For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

कभी तन्हा अगर बैठें तो ख़ुद से गुफ़्तगू कीजे (२०)

(१२२२ १२२२ १२२२ १२२२ )
कभी तन्हा अगर बैठें तो ख़ुद से गुफ़्तगू कीजे 
खुदा मौजूद है  अंदर उसी की जुस्तजू कीजे 
***
नुज़ूमी चाल क़िस्मत की क्या हमारी बताएगा 
पढ़ा किसने मुक़द्दर है भला क्या आरजू कीजे 
***
कहाँ तक नफ़रतों का ज़ुल्म सहते जायेंगे यारों 
मुहब्बत के  शरर से रोशनी अब चार सू कीजे 
***
तभी करना मुहब्बत जब निभा पाओ सभी क़समें 
नहीं हो इसकी रुसवाई हमेशा सुर्खरू कीजे 
***

कभी भागें नहीं आफ़ात से कैसी भी मुश्किल हो

रहें साबित क़दम ख़ुद को ग़मों के रूबरू कीजै
***
बने पहचान आदम की सलामत है अगर इज़्ज़त
किसी सूरत भी  मत नीलाम अपनी आबरू कीजे 
***
ख़ुशी रक्खे क़दम इस बार घर में रोक लेना सब 
'तुरंत' अच्छा यही अब है ख़ुशी को पालतू कीजे 
***
गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत' बीकानेरी

(मौलिक और अप्रकाशित )

Views: 480

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' on February 2, 2019 at 6:13pm

भाई Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" जी ,आपकी सराहना के लिए ह्रदय तल से आभार | आदरणीय समर कबीर साहेब के सुझाये सभी संसोधन कर दिए है | 

Comment by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on February 2, 2019 at 3:35pm

आदरणीय गिरधारी सर, अच्छे भावों वाली एक ग़ज़ल पेश करने के लिए दिली मुबारकवाद....शिल्पगत दोष पर आदरणीय बाऊजी समर कबीर साहब ने बात कही है...सादर

Comment by गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' on February 1, 2019 at 6:32pm

आदरणीय Samar kabeer साहेब ,आदाब | आपकी सराहना के लिए सादर आभार | आपके सभी संशोधन आदरपूर्वक स्वीकार्य है | 

Comment by Samar kabeer on February 1, 2019 at 2:56pm

जनाब गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत' जी आदाब,ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है,बधाई स्वीकार करें ।

कुछ बातें आपके संज्ञान में लाना चाहूँगा ।

'खुदा मौजूद जो अंदर उसी की जुस्तजू कीजे'

इस मिसरे में 'जो' की जगह "है" करना उचित होगा ।

' नुज़ूमी क्या बताएगा हमारी चाल क़िस्मत की '

इस मिसरे में शिल्प कमज़ोर है, यूँ कर लें तो गेयता भी बढ़ जाएगी:-

'नजूमी चाल क़िस्मत की हमारी क्या बताएगा'

'हमारी जान और पहचान से आगे बढ़ा दो गाम 
ज़रा अब 'आप' को 'तुम' कर फिर उसको जल्द 'तू' कीजे '

ये शैर मुझे भर्ती का लगा ।

'मुहब्बत की शरर से रोशनी अब चार सू कीजे'

इस मिसरे में 'शरर' शब्द पुल्लिंग है,इसलिए 'की' को "के" कर लें ।

'तभी करना मुहब्बत गर निभा पाओ सभी क़समें'

इस मिसरे में 'गर' की जगह "जब" शब्द उचित होगा ।

' कभी भागें नहीं आफ़ात से मुश्किल मुसीबत में 
मुक़ाबिल हों लड़ें ख़ुद को ग़मों के रूबरू कीजे'

इस शैर को यूँ कर लें तो मफ़हूम भी स्पष्ट होगा,गेयता भी बढ़ेगी:-

'कभी भागें नहीं आफ़ात से कैसी भी मुश्किल हो

रहें साबित क़दम ख़ुद को ग़मों के रूबरू कीजै'

'किसी सूरत नहीं नीलाम अपनी आबरू कीजे '

इस मिसरे को यूँ कर लें,गेयता बढ़ जाएगी:-

'किसी सूरत भी मत नीलाम अपनी आबरू कीजै'

Comment by गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' on January 31, 2019 at 9:09pm

आदरणीय Dayaram Methani जी ,

तह-ए-दिल  से  शुक्रिया  क़बूल  करें  खादिम  का  साहेब . ज़र्रा -नवाज़ी  है  आपकी  |

Comment by Dayaram Methani on January 31, 2019 at 11:36am

कभी तन्हा अगर बैठें तो ख़ुद से गुफ़्तगू कीजे 
खुदा मौजूद जो अंदर उसी की जुस्तजू कीजे .......बहुत सुंदर आगाज़।
***
नुज़ूमी क्या बताएगा हमारी चाल क़िस्मत की 
पढ़ा किसने मुक़द्दर है भला क्या आरजू कीजे .......हकीकत बयान करता शेर।

आदरणीय गिरधारी सिंह जी, बहुत सुंदर गज़ल हुई है। बहुत बहुत बधाई।

Comment by गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' on January 31, 2019 at 10:00am

आदरणीय दिगंबर नासवा जी ,आपकी स्नेहिल सराहना के लिए ह्रदय तल से आभार | 

Comment by दिगंबर नासवा on January 31, 2019 at 8:54am

बहुत कमल के शेर हुए हैं गिरधारी जी ... 

ख़ुशी रक्खे क़दम इस बार घर में रोक लेना सब 
'तुरंत' अच्छा यही अब है ख़ुशी को पालतू कीजे .... खूबसूरत शेर है इस ग़ज़ल का ... 

दिली दाद कबूल करें इस गज़ल की ...

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
14 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
14 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
14 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
14 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
14 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
14 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
14 hours ago
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
16 hours ago
Shyam Narain Verma commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
16 hours ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दिनेश जी, बहुत धन्यवाद"
16 hours ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम जी, बहुत धन्यवाद"
16 hours ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम जी सादर नमस्कार। हौसला बढ़ाने हेतु आपका बहुत बहुत शुक्रियः"
17 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service