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मालूम है कि सांप पिटारे में बंद है
फिर भी वॊ डर रहा है क्यूँ कि अक्लमंद है

.

ये रंग रूप, नखरे,अदा तौरे गुफ्तगू
तेरी हरेक बात ही मुझको पसंद है

.

ये दिल भी एक लय में धड़कता है दोस्तो
सांसो का आना जाना भी क्या खूब छंद है

.

सोचा था चंद पल में ही छू लूँगा बाम को
पर हश्र ये है हाथ में टूटी कमंद है

.

दुश्वारियों से जूझते गुजरी है ज़िन्दगी
अज्ञात फिर भी हौसला अपना बुलंद है

.

मौलिक एवं अप्रकाशित.

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Comment

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Comment by Dr Ashutosh Mishra on August 21, 2014 at 10:38am

ये दिल भी एक लय में धड़कता है दोस्तो
सांसो का आना जाना भी क्या खूब छंद है आदरणीय अजय जी .हर शेर शानदार है ..इस शेर के लिए बिशेष रूप से बधाई सादर 

Comment by भुवन निस्तेज on August 5, 2014 at 5:42pm

दुश्वारियों से जूझते गुजरी है ज़िन्दगी
अज्ञात फिर भी हौसला अपना बुलंद है

इस बुलन्द हौसले को सलाम.... 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on August 5, 2014 at 5:41pm

आदरणीय अजय भाई , खूब सूरत ग़ज़ल के लिये आपको बधाइयाँ ।

ये दिल भी एक लय में धड़कता है दोस्तो
सांसो का आना जाना भी क्या खूब छंद है  ---- लाजवाब , बधाई भाई जी ॥


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on August 5, 2014 at 12:32pm

//चूंकि ... की जगह... क्यूँ कि ... कैसा रहेगा //

चूँकि और क्यूँकि, इन दोनों का वज़न २ १ है. सो, कोई फ़र्क़ नहीं पड़ेगा. जबकि आपको ज़रूरत ऐसे शब्द की है जिसका वज़न १ २ (लघु गुरु या लाम ग़ाफ़) हो.
सादर


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on August 5, 2014 at 11:54am

ये दिल भी एक लय में धड़कता है दोस्तो
सांसो का आना जाना भी क्या खूब छंद है.........वाह वाह 

बहुत खूबसूरत अशआर हुए हैं.

बहुत बहुत बधाई आ० अजय अज्ञात जी 

Comment by savitamishra on August 5, 2014 at 9:46am

बहुत खूब आदरणीय

Comment by Ajay Agyat on August 5, 2014 at 7:18am

सौरभ भाईसाहिब .... आपके स्नेह का ऋणी हूँ 

चूंकि ... की जगह... क्यूँ कि ... कैसा रहेगा

उपयुक्त सलाह देने की कृपा करें 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on August 4, 2014 at 5:54pm

आपका स्वागत है आदरणीय अजय अज्ञातजी ! आपका आना रौनक का कारण होता है. ग़ज़ल प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें

ये दिल भी एक लय में धड़कता है दोस्तो
सांसो का आना जाना भी क्या खूब छंद है ... . बहुत खूब !

मतले का मिसरा-सानी आपकी एक दृष्टि मांगता है. कृपया देख लीजियेगा.  शब्द चूँकि  मुआफ़िक जगह पर शायद नहीं है.

हो सकता है मैं गलत होऊँ.  लेकिन मिसरे की तक्तीह कर लीजियेगा.

सादर

Comment by Ram Awadh VIshwakarma on August 3, 2014 at 12:44pm

khoobsoorat gazal ke liye badhai

Comment by Meena Pathak on August 2, 2014 at 3:13pm

बहुत खूब अज्ञात जी | सादर 

कृपया ध्यान दे...

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