For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

आशंका के गहरे-गहरे तल में

आशंका के गहरे-गहरे तल में

आयु के हज़ारों लाखों पलों के दबे ढेर में

नए कुछ पुराने दर्दों की कानों में आहट

भार वह भीतर का जो खलता था तुमको

मुझको भी

एक दूसरे को दुखी न देखने की

दर्द और न देने की मूक अभिलाषा

रोकती रही थी तुमको... कुछ कहने से

मुझको भी

पर परस्पर दर्द और न देने की इस चाह ने

बना दी है अब बीच हमारे कोई खाई गहरी

काल ने मानो सुनसान रात की गर्दन दबोच                                                     

गले पर मानो लटका दी है कोई गठरी भारी

इस सूने में बढ़ जाता है जब दर्द ज्वालामुखी-सा

सोचता हूँ अच्छा ही होता जो कोई संबंध न होता

अंधियारी रातों का उदास खड़े पेड़ों से

या... तुम्हारा मुझसे

यह चुप्पी की खाई बीच हमारे

शब्द असमर्थ हैं, लांघ नहीं पा रहे

दर्द जो तुम मुझको देने से डरती रही

घने मेघों-से वही हैं अब बढ़ते आ रहे

भार वह भीतर आशंका का बढ़ता है उबलता है

कभी सोच कभी अफ़सोस कभी फ़िक्र तुम्हारी

मैं क्या करूँ क्या न करूँ कि करने न करने से

पड़ जाए झोल कहीं हिमीभूत भविष्य में तुम्हारे

मेरी "प्यार", अच्छा है कि अब हम न ही मिलें

                       ----------

-- विजय निकोर

(मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 761

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by vijay nikore on September 25, 2018 at 8:39pm

सराहना के लिएआपका हार्दिक आभार, आदरणीय तेज वीर सिंह जी

Comment by TEJ VEER SINGH on September 22, 2018 at 12:26pm

हार्दिक बधाई आदरणीय विजय निकोरे जी।बेहतरीन रचना।

यह चुप्पी की खाई बीच हमारे

शब्द असमर्थ हैं, लांघ नहीं पा रहे

दर्द जो तुम मुझको देने से डरती रही

घने मेघों-से वही हैं अब बढ़ते आ रहे

Comment by vijay nikore on September 9, 2018 at 5:53pm

 सराहना के लिएआपका हार्दिक आभार, आदरणीया बबीता जी 

Comment by babitagupta on September 5, 2018 at 6:17pm

काव्यात्मक शैली माँ अपने अंतर्मन के भावों को उदगार करती रचना,हार्दिक बधाई स्वीकार कीजियेगा आदरणीय  विजय सरजी।

Comment by vijay nikore on August 30, 2018 at 3:18pm

सराहना के लिएआपका हार्दिक आभार, आदरणीय नरेन्द्रसिहं जी।

Comment by vijay nikore on August 30, 2018 at 3:16pm

सराहना के लिए और मान देने के लिए आपका हार्दिक आभार, आदरणीय सुशील जी।

Comment by vijay nikore on August 29, 2018 at 11:32am

भाई समर जी, रचना को आपने इतना मान दिया, हृदयतल से आभारी हूँ आपका। कृपया मनोबल बढ़ाए रखें।

Comment by vijay nikore on August 29, 2018 at 11:28am

सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार, आदरणीय लक्ष्मण जी।

Comment by vijay nikore on August 28, 2018 at 2:34pm

सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार, आदरणीय सुरेन्द्र जी

Comment by vijay nikore on August 28, 2018 at 2:12pm

 सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार, मेरे आदरणीय शेख़ उस्मानी जी।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी's blog post ग़ज़ल (जो उठते धुएँ को ही पहचान लेते)
"आदरणीय निलेश शेवगाँवकर जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद, इस्लाह और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से…"
7 minutes ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी's blog post ग़ज़ल (जो उठते धुएँ को ही पहचान लेते)
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी आदाब,  ग़ज़ल पर आपकी आमद बाइस-ए-शरफ़ है और आपकी तारीफें वो ए'ज़ाज़…"
17 minutes ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आदरणीय योगराज भाईजी के प्रधान-सम्पादकत्व में अपेक्षानुरूप विवेकशील दृढ़ता के साथ उक्त जुगुप्साकारी…"
1 hour ago
Ashok Kumar Raktale commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . लक्ष्य
"   आदरणीय सुशील सरना जी सादर, लक्ष्य विषय लेकर सुन्दर दोहावली रची है आपने. हार्दिक बधाई…"
1 hour ago

प्रधान संपादक
योगराज प्रभाकर replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"गत दो दिनों से तरही मुशायरे में उत्पन्न हुई दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति की जानकारी मुझे प्राप्त हो रही…"
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"मोहतरम समर कबीर साहब आदाब,चूंकि आपने नाम लेकर कहा इसलिए कमेंट कर रहा हूँ।आपका हमेशा से मैं एहतराम…"
2 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"सौरभ पाण्डेय, इस गरिमामय मंच का प्रतिरूप / प्रतिनिधि किसी स्वप्न में भी नहीं हो सकता, आदरणीय नीलेश…"
3 hours ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आदरणीय समर सर,वैसे तो आपने उत्तर आ. सौरब सर की पोस्ट पर दिया है जिस पर मुझ जैसे किसी भी व्यक्ति को…"
4 hours ago
Samar kabeer replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"प्रिय मंच को आदाब, Euphonic अमित जी पिछले तीन साल से मुझसे जुड़े हुए हैं और ग़ज़ल सीख रहे हैं इस बीच…"
7 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आदरणीय अमीरुद्दीन जी, किसी को किसी के प्रति कोई दुराग्रह नहीं है. दुराग्रह छोड़िए, दुराव तक नहीं…"
11 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी's blog post ग़ज़ल (जो उठते धुएँ को ही पहचान लेते)
"अपने आपको विकट परिस्थितियों में ढाल कर आत्म मंथन के लिए सुप्रेरित करती इस गजल के लिए जितनी बार दाद…"
11 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" commented on Ashok Kumar Raktale's blog post मनहरण घनाक्षरी
"आदरणीय सौरभ सर, अवश्य इस बार चित्र से काव्य तक छंदोत्सव के लिए कुछ कहने की कोशिश करूँगा।"
11 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service