For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

हुस्न कोई नूरानी है


22 22 22 2


शायद    वह    दीवानी   है ।
लड़की   जो  अनजानी  है ।।

दिलवर से मिलना है क्या ।
चाल   बड़ी   मस्तानी  है ।।

इश्क़  हुआ है क्या  उसको ।
आँखों    में   तो   पानी  है ।।

खोए    खोए    रहते    हो ।
यह   भी   इक  नादानी  है ।।

शमअ पे  तो परवानों  को।
हँसकर  जान  गवानी  है।।

उंगली उस पर खूब उठी ।
रिश्ता  क्या  जिस्मानी  है ।।

चर्चा   जोरों  पर  उसकी ।
कैसी  अजब  जवानी  है ।।

जिस पर नज़रें टिकती हैं ।
हुस्न   कोई   नूरानी   है ।।

दर्दो   ग़म    में    जीता   हूँ ।
मेरे   पास    निशानी     है ।।

जिनकी ख़ातिर कलम चली ।
उनको   ग़ज़ल  सुनानी    है ।।

जाते हो क्यो महफ़िल से ।
छा   जाती    वीरानी   है ।।

कसमें  खाना छोड़ो जी ।
तुमको कहाँ निभानी है ।।

चेहरा पढ़ कर  कहता  हूँ ।
लम्बी  लिखी  कहानी  है ।।

ज़िस्म के पिजरे से इक़ दिन।
चिड़िया तो उड़ जानी है ।।

        डॉ नवीन मणि त्रिपाठी
        मौलिक अप्रकाशित

Views: 415

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Md. Anis arman on January 7, 2019 at 8:18pm

जनाब नवीन मणि त्रिपाठी जी आदाब बहुत  अच्छी ग़ज़ल हुई है बहुत बहुत बधाई आपको 

Comment by Naveen Mani Tripathi on January 7, 2019 at 5:48pm

आ0 कबीर सर सादर के साथ हार्दिक आभार 

Comment by Samar kabeer on January 7, 2019 at 11:50am

जनाब डॉ. नवीन मणि त्रिपाठी जी आदाब,ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है,बधाई स्वीकार करें ।

'जाते हो क्यो महफ़िल से'

इस मिसरे को यूँ कर लें:-

'जाते हो जब महफ़िल से'

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

anwar suhail updated their profile
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Friday
ajay sharma shared a profile on Facebook
Thursday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Dec 1
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। पति-पत्नी संबंधों में यकायक तनाव आने और कोर्ट-कचहरी तक जाकर‌ वापस सकारात्मक…"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदाब। सोशल मीडियाई मित्रता के चलन के एक पहलू को उजागर करती सांकेतिक तंजदार रचना हेतु हार्दिक बधाई…"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार।‌ रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर रचना के संदेश पर समीक्षात्मक टिप्पणी और…"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदाब।‌ रचना पटल पर समय देकर रचना के मर्म पर समीक्षात्मक टिप्पणी और प्रोत्साहन हेतु हार्दिक…"
Nov 30
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, आपकी लघु कथा हम भारतीयों की विदेश में रहने वालों के प्रति जो…"
Nov 30
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय मनन कुमार जी, आपने इतनी संक्षेप में बात को प्रसतुत कर सारी कहानी बता दी। इसे कहते हे बात…"
Nov 30
AMAN SINHA and रौशन जसवाल विक्षिप्‍त are now friends
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service