For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

महाभुजंगप्रयात छंद में पहली रचना

नहीं वक़्त है ज़िन्दगी में किसी की, सदा भागते ही कटे जिन्दगानी
कभी डाल पे तो कभी आसमां में, परिंदों सरीखी सभी की कहानी
ख़ुशी से भरे चंद लम्हे मिले तो, गमों की मिले बाद में राजधानी
सदा चैन की खोज में नाथ बीते, किसी का बुढ़ापा किसी की जवानी।।

शिल्प-लघु-गुरु-गुरु (यगण)×8 

(मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 681

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by नाथ सोनांचली on May 7, 2019 at 3:26pm

आद0 सौरभ पांडेय जी सादर अभिवादन। ओ बी ओ पर आपके द्वारा दी गयी जानकारियों को पहले पढ़ा, फिर उन्हें आत्मसात करते हुए जब आगे बढ़ा तो कई छंद लिखते हुए महाभुजंग प्रयात छंद को साधना शुरू किया। आपकी कृपा और माँ पिता के आशीष से जब यह पहली रचना सध गयी तो काफी आत्मसंतोष हुआ। अवश्य आपके कहे अनुसार परिवर्तन को सोचूंगा। आपका हृदय तल से आभार। सादर


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on May 7, 2019 at 2:47pm

आदरणीय सुरेन्द्रनाथ जी, आपके इस प्रयास की सचेष्टता स्पष्ट दीखती है. इस निमित्त आपको हार्दिक बधाइयाँ. 

यह अवश्य है कि ऐसी पंक्तियों को विशेषकर हिन्दी के आधुनिक स्वरूप में प्रस्तुत करना सरल नहीं है. सवैया रचनाएँ, जहाँ वर्णक्रम नियत है वैसे शब्दों का चयन ही अपने आप में दुष्करहै. यहाँ तो भावों को शाब्दिक करना है. अतः आपका प्रयास मुग्धकारी है. 

फिर भी, तीसरी पंक्ति या पद को कुछ और समय दिया जाता तो अभिव्यक्ति और सुगढ़ होती. नहीं, इसमें कोई दोष नहीं है, बल्कि इस पंक्ति के दूसरे हिस्से की अभिव्यक्ति की बात कर रहा हूँ. फिर भी, यह तो मानना तो होगा, आपने अत्यंत संयमित प्रयोग किया है. 

शुभातिशुभ

 

Comment by नाथ सोनांचली on May 6, 2019 at 7:05pm

आद0 बासुदेव अग्रवाल नमन जी सादर अभिवादन। आपको रचना पसंद आई, लिखना सार्थक हुआ। आभार आपका।

Comment by बासुदेव अग्रवाल 'नमन' on May 5, 2019 at 3:36pm

वाह सुरेंद्र नाथ जी महाभुजंग प्रयात में अच्छी रचना हुई है। बधाई

Comment by नाथ सोनांचली on April 30, 2019 at 1:00pm

आद0 समर कबीर साहब सादर प्रणाम। आपका अनुमोदन मिला, रचना कर्म पूर्ण हुआ। आपका हृदय तल से आभार। सादर

Comment by Samar kabeer on April 29, 2019 at 6:01pm

जनाब सुरेन्द्र नाथ सिंह जी आदाब,अच्छा छन्द रचा आपने,बधाई स्वीकार करें ।

Comment by नाथ सोनांचली on April 25, 2019 at 10:24pm

आद0 डॉ. प्राची सिंह जी सादर अभिवादन। रचना के भाव आप तक पहुंचे, लेखन सार्थक हुआ। आभार आपका


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on April 25, 2019 at 9:21pm

सचमुच ज़िन्दगी में व्यस्तताएं इस कदर उलझाए रखती हैं कि पता ही नहीं चलता ज़िन्दगी कब बीत गयी 

प्रस्तुति पर बधाई 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"आदरणीय  उस्मानी जी डायरी शैली में परिंदों से जुड़े कुछ रोचक अनुभव आपने शाब्दिक किये…"
8 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"सीख (लघुकथा): 25 जुलाई, 2025 आज फ़िर कबूतरों के जोड़ों ने मेरा दिल दुखाया। मेरा ही नहीं, उन…"
yesterday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"स्वागतम"
Tuesday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

अस्थिपिंजर (लघुकविता)

लूटकर लोथड़े माँस के पीकर बूॅंद - बूॅंद रक्त डकारकर कतरा - कतरा मज्जाजब जानवर मना रहे होंगे…See More
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय सौरभ भाई , ग़ज़ल की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार , आपके पुनः आगमन की प्रतीक्षा में हूँ "
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय लक्ष्मण भाई ग़ज़ल की सराहना  के लिए आपका हार्दिक आभार "
Tuesday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
Sunday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
Sunday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय कपूर साहब नमस्कार आपका शुक्रगुज़ार हूँ आपने वक़्त दिया यथा शीघ्र आवश्यक सुधार करता हूँ…"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय आज़ी तमाम जी, बहुत सुन्दर ग़ज़ल है आपकी। इतनी सुंदर ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें।"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, ​ग़ज़ल का प्रयास बहुत अच्छा है। कुछ शेर अच्छे लगे। बधई स्वीकार करें।"
Sunday
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"सहृदय शुक्रिया ज़र्रा नवाज़ी का आदरणीय धामी सर"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service