For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

एक लम्हा ....

मेरे लिबास पर लगा
सुर्ख़ निशान 

अपनी आतिश से
तारीक में बीते
लम्हों की गरमी को
ज़िंदा रखे था

मैंने


उस निशाँन को
मिटाने की
कोशिश भी नहीं की


जाने
वो कौन सा यकीन था
जो हदों को तोड़ गया
जाने कब
मैं किसी में
और कोई मुझमें
मेरा बनकर
सदियों के लिए
मेरा हो गया

एक लम्हा
रूह बनकर
रूह में कहीं
सो गया

सुशील सरना
मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 638

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sushil Sarna on July 21, 2018 at 6:13pm

आदरणीय समर कबीर साहिब आदाब सर सृजन आपकी मधुर प्रशंसा का एवं सुझाव का दिल से आभार। मैं इसे अभी एडिट करता हूँ। हार्दिक हार्दिक आभार।

Comment by Sushil Sarna on July 21, 2018 at 6:13pm

आदरणीया नीलम उपाध्याय जी सृजन पर आपकी मधुर प्रशंसा का दिल से आभार।

Comment by Sushil Sarna on July 21, 2018 at 6:11pm

आदरणीय तेज तेज वीर सिंह जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार।

Comment by Sushil Sarna on July 21, 2018 at 6:10pm

आदरणीय बसंत कुमार जी सृजन आपकी मधुर प्रशंसा का आभारी है।

Comment by Sushil Sarna on July 21, 2018 at 6:10pm

आदरणीय नरेंद्र चौहान जी सृजन को मान देने का दिल से आभार।

Comment by Sushil Sarna on July 21, 2018 at 6:10pm

आदरणीय मो.आरिफ साहिब आदाब , सृजन आपकी आत्मीय काव्यात्मक प्रशंसा का दिल की असीम गहराईयों से हार्दिक आभार।

Comment by Samar kabeer on July 19, 2018 at 10:08pm

जनाब सुशील सरना जी आदाब,अच्छी कविता लिखी आपने,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।

'तारीक में बीते'--

इस पंक्ति को यूँ कर लें'-

"तारीकी में बीते"

'उस निशाँन को' 

'निशान' शब्द को "निशाँ" भी लिख सकते हैं,लेकिन चन्द्रबिन्दु के साथ 'न' नहीं लिख सकते,अब आप ख़ुद फैसल करें कि 'निशाँ' लिखना चाहते हैं या "निशान"?

Comment by Neelam Upadhyaya on July 19, 2018 at 4:29pm

आदरणीय सुशील सरना जी, अच्छी रचना की प्रस्तुति के लिए बधाई। 

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on July 18, 2018 at 9:47pm

जनाब सुशील सरना साहिब, अच्छी रचना हुई है , मुबारकबाद क़ुबुल फरमाएं l

Comment by TEJ VEER SINGH on July 18, 2018 at 7:34pm

हार्दिक बधाई आदरणीय सुशील सरना जी।बढ़िया प्रस्तुति।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय मिथिलेश भाई, निवेदन का प्रस्तुत स्वर यथार्थ की चौखट पर नत है। परन्तु, अपनी अस्मिता को नकारता…"
yesterday
Sushil Sarna posted blog posts
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार ।विलम्ब के लिए क्षमा सर ।"
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया .... गौरैया
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी । सहमत एवं संशोधित ।…"
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .प्रेम
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन पर आपकी मनोहारी प्रशंसा का दिल से आभार आदरणीय"
Monday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .मजदूर

दोहा पंचक. . . . मजदूरवक्त  बिता कर देखिए, मजदूरों के साथ । गीला रहता स्वेद से , हरदम उनका माथ…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सुशील सरना जी मेरे प्रयास के अनुमोदन हेतु हार्दिक धन्यवाद आपका। सादर।"
Monday
Sushil Sarna commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"बेहतरीन 👌 प्रस्तुति सर हार्दिक बधाई "
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .मजदूर
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन पर आपकी समीक्षात्मक मधुर प्रतिक्रिया का दिल से आभार । सहमत एवं…"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .मजदूर
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा का दिल से आभारी है सर"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . .
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन आपकी स्नेहिल प्रशंसा का दिल से आभारी है सर"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . .
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय"
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service