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 सुकूँ वो उम्र भर पाया नहीं करतें।
 बड़ों की बात जो माना नहीं करतें।।
बुजुर्गों की नसीहत ये पुरानी है।
 बिना सोचे कभी बोला नहीं करतें।।
सफल होते हमेशा लोग वो ही जो।
किसी की बात सुन बहका नहीं करतें।।
जिन्हें आदत हमेशा जीतने की हो।
 वो मैदां छोड़ कर भागा नहीं करतें।।
हमेशा से रहा इक ही उसूल अपना।
 किसी के साथ भी धोखा नहीं करतें।।
मौलिक व अप्रकाशित
Comment
हार्दिक बधाई आदरणीय सुरेंद्र इंसान जी।बेहतरीन गज़ल ।
हमेशा से रहा इक ही उसूल अपना।
किसी के साथ भी धोखा नहीं करतें।।
आ. भाई सुरेंद्र जी , अच्छी गजल हुयी है । हार्दिक बधाई ।
करतें को - करते कर लें ।
जी बहुत बहुत शुक्रिया आपका। सादर नमन।
सूंदर रचना
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