For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

हवा खामोश है

फिजा भी उदास

बाजार सजा है

नफ़रतों का

मंदिर, मस्जिद, गिरजा,

क्या देखें

सभी जैसे निर्विकार

सड़कें तो पट गयी

जिंदा लाशों से

इंसानियत मर रही

आस दरक रही

सियासत व्यस्त है

दरकार दबाने में

अभिलाषा बुझ रही

आँसू निकलते नहीं

शब्द बोलते नहीं

'कठुआ', 'उन्नाव', 'दिल्ली,

'…………', '……….'

और कितने ?

अनगिनत योजनाएँ, पर

क्या घावों पर मरहम की

बनी है कोई योजना ?

 

.... मौलिक एवं अप्रकाशित

 

 

Views: 472

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Nilesh Shevgaonkar on April 18, 2018 at 8:01pm

आ. नीलम जी,
तेवर और पीड़ा से भरपूर रचना के लिए बधाई 
सादर 

Comment by Neelam Upadhyaya on April 18, 2018 at 10:53am

आदरणीय डॉ छोटेलाल सिंह जी, उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार । आप सभी गुणीजनों से मार्गदर्शन का आग्रह रहेगा।

Comment by Neelam Upadhyaya on April 18, 2018 at 10:49am

आदरणीय समर कबीर जी, नमस्कार । उत्साहवर्धन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद ।

Comment by Neelam Upadhyaya on April 18, 2018 at 10:48am

आदरणीय तेजवीर जी, नमस्कार । उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार ।

Comment by डॉ छोटेलाल सिंह on April 17, 2018 at 8:16pm

आदरणीया नीलम जी आपकी रचना समसामयिक घटनाओं को चरितार्थ करती हुई विल्कुल यथार्थ परक अनमोल रचना है इसके लिए आपको बहुत बहुत बधाई

Comment by Samar kabeer on April 17, 2018 at 6:12pm

मोहतरमा नीलम उपाध्याय जी आदाब,बहुत उम्दा रचना,बहतरीन कटाक्ष,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।

Comment by TEJ VEER SINGH on April 17, 2018 at 12:56pm

हार्दिक बधाई आदरणीय नीलम जी। बहुत सुंदर और समसामयिक कविता।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Profile IconSarita baghela and Abhilash Pandey joined Open Books Online
33 minutes ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब साथियो। त्योहारों की बेला की व्यस्तता के बाद अब है इंतज़ार लघुकथा गोष्ठी में विषय मुक्त सार्थक…"
15 hours ago
Jaihind Raipuri commented on Admin's group आंचलिक साहित्य
"गीत (छत्तीसगढ़ी ) जय छत्तीसगढ़ जय-जय छत्तीसगढ़ माटी म ओ तोर मंईया मया हे अब्बड़ जय छत्तीसगढ़ जय-जय…"
21 hours ago
LEKHRAJ MEENA is now a member of Open Books Online
Wednesday
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"शेर क्रमांक 2 में 'जो बह्र ए ग़म में छोड़ गया' और 'याद आ गया' को स्वतंत्र…"
Sunday
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"मुशायरा समाप्त होने को है। मुशायरे में भाग लेने वाले सभी सदस्यों के प्रति हार्दिक आभार। आपकी…"
Sunday
Tilak Raj Kapoor updated their profile
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई जयहिन्द जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है और गुणीजनो के सुझाव से यह निखर गयी है। हार्दिक…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई विकास जी बेहतरीन गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. मंजीत कौर जी, अभिवादन। अच्छी गजल हुई है।गुणीजनो के सुझाव से यह और निखर गयी है। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। मार्गदर्शन के लिए आभार।"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service