For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

नज़रिया - लघुकथा ---

नज़रिया - लघुकथा ---

अमर अपने सहपाठी के साथ घर से लगे लॉन में क्रिकेट खेल रहा था। उसके मित्र को प्यास लगी तो अमर अंदर पानी लेने चला गया। इसी बीच अमर की विधवा बुआजी तुलसी के पत्ते  लेने बाहर आईं।

"ए लड़के कौन हो तुम? यहाँ क्या कर रहे हो?"

"मैं अमर के साथ पढ़ता हूँ। उसने ही बुलाया था।"

"अमर के सभी दोस्तों को जानती हूँ।तुम्हें तो कभी नहीं देखा।"

"हाँ आँटी, मैं पहली बार आपके यहाँ आया हूँ।"

"क्या नाम हैं तुम्हारा?"

"असगर अली।"

"तुम मुसलमान हो?"

"जी।"

"जी के बच्चे, निकलो अभी यहाँ से।दोबारा इस घर के आसपास दिखे तो तुम्हारी टाँगें तोड़ दूंगी।"

वह छोटा सा बच्चा डर गया और तुरंत वहाँ से भाग निकला। इसी बीच अमर पानी लेकर आगया।

अब बुआजी अमर के ऊपर राशन पानी लेकर पिल पड़ीं,"खबरदार अमर, तुम ऐसे लड़कों से दोस्ती करते हो।"

"क्यों क्या हुआ बुआजी? असगर अली बहुत अच्छा लड़का है।हमेशा प्रथम आता है क्लास में।"

"अरे चुप करो। तुम कुछ नहीं जानते। वह मुसलमान है।"

"मैं कुछ समझा नहीं बुआजी।आप कहना क्या चाहती हैं?"

"मुसलमान काफ़िर और गद्दार होते हैं। बात बात पर खून खराबा करते हैं। देश के दुश्मन होते हैं।"

तभी अमर की माँ यह वार्तालाप सुनकर बाहर आ गयीं,"बुआजी आप यह क्या ज़हर घोल रही हो अमर के दिमाग में।"

"बहू रानी तुम तो सब कुछ जानती हो फिर भी अनजान बन रही हो।"

"मुझे सब पता है और अच्छी तरह याद भी है कि आप के वैधव्य का कारण एक मुसलमान ही था।लेकिन वह एक हादसा था।दुर्घटना थी।"

"जो भी था पर मेरा जीवन तो नष्ट हो गया।"

"बुआजी, एक घटना के कारण आप सारी कौम  को गुनहगार नहीं मान सकती। उस घटना के जहरीले बीज इन मासूमों के मन में मत रोपिये।इन्हें दुनियाँ को अपने नज़रिये से समझने दीजिये|"

मौलिक एवम अप्रकाशित

Views: 322

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by TEJ VEER SINGH on September 23, 2019 at 8:10pm

हार्दिक आभार आदरणीय समर कबीर साहब जी। आदाब।

Comment by Samar kabeer on September 23, 2019 at 2:33pm

जनाब तेजवीर सिंह जी आदाब,अच्छी लघुकथा लिखी आपने,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छंद  ______ जगमग दीपों वाला उत्सव,उत्साहित बाजार। जेब सोच में पड़ी हुई है,कैसे पाऊँ…"
8 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"चार पदों का छंद अनोखा, और चरण हैं आठ  चौपाई औ’ दोहा की है, मिली जुली यह ठाठ  विषम…"
8 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छंद * बम बन्दूकें और तमंचे, बिना छिड़े ही वार। आए  लेने  नन्हे-मुन्ने,…"
18 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
" प्रात: वंदन,  आदरणीय  !"
23 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छंद : रौनक  लौट बाजार आयी, जी   एस   टी  भरमार । वस्तुएं …"
23 hours ago
Admin replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"स्वागतम..."
yesterday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 184 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post "मुसाफ़िर" हूँ मैं तो ठहर जाऊँ कैसे - लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। विस्तृत टिप्पणी से उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार।"
Monday
Chetan Prakash and Dayaram Methani are now friends
Oct 13

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
""ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179 को सफल बनाने के लिए सभी सहभागियों का हार्दिक धन्यवाद।…"
Oct 13

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
""ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179 को सफल बनाने के लिए सभी सहभागियों का हार्दिक धन्यवाद।…"
Oct 13

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय जयहिंद रायपुरी जी, प्रदत्त विषय पर आपने बहुत बढ़िया प्रस्तुति का प्रयास किया है। इस…"
Oct 12

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service