For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

पत्नी चालीसा

जय जय जय पत्नी महरानी

महिमा आपकी किसी ने न जानी

जबसे घर में व्याह के आई

मची हुई हे खीचातानी

जय जय जय पत्नी महरानी

सास ससुर भये भयभीत

देवर ननद से जुडी न प्रीत

घर की बन बैठी तुम आका

फहरा दी हे विजय पताका

भोली भली दिखती थी आप

                                               निकली बहुत सायानी -------

  जय जय जय पत्नी महरानी

बक्त बेबक्त आपका डसना

भूल गए हम खुलकर हँसना

आजदी में लग गया बट्टा

बांध लिया गले में पट्टा

                    नतमस्तक हुए हम, करें आप मनमानी

जय जय जय पत्नी महरानी

हर दम आपका भय सताये

सपने में भी हमें डराये

घर में कभी चेन न पाए

शादी करके हम पछताये

               खुस थे हम शादी करके, पर ये तो हे कुर्बानी

जय जय जय पत्नी महरानी

हरदम आपके हुक्म बजाएं

फिर भी नाकारा कहलायें

तत्पर रहे खिदमत में आपकी

फिर भी आपको जीत न पायें

जोरू के गुलाम हुए हम

हो गए पानी पानी

जय जय जय पत्नी महरानी

Dr.Ajay Khare Aahat

             

Views: 14223

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by श्रीराम on December 18, 2012 at 12:15pm

so nice.......thanks

Comment by Ashok Kumar Raktale on December 18, 2012 at 11:00am

मधुर हास्य बिखेरते इस गीत पर सादर  बधाई स्वीकारें आद. अजय जी.

Comment by Dr.Ajay Khare on December 11, 2012 at 4:45pm

आदरणीय लाक्स्मन जी आपके आदेश का पालन करने की कोशिश करूँगा बस आप इसी तरह होसला अफजाई करते रहे 

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on December 11, 2012 at 4:13pm
अच्छी हास्य रचना बधाई डॉ खरे जी, अब सोचे इस से उलट  और लिखे प्रेम चालीसा -

जब से जयजय गान हुआ एक का 

बेडा गर्क हो गया  इस समाज का ।
जय जय तो हो, जो है जीवन संगिनी  
वह है अब तुम्हारी अभिन्न अंगिनी ।
एक दूजे को समझो अब भला इसीमे 
राधा संग प्रीत लगाओ भाल इसीमे में ।
Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on December 11, 2012 at 1:29pm

जय हो 

बधाई 

Comment by Dr.Ajay Khare on December 11, 2012 at 11:36am

jawahar lal ji  thanks for liking my rachna

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on December 11, 2012 at 4:40am

जोरू के गुलाम हुए हम

हो गए पानी पानी

जय जय जय पत्नी महरानी

अच्छी हास्य रचना!

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 186 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का मिसरा आज के दौर के…See More
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"  क्या खोया क्या पाया हमने बीता  वर्ष  सहेजा  हमने ! बस इक चहरा खोया हमने चहरा…"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"सप्रेम वंदेमातरम, आदरणीय  !"
yesterday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
Friday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
Friday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Wednesday
anwar suhail updated their profile
Dec 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Dec 5
ajay sharma shared a profile on Facebook
Dec 4
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Dec 1
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service