For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मेरे  वतन पे  आते हैं सारे जहाँ से लोग - सलीम रज़ा रीवा

221 2121 1221 212
.......
मेरे  वतन  में  आते  हैं  सारे  जहाँ  से लोग.
रहते हैं इस ज़मीन पे अम्न-ओ-अमाँ से लोग.
..
लगता है कुछ खुलुसो  महब्बत मे है कमी.
क्यूं उठ के जा रहे हैं बता दरमियाँ से लोग.
..
तेरा  ख़ुलूस  तेरी  महब्बत  को  देखकर.
जुड्ते  गये हैं आके  तेरे  कारवाँ  से लोग.
..
कैसा  ये  कह्र   कैसी   तबाही   है    खुदा.
बिछ्डे हुए हैं अपनो से अपने मकाँ से लोग.
..
हिन्दी अगर है जिस्म तो उर्दू है उसकी जान .
करते  हैं  प्यार आज भी  दोनों ज़बाँ से लोग.
..
नज़्र-ए-फ़साद  होता रहा घर  मेरा '' रज़ा ''
निकले नहीं मुहल्ले में अपने मकां से लोग.
...........
मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 1114

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by SALIM RAZA REWA on October 7, 2017 at 8:36pm

आली जनाब समर साहिब ,आपकी नज़रों से ग़ज़ल गुज़रने के बाद और भी हसीन हो गई है ,
महब्बत के लिए बहुत बहुत शुक्रिया।

Comment by SALIM RAZA REWA on October 7, 2017 at 8:34pm

जनाब सुशील शर्मा साहिब ,
महब्बत के लिए बहुत बहुत शुक्रिया।

Comment by Samar kabeer on October 7, 2017 at 5:07pm
मेरे कहे को मान देने के लिये धन्यवाद ।
Comment by Sushil Sarna on October 7, 2017 at 4:34pm

मेरे वतन में आते हैं सारे जहाँ से लोग.
रहते हैं इस ज़मीन पे अम्न-ओ-अमाँ से लोग.
..
लगता है कुछ खुलुसो महब्बत मे है कमी.
क्यूं उठ के जा रहे हैं बता दरमियाँ से लोग.

वाह आदरणीय जी बहुत ही दिलकश अशआर कहे हैं आपने। इस बेहतरीन ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई सर।

Comment by SALIM RAZA REWA on October 7, 2017 at 9:55am
आ. दीदी राजेश कुमारी जी,
आपकी नज़रे इनायत के लिए शुक्रिया, इस नाचीज़ पर करम बनाए रखे,
Comment by SALIM RAZA REWA on October 6, 2017 at 7:10pm
जनाब तस्दीक़ साहब,
आपकी मुहब्बत का तलबगार
...
Comment by SALIM RAZA REWA on October 5, 2017 at 5:37pm
जनाब अफरोज साहब,
आपकी नज़रे इनायत के लिए शुक्रिया आपके मशविरे का इंतज़ार था,
Comment by Afroz 'sahr' on October 5, 2017 at 3:57pm
जनाब सलीम रज़ा साहिब ख़ूबसूरत ग़ज़ल के लिए आपको बहुत बधाई,,,,,,
Comment by SALIM RAZA REWA on October 5, 2017 at 12:31pm
शुक्रिया मशविरे के मुताबिक बदलाव कर दिया जाएगा.
Comment by Samar kabeer on October 5, 2017 at 11:32am
नहीं किया जा सकता ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर updated their profile
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार.. बहुत बहुत धन्यवाद.. सादर "
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय। "
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आपका हार्दिक आभार, आदरणीय"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय दयाराम जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। हार्दिक आभार। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ पांडेय सर, बहुत दिनों बाद छंद का प्रयास किया है। आपको यह प्रयास पसंद आया, जानकर खुशी…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय आदरणीय चेतन प्रकाशजी मेरे प्रयास को मान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। हार्दिक आभार। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, प्रदत्त चित्र पर बढ़िया प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा जी, प्रदत्त चित्र को शाब्दिक करती मार्मिक प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय दयाराम जी, प्रदत्त चित्र को शाब्दिक करते बहुत बढ़िया छंद हुए हैं। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय दयाराम मथानी जी छंदों पर उपस्तिथि और सराहना के लिये आपका हार्दिक आभार "
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी छंदों पर उपस्तिथि और सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार "
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service