मान है,सम्मान है.
पर ईमान नही.
धन है दौलत है,
पर नियत नही.
चाह आसमान में उड़ने की,
पर मेहनत नही.
मंजिले है राहे है,
पर मुसाफ़िर नही.
मंदिर है भगवान है,
पर भक्त नही.
माँ है बाप है ,
पर सेवा नही.
भाई है बहन है,
पर प्यार नही.
नेता है भ्रष्टाचार है,
पर विकास नही.
संत है सत्संग है,
पर सत्संगति नही.
जन्म है मृत्यु है,
पर भय नही.
Comment
आदरणीय विजय भाई सादर प्रणाम..रचना को सराहने के लिए आपका हार्दिक धन्यवाद ..
आपका हार्दिक धन्यवाद डॉ. स्वर्ण जी
कलियुग पर बहुत बढ़िया भावपूरण आलेख
आदरणीया आरती जी:
न जाने कैसे यह रचना पढ़ने से रह गई थी।
आरती जी, इस कविता में शब्दों की सरलता इसे
और भी सुन्दर बना रही है।
आपको बधाई।
सादर,
विजय निकोर
आपका बहुत बहुत धन्यवाद मैम ...
संत है सत्संग है,
पर सत्संगति नही.
जन्म है मृत्यु है,
पर भय नही.---बिलकुल सही कहा बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति बधाई आरती जी
आपको मेरी रचना पसंद आई .....धन्यवाद सर ..
सुंदर भाव लिए उम्दा रचना ...
बहुत खूब ... आरती जी
बहुत बहुत धन्यवाद सर..
सादर,कलियुग को परिभाषित करती सुन्दर रचना के साथ आपका स्वागत है आदरणीया आरती शर्मा जी.
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
    © 2025               Created by Admin.             
    Powered by
     
    
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online