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वाह -वाह क्या बात है !

काव्यगोष्ठी , परिचर्चा
कभी किसी विषय का विमोचन ,
आये दिन होते रहते
कविता पाठ के मंचन .
बाज़ न आते आदत से
ये कवियों की जो जात है .
वाह -वाह क्या बात है !
वाह -वाह क्या बात है !

इन्हें आदत है बोलने की
ये बोलते जायेंगे ,
हमारा क्या है , हम भी
सुनेंगे , ताली बजायेंगे .
पल्ले पड़े न पड़े , कोई फर्क नहीं
बस ढiक का तीन पात है .
वाह -वाह क्या बात है !
वाह -वाह क्या बात है !

ये निठल्ले , निकम्मे कवि
बे बात के ही पड़ते गले ,
बंद कमरों में कलम चला
जन क्रांति करने चले .
समाज सुधारेंगे ये क्या भला
जिनकी खुद की नहीं कोई औकात है .
वाह -वाह क्या बात है !
वाह -वाह क्या बात है !

पर ऐसा नहीं है मित्रों
ज़रा उबरो इस सोच से ,
देश उत्थान मंद ना पर जाए
साहित्य के मांग की लोच से .
ऐसी बातों से पहुँचता
दिल को बड़ा आघात है .
वाह -वाह क्या बात है !
वाह -वाह क्या बात है !

कलम की क्रांति होगी , बेशक
जन आन्दोलन होगा ,
जागेगी जनता निश्चय ही
भ्रस्ताचार उन्मूलन होगा .
मिट जायेगी ये अज्ञानता की
जो काली अँधेरी रात है .
वाह -वाह क्या बात है !
वाह -वाह क्या बात है !

प्रवीण "सागर"
(09311788846)

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Comment

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सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on November 8, 2012 at 3:55pm

प्रवीण सागर जी कविता हास्य व्यंग्य का पुट लेकर चली चलते चलते गंभीर मुद्दे पर एक सार्थक सन्देश की और बढ़ चली अंदाज बहुत अच्छा लगा बेहतरीन सोच के लिए बधाई 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on November 7, 2012 at 7:15pm

एकदम से शुरु हो कर रचना अपने कहे को स्थापित करना चाहती है और अचानक गंभीर हो जाती है.

प्रयासरत रहें, भाईजी.

Comment by रविकर on November 5, 2012 at 5:31pm

बधाई आदरणीय |
एक तुरंती -

ताली गाली से सदा, इनका सरोकार |
बाता-बाती में नहीं, कोई पाए पार |
कोई पाए पार, मगर लीडर दे टक्कर |
लफ्फाजी व्यापार, काम इक करता हटकर |
खोज माल असबाब, खजाना करता खाली |
लेकिन कवि की जात, खोज नहीं पाता ताली ||

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on November 4, 2012 at 6:17pm

कलम की ताकत का भान भक्ति काल में जो हुआ वह हम सबके सामने है |प्रथ्वी राज चौहान और महाराणा प्राताप जैसे शेर में भी क्रन्तिकारी परिवर्तन हुआ है कलम की ताकत का सुन्दर शब्दों में बखान करने पर बधाई भाई प्रवीण सिंह जी 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on November 4, 2012 at 3:09pm

कलम की क्रांति होगी , बेशक 
जन आन्दोलन होगा ,
जागेगी जनता निश्चय ही 
भ्रस्ताचार उन्मूलन होगा .
मिट जायेगी ये अज्ञानता की 
जो काली अँधेरी रात है .
वाह -वाह क्या बात है !................कलम की क्रांतिकारी ताकत को सुन्दर शब्द मिले है.

हार्दिक बधाई इस अभिव्यक्ति पर आ. प्रवीण सिंह जी 


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on November 4, 2012 at 11:21am

//जागेगी जनता निश्चय ही
भ्रष्टाचार उन्मूलन होगा .
मिट जायेगी ये अज्ञानता की
जो काली अँधेरी रात है .//
वाह बातों बातों में क्या बात कही है, वाह -वाह क्या बात है, बधाई स्वीकार करें प्रवीण सागर जी |

Comment by PHOOL SINGH on November 3, 2012 at 2:47pm

 प्रवीण जी नमस्कार

कमाल की रचना.....बधाई.......

फूल सिंह

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