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आप दूध के धुले है

आप दूध के धुले है

आम सभा में बक्ता बोल रहा था
.भ्रष्टाचार की परते खोल रहा था .
प्रजातंत्र पर कर रहा था तीखे प्रहार
आक्रोश दिखा रहा था बारम्बार
.नेताओ पर जहर उगल रहा था
समीप खड़े नेता को खल रहा था
बार बार लगा रहा था एक ही अलाप
.नेता जी का सब्र दे गया जबाब .
चढ़ मंच पर बक्ता का थामा गिरेबान
क्यों कर रहा है तू .हमारा अपमान
बक्ता ने अक्ल लगाई
.नेता जी से जान बचाई
.बोला मेरा आशय .भ्रष्ट लोगो से हे
.आप नाहक हंगामा करने पर तुले हे
 आप खुद पर न ले .आप तो दूध के धुले है

DR.Ajay Khare Aahat








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Comment by Dr.Prachi Singh on December 12, 2012 at 12:49pm

कविता के पंक्तियों के शब्द प्रवाह ने पूरा सजीव चित्र उकेर दिया आखों के सामने, बहुत खूब व्यंग.

Comment by Dr.Ajay Khare on December 12, 2012 at 11:47am

aap sabhi ko hosla afjai ke liye sadhubad

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on December 12, 2012 at 4:17am

आदरणीय डॉ. अजय, नमस्कार!

बहुत ही सुन्दर कविता! उल्लेखनीय पंक्तियाँ - बोला मेरा आशय .भ्रष्ट लोगो से हे
.आप नाहक हंगामा करने पर तुले हे
 आप खुद पर न ले .आप तो दूध के धुले है.... बहुत खूब!

Comment by वीनस केसरी on December 12, 2012 at 1:54am

जय हो भाई
क्या खूब भिगो के मारा है :)))))))))))

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on December 11, 2012 at 5:45pm

 वाह वाह क्या बात है सुन्दर कटाक्ष किया है एक दम दुरुस्त आप तो दूध के धुले है 
बहुत बहुत बधाई आपको आदरणीय अजय जी

Comment by Dr.Ajay Khare on December 11, 2012 at 2:20pm

rajesh ji Sadhubaad

Comment by राजेश 'मृदु' on December 11, 2012 at 1:43pm

वाह जी बढि़या लिखा है

Comment by Dr.Ajay Khare on December 11, 2012 at 1:37pm

Pradeep ji rukhi sukhi miley bas isi me bhalai desh ke thekedaar bas kha rahe malai 

Comment by Dr.Ajay Khare on December 11, 2012 at 1:35pm

Manniya Pradeep ji hosla Afjai ke liye sadhubaad

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on December 11, 2012 at 1:10pm

सुन्दर रचना 

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