For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ओ बी की आठवीं वर्षगाँठ पर कुछ दोहे - लक्ष्मण रामानुज

ओ बी ओ में हो रहा, उत्सव का आगाज |

आठ  वर्ष  तक का सफ़र,साक्ष्य बना है आज  ||

 

दूर दृष्टि बागी लिए, खूब बिछया साज |

योगराज के यत्न से, बना खूब सरताज | |

 

काव्य विधा को सीखते, विद्वजनों के साथ

सच्चे मन से साधते, नव अंकुर का हाथ |

लघु-कथाए रच रहे, गध्य क्षेत्र में लोग,

मिली प्रतिष्ठा जो यहाँ, माने नवल प्रयोग ||

 

सौरभ सी खुशबू मिले, रंगत भरी सुगंध

सीख-सीख सब रच रहे, सुंदर ललित निबंध |

 

सबके मन खिलते यहाँ, प्रेम प्रीति के रंग

काव्य विधा को सीखने, करते सब सत्संग |

 

काव्य गजल या गीत को, पढ़ते है सब साथ

छंद रचे मन भाव से, मिले साथ का हाथ ||

 

प्राची में नित भौर ही, रंगत भरी सुगंध

रचते मन के भाव से, सुन्दर ललित निबंध |

 

ओबीओ परिवार में, है खुशियों का राज

ई-पत्रक में मंच पर, माने सब सरताज ||  

 

जो भी जुड़ते मंच से, बढ़ा सके आधार |

छंद मुक्त की काव्य में, बहती रहे बयार ||

(नितांत मौलिक व स्वरचित)

लक्ष्मण रामानुज लड़ीवाला

 

 (मौलिक व् अप्रकाशित)

Views: 1039

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on April 9, 2018 at 2:05pm

ओबीओ की वर्षगाँठ के पुलाक्ष में प्रस्तुत दोहे सराहने के लिए हार्दिक आभार आपका श्री सुरेन्द्र नाथ सिंह 'कुशक्षत्रप' जी |

Comment by नाथ सोनांचली on April 9, 2018 at 4:53am

आद0 लक्ष्मण जी सादर अभिवादन। ओ बी ओ के आठवी वर्षगाँठ पर बेहतरीन दोहे। बधाई आपको। ओ बी ओ जिंदाबाद

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on April 5, 2018 at 2:43pm

 जी | ओबीओ से ही मेरी दोहे सीखने की शुरुआत हुई है आदरणीय श्री सुशील सरना जी | तब वर्ष गाँठ पर खुसी का इजहार करना लाजिमी है | दोहे सराहने के लिए हार्दिक आभार आपका |

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on April 5, 2018 at 2:40pm

हार्दिक आभार आपका श्री अजय तिवारी जी |

Comment by Samar kabeer on April 4, 2018 at 6:23pm

मेरे विचार में पंक्ति बदलें ।

Comment by Sushil Sarna on April 4, 2018 at 4:28pm

वाह आदरणीय वाह ओ बी ओ के सम्मान में बहुत सुंदर दोहों का सृजन हुआ है आदरणीय। हार्दिक बधाई स्वीकारें।

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on April 4, 2018 at 4:17pm

दोहे सराहने के लिए बहुत बहुत आभार आपका आदरणीय विजय निकोरे जी |

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on April 4, 2018 at 3:48pm

जी आदरणीय समर कबीर साहब | मैं पुरोधाओं के विचार भिन्नता से प्रभावित हुए बिना ये मानता हूँ कि विवाद करने के बजाय शब्द ही बदल दिया जाय | नागाईज रोशन जी भी यही विचार रखते है | आप आगाज और साज का विकल्प सुझाए वरना फिर पंक्ति ही बदलनी होगी साहब | सादर नमन 

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on April 4, 2018 at 3:23pm

अतिशय आभार आपका आदरणीया वासुदेव अग्रवाल 'नमन' जी | सादर नमन 

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on April 4, 2018 at 3:22pm

हार्दिक आभार आदरणीया नीलम उपाध्याय जी 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

आदमी क्या आदमी को जानता है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२२/२१२२/२१२२ कर तरक्की जो सभा में बोलता है बाँध पाँवो को वही छिप रोकता है।। * देवता जिस को…See More
21 hours ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
yesterday
Sushil Sarna posted blog posts
Thursday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Nov 5
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

देवता क्यों दोस्त होंगे फिर भला- लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२२/२१२२/२१२ **** तीर्थ जाना  हो  गया है सैर जब भक्ति का यूँ भाव जाता तैर जब।१। * देवता…See More
Nov 5

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey posted a blog post

कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ

२१२२ २१२२ २१२२ जब जिये हम दर्द.. थपकी-तान देते कौन क्या कहता नहीं अब कान देते   आपके निर्देश हैं…See More
Nov 2
Profile IconDr. VASUDEV VENKATRAMAN, Sarita baghela and Abhilash Pandey joined Open Books Online
Nov 1
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब। रचना पटल पर नियमित उपस्थिति और समीक्षात्मक टिप्पणी सहित अमूल्य मार्गदर्शन प्रदान करने हेतु…"
Oct 31
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर अमूल्य सहभागिता और रचना पर समीक्षात्मक टिप्पणी हेतु…"
Oct 31
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेम

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेमजाने कितनी वेदना, बिखरी सागर तीर । पीते - पीते हो गया, खारा उसका नीर…See More
Oct 31
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय उस्मानी जी एक गंभीर विमर्श को रोचक बनाते हुए आपने लघुकथा का अच्छा ताना बाना बुना है।…"
Oct 31

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सौरभ सर, आपको मेरा प्रयास पसंद आया, जानकार मुग्ध हूँ. आपकी सराहना सदैव लेखन के लिए प्रेरित…"
Oct 31

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service