी है॥

डॉ॰ सूर्या बाली “सूरज”

(मौलिक और अप्रकाशित)

Views: 890

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by डॉ. सूर्या बाली "सूरज" on March 16, 2013 at 12:03am

सौरभ जी सादर नमस्कार ! आपकी उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया मिली यही क्या कम है...लेट लतीफ़ तो हो ही जाता है....ग़ज़ल आप के दिल तक पहुंची ...आपकी दाद मिली अच्छा लगा। साभार 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on March 15, 2013 at 10:54pm

डॉक्टर साहब..  बधाई-बधाई-बधाई !

सारा कुछ इस मुआफ़ी के साथ कि आपकी ग़ज़ल पर देर से पहुँच पा रहा हूँ.

सारे शेर आपकी शैली को संतुष्ट करते हुए हैं.   लेकिन इस शेर को विशेष रूप से कोट कर रहा हूँ -

तुझको दुनिया चाँद से तशवीह देती है मगर,
इस हंसीं रुख़सार पर कुछ तो असर मेरा भी है॥  .. . .  अह्हाह !

दिल जीत लिया, आदरणीय भाई आपने.. .

Comment by डॉ. सूर्या बाली "सूरज" on March 13, 2013 at 2:25pm

जवाहर भाई और संदीप जी आप दोनों का हौसला आफजाई के लिए बहुत बहुत शुक्रिया ...

साभार सूरज 

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on March 13, 2013 at 7:19am

वाह सर जी वाह

अभी इसी जमीं पे वीनस सर जी ग़ज़ल पढ़ कर आ रहा हूँ

आपने भी कमाल किया है साहब

इक इक शेर तराशा हुआ
हर शेर पे दाद क़ुबूल कीजिये सर जी

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on March 13, 2013 at 5:03am

इश्क़ के मारों में “सूरज” तू अकेला ही नहीं,

हुस्न के बाज़ार में खूने-जिगर मेरा भी है॥

वाह वाह डॉ. साहब, क्या बात कही है!

Comment by डॉ. सूर्या बाली "सूरज" on March 12, 2013 at 8:15pm

राजेश जी आपका बहुत बहुत शुक्रिया। 

Comment by राजेश 'मृदु' on March 12, 2013 at 5:30pm

बहुत ही अच्‍छी गज़ल कहीं है आपने डॉ0 साहब, दिली दाद

Comment by डॉ. सूर्या बाली "सूरज" on March 12, 2013 at 12:44pm

डॉ प्राची जी आपका बहुत बहुत शुक्रिया।

Comment by डॉ. सूर्या बाली "सूरज" on March 12, 2013 at 12:44pm

ब्रजेश जी, सतवीर जी दिनेश और राम शिरोमणि जी आप सभी की दिली दाद मिली और हौसला आफजाई किया इसलिए आप सभी का तहे दिल से शुक्रिया अदा करता हूँ ।आपको ग़ज़ल पसंद आई मेरी भी मेहनत सार्थक हुई। आप सभी का पुनः आभार !

Comment by ram shiromani pathak on March 12, 2013 at 11:10am

आदरणीय डॉ. सूरज बाली जी,वाह क्या बात! बहुत बेहतरीन! 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 186 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का मिसरा आज के दौर के…See More
5 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"  क्या खोया क्या पाया हमने बीता  वर्ष  सहेजा  हमने ! बस इक चहरा खोया हमने चहरा…"
6 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"सप्रेम वंदेमातरम, आदरणीय  !"
6 hours ago
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
yesterday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
Friday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
Friday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Wednesday
anwar suhail updated their profile
Dec 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Dec 5
ajay sharma shared a profile on Facebook
Dec 4
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Dec 1
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service