For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

पिता वट वृक्ष की तरह होते हैं........[सामाजिक सरोकार]

चट्टान की तरह दिखने वाले पाषाण ह्रदय पिता नारियल के समान होते हैं पर उनका एहसास मोम की तरह होता हैं.सख्त,खुरदुरे,अनुशासन प्रिय पर अंतर्मन सरलतम पिता उस संस्कारी गहरी जड़ों वाले वट वृक्ष की तरह होते हैं जिसकी विशालतम स्नेह्सिल छाया तले हम बच्चे और हमारी माँ पलती हैं.क्योकि वह पारिवारिक जिम्मेदारी का वह सारथी हैं जिस पर सभी अपनी उम्मीदों को पूरा करने का सपना संजोते हैं.और वह एक महानायक की तरह सभी को बराबर का हक देकर,अपने नाम से पहचान दिलाता हैं.जीवन की रह दिखाने वाला ,जीवन के मायने समझाने वाले पिता के पास माँ के समान करूणामयी दुलार वाला आंचल नही होता लेकिन बच्चों को आसमां की का रिश्तों सामने के बच्चों अपने पिता हैं.सिखाता ढंग के ऊंचाई तक पहुचाने वाले दो बलिष्ठ मजबूत कंधे जरूर होते हैं.सही भी कहा हैं-माँ धरती हैं तो पिता आसमां .व्यक्तित्व को तराशने वाले औजार रूपी हाथों वाले पिता कठिन परिस्थितियों और संघर्ष में संकट मोचक ढाल की तरह अड़ा रहता हैं.बच्चों में विश्वास का अलख जलाकर जूझने के लिए क्षमतावान बनाता हैं.लौह पुरुष की दीवार की तरह खड़ा पिता कभी भी अपनी अंतर्व्यथा बच्चों पर जाहिर नही होने देता.म की तरह वर्तमान ना जीकर बल्कि तीनो कालो की एक कड़ी पिरोकर बच्चों में अपने आचरण और विश्वास से सटीक तौर तरीके सिखाता हैं.संस्कारों की सौगात देने वाला पिता नई ऊर्जा व आत्मविश्वास का संचार करता हैं.जीवन में अनुशासन नामक शब्द से परिचय कराकर जीवन जीने के ढंग सिखाता हैं.पिता अपने बच्चों के सामने रिश्तों का पिंजरा रखकर दायरे में रहना सिखाता हैं.जिन्दगी में आने वाले ऊंचे-नीचे पहाड़ों पर समझदारी से चलना सिखाने वाले पिता का एक ही सिद्धांत रहता हैं-सच्चाई की रह पर चलना.जीवन की पाठशाला में जौहरी की तरह काम करने वाला पिता बच्चों की भटकाव भरी जिन्दगी में मील का पत्थर साबित होता हैं.सूरज की रौशनी की तरह अपने अनुभवों को प्रकाशवान कर असमंजस्य में भरोसा दिला जीवन के हर पहलू को सुलझाते हैं.किसी ने सही ही कहा हैं- 'पिता ना तो वह लंगर हैं जो तट पर बांधे रखे,न तो लहर जो दूर तक ले जाए.पिता तो प्यार भरी रोशनी होते हैं,जो जहाँ तक जाना चाहों,वहां तक राह दिखाते हैं.'

        बच्चों का साया आसमान -सा पिता मुस्तकिल आसरे की तसल्ली का नाम हैं लेकिन थोड़ा -सा अभिमानी होता हैं.बात-बात पर भावों को प्रकट ना करने वाला पिता अति व्याकुल होने पर मेघों की तरह अपनों पर गरजता-बरसता जरुर हैं पर उसकी विशालता में पनाह पाकर कोई हम पर आँख उठाकर देख भी नही पाटा,और हम स्वतंत्र विचरण करते हैं.तसल्ली का एहसास कराता पिता अपनी अहमियत जरूर दिखाने के लिए वह कंधों पर बिठाता हैं.आकाश में छिपे बादलों सा पिता एक छुपे सुकून सा ,एक विस्तृत इत्मीनान की तरह होता हैं,जिसमे पहाड़ सा दम्भ भर व्यक्तित्व समाया हुआ हैं.ईश्वर की तराशी हुई जीवंत प्रतिमा को हम पिता के नाम से जानते हैं.माँ के समान पिता का योगदान भी बच्चो के व्यक्तित्व को बनाने और संवारने में होता हैं.पिता के आचार-विचार का गहरा प्रभाव पड़ता हैं.पिता के क्रिया कलाप से बच्चों का व्यक्तित्व जीवंत होता हैं.उसका व्यक्तित्व हमारे लिए आदर्श बन जाते हैं.पिता की जो ऊंगली कदम से कदम चलना सिखाती हैं वही ऊँगली दुनियादारी का जीवन गणित सिखाती हैं.और समय पड़ने पर मक्कारी देने पर वही ऊंगली डांट भी देती हैं.पिता का व्यक्तित्व चाहे सामान्य हो या महान उसका बच्चो से मधुर रिश्ते की  डोर से बंधकर रहता हैं जो अनोखा और गहरा होता हैं.सही भी हैं- 'पिता प्रकृति का दिया हुआ महाजन हैं.'

मौलिक व अप्रकाशित 

बबीता गुप्ता 

Views: 684

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by babitagupta on June 20, 2018 at 4:27pm

आदरणीया नीलम दी और आदरणीय लक्ष्मण सर जी,रचना पसंद करने के लिए आभार.

Comment by Neelam Upadhyaya on June 20, 2018 at 2:50pm

आदरणीया बबिता गुप्ता जी, अच्छी रचना की प्रस्तुति के लिए बधाई। 

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on June 18, 2018 at 9:03pm

बहुत सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई ।

Comment by babitagupta on June 18, 2018 at 3:36pm

धन्यवाद सर जी.

Comment by Samar kabeer on June 18, 2018 at 2:23pm

मोहतरमा बबीता गुप्ता जी आदाब,सुंदर प्रस्तुति हेतु बधाई स्वीकार करें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

पूनम की रात (दोहा गज़ल )

धरा चाँद गल मिल रहे, करते मन की बात।जगमग है कण-कण यहाँ, शुभ पूनम की रात।जर्रा - जर्रा नींद में ,…See More
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी

वहाँ  मैं भी  पहुंचा  मगर  धीरे धीरे १२२    १२२     १२२     १२२    बढी भी तो थी ये उमर धीरे…See More
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , उत्साह वर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार "
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"आ.प्राची बहन, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार।"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"कहें अमावस पूर्णिमा, जिनके मन में प्रीत लिए प्रेम की चाँदनी, लिखें मिलन के गीतपूनम की रातें…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"दोहावली***आती पूनम रात जब, मन में उमगे प्रीतकरे पूर्ण तब चाँदनी, मधुर मिलन की रीत।१।*चाहे…"
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"स्वागतम 🎉"
Friday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

१२२/१२२/१२२/१२२ * कथा निर्धनों की कभी बोल सिक्के सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के।१। * महल…See More
Thursday
Admin posted discussions
Jul 8
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Jul 7
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण जी "
Jul 7
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण जी "
Jul 7

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service