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सन्नाटा  -  लघुकथा  -

सन्नाटा  -  लघुकथा  - 

सोनू ने स्कूल से आते ही, स्कूल बैग  पटक कर, सीधे दादा जी के कमरे का रुख किया, "दादा जी, ये ब्लफ मास्टर क्या होता है?"

 दादाजी अपने दोस्तों के साथ वर्तमान राजनीति पर चर्चा में मशगूल थे।जिनमें कुछ लोकल लीडर भी थे| अतः सोनू को टालने के लिये कहा,"सोनू, अभी तुम स्कूल से आये हो। ड्रेस बदल कर कुछ खा पी लो। फिर बात करते हैं।"

"नहीं दादाजी, मुझे पहले यह जानना अधिक जरूरी है।"

"सोनू, अभी हम लोग देश के मौजूदा हालात के बारे में कुछ आवश्यक बात कर रहे हैं।"

"मेरी जानकारी भी आपकी बातचीत से जुड़ी हुई है।

"अरे वाह, वह कैसे?"

"मेरे स्कूल के कुछ लड़के अपने देश के सबसे बड़े नेता जी को ब्लफ मास्टर कहते हैं।"

"बुरी बात, देश के किसी भी बड़े नेता के लिये ऐसी भाषा का प्रयोग अभद्रता माना जाता है। उन लड़कों को उचित मार्ग दर्शन की आवश्यकता है।"

"दादाजी, बिल्कुल यही बात मैंने उनको कही थी, लेकिन।"

"लेकिन क्या ?"

"उन लोगों का कहना था कि वे नेताजी भी तो पुराने नेताओं के लिये अभद्र  शब्दों का प्रयोग करते हैं।"

 कमरे में  सन्नाटा पसर गया।

मौलिक एवम अप्रकाशित

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Comment by TEJ VEER SINGH on November 21, 2018 at 2:58pm

हार्दिक आभार आदरणीय राजेश कुमारी जी।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on November 21, 2018 at 11:05am

इसको कहते है आइना दिखा देना ..कभी कभी बच्चे ही बड़ों को आईना दिखा देते हैं ...बहुत बढिया तंजदार लघु कथा .बहुत बहुत बधाई आद० तेजवीर सिंह  जी .

Comment by राज़ नवादवी on November 20, 2018 at 6:07pm

जी, सच कहा आपने, सादर. 

Comment by TEJ VEER SINGH on November 20, 2018 at 3:48pm

हार्दिक आभार आदरणीय राज नवादवी साहब जी।सच कहा आपने, मैंने अपनी सत्तर साल की उम्र में राजनीति का इतना घटिया स्तर कभी नहीं देखा।क्या संदेश देना चाह रहे हैं ये अपनी आने वाली पीढ़ी को।

Comment by राज़ नवादवी on November 20, 2018 at 1:18pm

आदरणीय तेज वीर सिंह साहब, सशक्त लघुकथा की प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाई, सचमुच, राजनीति और नेता, ये दो नितांत ही कुपरिभाषित शब्द हमारे बीच हैं, हमारी राजनीति से बेहतर हमारी सामाजिक और मानसिक दशाओं का चित्रण कौन करता है? सादर 

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