For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल -जो तुम खामोशियाँ पढ़ लो नियामत और हो जाए

1222 1222 1222 1222
****
निगाहों से बुला लीजे शरारत और हो जाए ।
जो धड़कन में बसा लीजे इनायत और हो जाए।।

.

कलाई की अदा देखी कई पैगाम  देती है ।
जरा कंगन बजा दीजे कयामत और हो जाए।।

.

ये परवानों की महफ़िल है गिरा दीजे ज़रा चिलमन।

कहीं ऐसा न हो हमदम अदावत और हो जाए।।

.

दिलों को चैन हम देंगे जफ़ा से तौबा करने दो।
वफ़ा की राह में चाहे बगावत और हो जाए।।

.

मेरे ख़त में तड़पती है जमाल-ए-दीद की हसरत ।

जो तुम खामोशियाँ पढ़ लो तो नैमत और हो जाए ।।

निगाहें कर रही घायल लटों की ओट से तौबा।
जरा अलकें हटा लीजे इनायत और हो जाए ।।

.

"मौलिक व अप्रकाशित" 

Views: 790

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by अलका 'कृष्णांशी' on December 27, 2016 at 9:03pm

आदरणीय आशीष यादव जी ,आपको प्रयास पसन्द आया इसके लिए धन्यवाद। सादर

Comment by अलका 'कृष्णांशी' on December 27, 2016 at 9:02pm

आदरणीय डॉ गोपाल नारायण श्रीवास्तव जी , आपको प्रयास पसन्द आया इसके लिए धन्यवाद।

मैं अलका हूँ,अपने दोनों परिवारों और उनसे मिले सरनेम का आदर करती हूँ। मुझे मेरी पहचान मेरे हस्बैंड ललित जी के साथ पसन्द आती है इसलिए अलका ललित।
आ० मिथिलेश जी और आ० समर कबीर जी की आभारी हूँ ,उनकी सलाह अनुसार संशोधन किया है। सादर

Comment by अलका 'कृष्णांशी' on December 27, 2016 at 9:00pm

आदरणीय समर कबीर जी,शुभकामनाओं के लिए बहुत आभार आपका । प्रयास पर आपके मश्वरे के लिए भी तहेदिल से शुक्रिया।

उर्दू शब्द गूगल से ही ढूंढती हूँ इसलिए ज्यादा नहीं जानती।
आपके सुझाव अनुसार संशोधन किया है । सादर

Comment by Samar kabeer on December 25, 2016 at 9:15pm
मोहतरमा अलका ललित जी आदाब,ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है,मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं ।
बह्र तो आपने ख़ूब निभाई है,लेकिन चौथा शैर व्याकरण की वजह से मुह्मिल हो गया है:-
'दिलों को चैन हम देंगे जफ़ा से कर लिया तौबा'"तौबा"शब्द स्त्रीलिंग है, इसलिये मिसरा बेकार हो रहा हैं,आप चाहें तो इसे इस तरह किया जा सकता है:-
"दिलों को चैन हम देंगे जफ़ा से तौबा करने दो"।
पांचवें शैर का ऊला मिसरा भी गलत हो रहा है,दिखिये:-
'मेरे ख़त में तड़पती है मजाल-ए-दीद की हसरत'इस मिसरे में'मजाल-ए-दीद'अर्थ हीन है, आप शायद यूँ कहना चाहती हैं:-
"मेरे ख़त में तड़पती है जमाल-ए-दीद की हसरत"
इसी शैर के सानी मिसरे में क़ाफ़िया दोष है,'नियामत'उर्दू में कोई। शब्द ही नहीं है सही शब्द है "नैमत"आपका शैर यूँ कहना होगा :-
"मेरे ख़त में तड़पती है जमाल-ए-दीद की हसरत
जो तुम ख़ामोशियां पढ़ लो तो नैमत और हो जाए"
बाक़ी शुभ शुभ,प्रयासरत रहें,शुभकामनायें ।
Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on December 25, 2016 at 8:56pm

आ० यह गजल अलका जी का है या ललित जी का या फिर दोनों का सम्मिलित प्रयास है , जो भी हो बढ़िया कोशिश है . आ० मिथिलेश जी की सलाह पर अम्ल जरूर करें .

