For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

कभी  मेरी धडकनों में स्वर तुम्हारे थे 
आज  मेरे स्वरों में तेरी धडकन है  
मेरी सरगम पे बजा करती थी तुम्हारी पायल 
आज बजती है कही सरगम तो करती घायल 
-------------------------------------------------------------
मेरे  घर से निकलने की आहट पे 
द्वार में आया तुम करती  
बरसों से खड़ा हूँ  दरवाजे पे 
आहट भी आया नहीं करती 
_________________________________
 
मेरे माथे की सिलवटों से नींद नहीं आये 
मेरे चेहरे  की शिकन से बेजार हो जाये 
ऐसे यार मुकद्दर से मिला करते हैं 
वो बिछड़ जाये तो हम गिला करते हैं
Ashish Srivastava( Sgar Sandhya ) 

Views: 430

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Ashish Srivastava on August 9, 2012 at 12:32pm

vandaniya yogi ji 

suprabhat ........ 

sahas badahne ke liye shukriya 

Comment by Ashish Srivastava on August 9, 2012 at 12:31pm

Aadreya sri rekha ji 

suprabhat

aapka hrday se aabhar prakat karata hun 

Comment by Ashish Srivastava on August 9, 2012 at 12:31pm

aadarniya bhramar ji 

waqt ke aage sabhi ko jhukna padta hai , hehehehhehe.

dhanwaayd

Comment by Ashish Srivastava on August 9, 2012 at 12:30pm

aadarniya rajesh ji 

suprabhat ....... aapke cmts aur likhne ka sahas bada dete hai , dhanywaad 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on August 9, 2012 at 8:32am

कभी  मेरी धडकनों में स्वर तुम्हारे थे 

आज  मेरे स्वरों में तेरी धडकन है  
मेरी सरगम पे बजा करती थी तुम्हारी पायल 
आज बजती है कही सरगम तो करती घायल --------------बहुत सुन्दर वक़्त के हालात को दर्शाते सभी मुक्तक शानदार हैं 
Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on August 9, 2012 at 12:40am

मेरे  घर से निकलने की आहट पे 

द्वार में आया तुम करती  
बरसों से खड़ा हूँ  दरवाजे पे 
आहट भी आया नहीं करती 
______________________
हाँ आशीष जी ऐसे भी दिन आ जाया करते हैं दिल को झेलना ही पड़ता है हरदम ..सुन्दर 
जय श्री राधे ...आभार 
भ्रमर ५ 
Comment by Rekha Joshi on August 8, 2012 at 10:52am

मेरे  घर से निकलने की आहट पे 

द्वार में आया तुम करती  
बरसों से खड़ा हूँ  दरवाजे पे 
आहट भी आया नहीं करती ,बहुत खूब आशीष जी ,बधाई 
Comment by Yogi Saraswat on August 8, 2012 at 9:56am
मेरे माथे की सिलवटों से नींद नहीं आये 
मेरे चेहरे  की शिकन से बेजार हो जाये 
ऐसे यार मुकद्दर से मिला करते हैं 
वो बिछड़ जाये तो हम गिला करते हैं
बहुत बढ़िया ! सुन्दर शब्द

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 186 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का मिसरा आज के दौर के…See More
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"  क्या खोया क्या पाया हमने बीता  वर्ष  सहेजा  हमने ! बस इक चहरा खोया हमने चहरा…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"सप्रेम वंदेमातरम, आदरणीय  !"
Sunday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
Friday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
Friday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Wednesday
anwar suhail updated their profile
Dec 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Dec 5
ajay sharma shared a profile on Facebook
Dec 4
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Dec 1
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service