For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

गीत -६ ( लक्ष्मण धामी "मुसाफिर")

रूठ रही नित गौरय्या  भी, देख प्रदूषण गाँव में।
दम घुटता है कह उपवन की, छितरी-छितरी छाँव में।।
*
बीते युग की बात हुए हैं
घास-फूँस औ' माटी के घर।
सूने - सूने, फीके - फीके
खेतों खलिहानों के मञ्जर।।
*
अन्तर जैसे पाट दिया है, आज नगर औ' गाँव में।
दम घुटता है अब उपवन की, छितरी-छितरी छाँव में।।
*
शेष हुए हैं देशी व्यञ्जन,
और  विदेशी  रीत  हुए।
तीजों - त्यौहारों से गायब,
परम्परा  के  गीत हुए।।
*
लगता  जैसे  आन  बसे  हों, किसी  विदेशी  ठाँव में।
दम घुटता है अब उपवन की, छितरी-छितरी छाँव में।।
*
रिश्तों से अपनापन रूठा,
बिछड़ी हँसी ठिठोली है।
मोबाइल में बचपन खोया
शेष नहीं हमजोली है।।
*
स्वागत-अभिनन्दन बिसराकर, शूल चुभोते पाँव में।
दम घुटता है अब उपवन की, छितरी-छितरी छाँव में।।
*
रीत नगर की अपना बैठे
आगन आगन भीत यहाँ।
कोयल मोर पपीहा चातक
नहीं सुनाते गीत यहाँ।।
*
कलरव जो भी कर्णप्रिय था, बदला कर्कस काँव में।
दम घुटता है अब उपवन की, छितरी-छितरी छाँव में।।
*
मौलिक/अप्रकाशित
लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

Views: 307

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on December 28, 2022 at 6:17am

आ. भाई बृजेश जी, सादर अभिवादन। गीत पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक धन्यवाद।

औ' का प्रयोग छन्दों में भी कई जगह होते देखा है अतः प्रयोग किया है। उचित अनुचित के संदर्भ में आदरणीय भाई सौरभ जी से मार्गदर्शन की अपेक्षा है।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on December 28, 2022 at 6:11am

आ. भाई समर जी सादर अभिवादन। आपको गीत भाया, लेखन सफल हुआ। स्नेह के लिए आभार।

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on December 15, 2022 at 6:42pm

आदरणीय धामी जी बहुत सुन्दर गीत लगा...व्याकरण भी लिखे होने से थोड़ा ज्ञान वर्धन हो जाता है...आदरणीय एक-दो जगह "औ" शब्द का इस्तेमाल किया है...क्या छंदों में मात्रा पतन की इजाजत है?कृपया संशय दूर करें...सादर

Comment by Samar kabeer on December 14, 2022 at 3:25pm

जनाब लक्ष्मण धामी जी आदाब, अच्छा गीत लिखा आपने, बधाई स्वीकार करें I 

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on December 10, 2022 at 6:23pm

आ. भाई सुरेंद्र जी, सादर अभिवादन। गीत पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक धन्यवाद।

Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on December 10, 2022 at 5:36pm
बहुत सुन्दर गीत, रिश्तों से अपनापन रूठा, बिछड़ी हंसी ठिठोली है..
..आंगन आंगन भीत यहां। सब बदल गया
राधे राधे

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

AMAN SINHA posted blog posts
1 hour ago
Aazi Tamaam posted a blog post

ग़ज़ल: सही सही बता है क्या

1212 1212सही सही बता है क्याभला है क्या बुरा है क्यान इश्क़ है न चारागरतो दर्द की दवा है क्यालहू सा…See More
1 hour ago
Sushil Sarna posted blog posts
1 hour ago
दिनेश कुमार posted blog posts
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-161
"आ. प्रतिभा बहन अभिवादन व हार्दिक आभार।"
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-161
"आदरणीया प्रतिभा पाण्डे जी सादर, प्रस्तुत ग़ज़ल की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार. सादर "
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-161
"हार्दिक आभार आदरणीय भाई लक्षमण धामी जी. सादर "
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-161
"आ. भाई अशोक जी, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और प्रशंसा के लिए आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-161
"आ. प्रतिभा बहन, सादर अभिवादन। सुन्दर गीत हुआ है। हार्दिक बधाई।"
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-161
" आदरणीय अशोक जी उत्साहवर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार "
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-161
"  कोई  बे-रंग  रह नहीं सकता होता  ऐसा कमाल  होली का...वाह.. इस सुन्दर…"
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-161
"बहुत सुन्दर दोहावली.. हार्दिक बधाई आदरणीय "
yesterday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service