Comment by अलका 'कृष्णांशी' on December 24, 2016 at 5:41pm

आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी बहुत बहुत धन्यवाद।आपने समय दे कर बहुत ही अच्छे से detail में समझाया है बहुत शुक्रिया आपका। आपके मूल्यवान मश्वरे के लिए भी तहेदिल से शुक्रिया।
आपके सुझाव अनुसार संशोधन किया है । सादर


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on December 24, 2016 at 2:23am

आ. अलका ललित जी, आपकी किसी पहली प्रस्तुति से गुजर रहा हूँ. ओबीओ परिवार में हार्दिक स्वागत है. बहुत बढ़िया ग़ज़ल कही है. शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल फरमाएं. 

मतला बहुत बढ़िया हुआ है लेकिन यह भी अवश्य है कि मिसरा-ए-उला में लीजे का प्रयोग और मिसरा-ए-सानी में लो तो का प्रयोग अटपटा लग रहा है. या तो दोनों मिसरों में लीजे हो या लो तो 

कलाई की अदा देखि कई पैगाम है देती ।-------> कलाई की अदा देखी कई पैगाम  देती  है।

दिलों को दर् /द न देंगे /जफ़ा से कर /लिया तौबा ।------------> यह मिसरा बेबहर हो रहा है . न और ना दोनों वजन 1 मात्रा ही होता है.

1222        /1122  /  1222       / 1222

मजाले-ए-दीद को  मजाल-ए-दीद कर लीजियेगा 

इस शानदार ग़ज़ल पर दिल से दाद कुबूल फरमाएं. सादर 

Comment by आशीष यादव on December 23, 2016 at 1:06am
Bahut khoob.
Hasin ghazal

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Nilesh Shevgaonkar replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"ऐसे😁😁"
3 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"अरे, ये तो कमाल  हो गया.. "
4 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आदरणीय नीलेश भाई, पहले तो ये बताइए, ओबीओ पर टिप्पणी करने में आपने इमोजी कैसे इंफ्यूज की ? हम कई बार…"
4 hours ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आपके फैन इंतज़ार में बूढे हो गए हुज़ूर  😜"
5 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]
"आदरणीय लक्ष्मण भाई बहुत  आभार आपका "
7 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on गिरिराज भंडारी's blog post एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है । आये सुझावों से इसमें और निखार आ गया है। हार्दिक…"
8 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post मौत खुशियों की कहाँ पर टल रही है-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति, उत्साहवर्धन और अच्छे सुझाव के लिए आभार। पाँचवें…"
8 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]
"आदरणीय सौरभ भाई  उत्साहवर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार , जी आदरणीय सुझावा मुझे स्वीकार है , कुछ…"
8 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - वो कहे कर के इशारा, सब ग़लत ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय सौरभ भाई , ग़ज़ल पर आपकी उपस्थति और उत्साहवर्धक  प्रतिक्रया  के लिए आपका हार्दिक…"
8 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - वो कहे कर के इशारा, सब ग़लत ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय गिरिराज भाईजी, आपकी प्रस्तुति का रदीफ जिस उच्च मस्तिष्क की सोच की परिणति है. यह वेदान्त की…"
9 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . . उमर
"आदरणीय गिरिराज भाईजी, यह तो स्पष्ट है, आप दोहों को लेकर सहज हो चले हैं. अलबत्ता, आपको अब दोहों की…"
10 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आदरणीय योगराज सर, ओबीओ परिवार हमेशा से सीखने सिखाने की परम्परा को लेकर चला है। मर्यादित आचरण इस…"
10 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service