For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

2122 1212 22/112

जितनी क़िस्मत में थी लिखी रोटी
सबको उतनी ही मिल सकी रोटी

मुफ़्लिसी, भूख, दर्द, दुख, आंसू
हां, बहुत कुछ है बोलती रोटी

याद परदेस में भी आती है
मां के हाथों की वो बनी रोटी

ज़ाइक़ा कुछ अलग ही है इनका
वो नमक-मिर्च, वो दही-रोटी

रो रहा है सड़क पे इक बच्चा-
'दो दिनों से नहीं मिली रोटी'

कीं बहुत 'ज़ैफ़' कोशिशें हमने
बन न पाई वो गोल-सी रोटी

(मौलिक/अप्रकाशित)

Views: 360

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Zaif on November 19, 2022 at 4:24pm

आ. सौरभ सर, बहुत शुक्रिया आपका। सादर।


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on November 19, 2022 at 8:39am

कीं बहुत 'ज़ैफ़' कोशिशें हमने
बन न पाई वो गोल-सी रोटी.. 

बहुत कमाल का शेर बन पड़ा है, भाई जैफ जी. 

प्रयासरत रहें और प्रयास करें, रदीफ कुछ नया-सा हो जिससे कहन को नये आयाम मिल सकें. 
शुभ-शुभ

Comment by Zaif on November 18, 2022 at 7:16pm

आ. लक्ष्मण जी, बहुत शुक्रिया। सादर।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on November 16, 2022 at 6:44pm

आ. भाई जैफ जी, अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई।

Comment by Zaif on November 12, 2022 at 1:24am

रचना मैम, बहुत शुक्रिया आपका।

Comment by Rachna Bhatia on November 10, 2022 at 2:12pm

वाह वाह बहुत ख़ूब ग़ज़ल हुई बधाई।

Comment by Zaif on November 8, 2022 at 11:11pm

बहुत शुक्रिया समर सर जी, आभार।

Comment by Samar kabeer on November 8, 2022 at 5:24pm

जनाब ज़ैफ़ जी आदाब, ग़ज़ल का अच्छा प्रयास है, बधाई स्वीकार करें ।

हां--'हाँ'

मां--'माँ'

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"अच्छी ग़ज़ल हुई आ बधाई स्वीकार करें सातवाँ थोड़ा मरम्मत चाहता है"
2 minutes ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"बहुत ख़ूब। समझदार को इशारा काफ़ी। आप अच्छा लिखते हैं और जल्दी सीखते हैं। शुभकामनाएँ"
3 minutes ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"जी बहुत बहुत शुक्रिया आ ज़र्रा-नवाज़ी का"
11 minutes ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"जी बहुत बहुत शुक्रिया आ ज़र्रा-नवाज़ी का"
11 minutes ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"जी बहुत बहुत शुक्रिया आ ज़र्रा-नवाज़ी का"
12 minutes ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"बारीकी से इस्लाह व ज़र्रा-नवाज़ी का बहुत बहुत शुक्रिया आ इक नज़र ही काफी है आतिश-ए-महब्बत…"
13 minutes ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय अमित जी अच्छी ग़ज़ल हुई। बधाई स्वीकार करें"
27 minutes ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय महेंद्र जी अच्छी ग़ज़ल हुई। बधाई स्वीकार करें"
30 minutes ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय आज़ी जी अच्छी ग़ज़ल हुई। बधाई स्वीकार करें"
31 minutes ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय अमीर जी अच्छी ग़ज़ल हुई। बधाई स्वीकार करें"
32 minutes ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय चेतन जी अच्छी ग़ज़ल हुई। बधाई स्वीकार करें"
33 minutes ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय लक्ष्मण जी अच्छी ग़ज़ल हुई। बधाई स्वीकार करें"
33 minutes ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service