For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

निष्पक्षता -- डॉo विजय शंकर

कोई कितना भी काबिले तारीफ़ हो ,
हमें दिखाई देता नहीं ,
दुनिया उसे इनाम इकराम दे दे
तो हम भी फोटो ओटो
छपवा देते हैं उसकी ,
क़ि देखो एक देसी
कैसा नाम किया है देश का ॥
दो चार दिन ,बस ,ज्यादा नहीं ॥
बात पक्षपात की नहीं है ,
ऐसा न सोचियेगा , न कहियेगा ॥
क्योंकि जो अपराधी हैं ,
जो विदेशों में काला धन जमा किये हैं ,
वो भी तो हमें नहीं दिखाई देते ॥
हम अच्छे बुरे से ऊपर हैं,
सिर्फ अपना मतलब देखते हैं , बस ॥

मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 674

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Dr. Vijai Shanker on October 17, 2014 at 12:15am

बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय सविता मिश्रा जी , आपको रचना पसंद आई।  

Comment by savitamishra on October 16, 2014 at 7:43pm

मतलब की सारी दुनिया ...बहुत बढ़िया _/\_

Comment by Dr. Vijai Shanker on October 15, 2014 at 7:10pm
रचना की स्वीकरोक्ति के लिए आभार,आदरणीय डॉo गोपाल नारायण जी , बहुत बहुत धन्यवाद, सादर .
Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on October 15, 2014 at 6:11pm

हम अच्छे बुरे से ऊपर हैं,
सिर्फ अपना मतलब देखते हैं , बस ॥------- शाश्वतं वाक्यं  i

Comment by Dr. Vijai Shanker on October 15, 2014 at 5:48pm
रचना को स्वीकार कर आपने रचना की सार्थकता को मान दिया , आभार , आदरणीय लक्ष्मण रामानुज लडीवाला जी , आपकी पकड़ बिलकुल सही है , ऐसा एक बार नहीं हुआ है , न जाने कितनी बार हुआ है , क्योंकि हमारे काम करने के ढंग में दुसरे को स्वीकार करने की परम्परा है ही नहीं , और इस दिशा में हमारा कोई प्रयास भी नहीं है । बधाई हेतु धन्यवाद।
Comment by Dr. Vijai Shanker on October 15, 2014 at 5:42pm
" एक घटना हाल की सम्मुख दिखी मेरे अपने कैलाश सत्यार्थी को जो विश्व शांति नोबल पुरस्कार मिला, एक परिपेक्ष्य तो सही है ,दुसरे तो बहुत से उदहारण हो सकते हैं..आपने सच कहा..." बिलकुल सही पकड़ है आपकी आदरणीय हरी वल्लभ शर्मा जी . ऐसे न जाने कितने होंगें जिन्हें कोई पहचान मिली ही नहीं , या दी ही नहीं गयी . सारी सोच मैं पर ही केंद्रित है ,दूसरे को तो स्वीकार ही नहीं करना है वो कितना भी सार्थक काम क्यों न करे . जो मालिक बन के बैठे हैं उन्हें प्रतिभा की पहचान है भी नहीं , स्वार्थ और स्व से इतर दृष्टि जाती ही नहीं। रचना को आपकी स्वीकरोक्ति के लिए आभार , आपकी बधाई के लिए धन्यवाद।
Comment by Dr. Vijai Shanker on October 15, 2014 at 5:29pm
रचना को आपने स्वीकार किया , उसका मान बढ़ा , आभार आदरणीय इंजीo गणेश जी बागी जी , आपकी बधाई के लिए ह्रदय से धन्यवाद .
Comment by Dr. Vijai Shanker on October 15, 2014 at 5:24pm
सच कहा आपने आदरणीय खुर्शीद खैरादी जी, मतलबपरस्ती ने तो बाँध ही रखा है , साथ में यह भी है कि हम और हम ही हम , बस , दूसरा कोई नहीं ।
रचना को आपकी स्वीकरोक्ति मिली , आभार एवं बधाई के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।
Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on October 15, 2014 at 5:05pm

सत्य उजागर करती रचना के लिए बधाई डॉ विजय शंकर जी | हमारे देश में अभी हाल ही श्री कैलाश सथार्थी जी को बाल श्रम

पर ग्लोबल सम्मान नोबेल पुरस्कार मिला है | उन्हें कई विदेशों में जर्मनी, अमेरिका में पहले सराहा जा चुका है, लेकिन भारत साकार के पद्म पुरस्कार से वे अभी तक शायद वंचित रहे है | 

Comment by harivallabh sharma on October 15, 2014 at 4:47pm

एक घटना हाल की सम्मुख दिखी मेरे अपने कैलाश सत्यार्थी को जो विश्व शांति नोबल पुरस्कार मिला, एक परिपेक्ष्य तो सही है ,दुसरे तो बहुत से उदहारण हो सकते हैं..आपने सच कहा...हमें क्या?..बहुत बधाई आपको आदरणीय  Dr Vjai Shanker साहब..

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय सौरभ भाई , दिल  से से कही ग़ज़ल को आपने उतनी ही गहराई से समझ कर और अपना कर मेरी मेनहत सफल…"
18 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय सौरभ भाई , गज़ाल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका ह्रदय से आभार | दो शेरों का आपको…"
18 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"इस प्रस्तुति के अश’आर हमने बार-बार देखे और पढ़े. जो वाकई इस वक्त सोच के करीब लगे उन्हें रख रह…"
21 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय गिरिराज भाईजी, बहरे कामिल पर कोई कोशिश कठिन होती है. आपने जो कोशिश की है वह वस्तुतः श्लाघनीय…"
22 hours ago
Aazi Tamaam replied to Ajay Tiwari's discussion मिर्ज़ा ग़ालिब द्वारा इस्तेमाल की गईं बह्रें और उनके उदहारण in the group ग़ज़ल की कक्षा
"बेहद खूबसूरत जानकारी साझा करने के लिए तहे दिल से शुक्रिया आदरणीय ग़ालिब साहब का लेखन मुझे बहुत पसंद…"
yesterday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-177

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post पूनम की रात (दोहा गज़ल )
"धरा चाँद गल मिल रहे, करते मन की बात।   ........   धरा चाँद जो मिल रहे, करते मन…"
Monday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया
"आम तौर पर भाषाओं में शब्दों का आदान-प्रदान एक सतत चलने वाली प्रक्रिया है। कुण्डलिया छंद में…"
Monday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post अस्थिपिंजर (लघुकविता)
"जिन स्वार्थी, निरंकुश, हिंस्र पलों का यह कविता विवेचना करती है, वे पल नैराश्य के निम्नतम स्तर पर…"
Monday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"आदरणीय  उस्मानी जी डायरी शैली में परिंदों से जुड़े कुछ रोचक अनुभव आपने शाब्दिक किये…"
Jul 31
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"सीख (लघुकथा): 25 जुलाई, 2025 आज फ़िर कबूतरों के जोड़ों ने मेरा दिल दुखाया। मेरा ही नहीं, उन…"
Jul 30
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"स्वागतम"
Jul 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service