For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

कच्ची फसल  -  लघुकथा   –

कच्ची फसल  -  लघुकथा   –

"माँ, मुझे अभी और पढ़ना है। आप बापू को समझाओ ना। वे इतनी जल्दी क्यों मेरा विवाह करना चाहते हैं"?

"ठीक है बेटी। मैं आज एक बार और कोशिश करके देखती हूँ"।

श्यामा के स्कूल जाते ही, राधा खेत पर मोहन के लिये खाना लेकर पहुँच गयी।

"मैं सोच रही थी कि आज इस गेंहू की फसल को काट लेते हैं। जल्दी से फ़ारिग हो जायेंगे"।

"पगला गयी हो क्या राधा, । फसल पकने में वक्त है अभी।

"क्या फ़र्क पड़ता है, दो चार दिन पहले काट लेंगे तो। मुझे श्यामा को लेकर पीहर जाना है"।

"आज ये कैसी मूर्खों जैसी बातें कर रही हो? तुम तो सदैव एक सुघड़ गृहिणी की तरह फसलों के बारे में मुझे सलाह देती रही हो| अधपकी फसल काटने से बरबाद हो जायेगी। किसी काम की नहीं रहेगी"?

"तुम भी तो कितने बीघे खेत के बड़े किसान होकर एक मामूली सी बात नहीं समझ रहे हो"।

"कौन सी बात"?

"श्यामा भी तो अभी कच्ची फ़सल है"।

 मौलिक एवम अप्रकाशित

Views: 634

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by TEJ VEER SINGH on March 29, 2018 at 7:48pm

हार्दिक आभार आदरणीय शेख उस्मानी जी।

Comment by TEJ VEER SINGH on March 29, 2018 at 7:47pm

हार्दिक आभार आदरणीय वीर मेहता जी।

Comment by Mohammed Arif on March 29, 2018 at 5:23pm

आदरणीय तेजवीर सिंह जी आदाब,

                             पारंपरिक और बहुप्रचलित कथानक पर लिखी गई बेहतरीन लघुकथा । हार्दिक बधाई.स्वीकार करें ।

Comment by Samar kabeer on March 29, 2018 at 3:12pm

जनाब तेजवीर सिंह जी आदाब,अच्छी लघुकथा लिखी आपने,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on March 29, 2018 at 2:48pm

जनाब वीरेंद्र वीर मेहता जी की टिप्पणी से सहमत हूं, लेकिन अनकहे में भी बहुत कुछ है। यह बात और है कि आप इसे बेहतरीन शिल्प में भी कह सकेंगे । हार्दिक बधाई आदरणीय तेजवीर सिंह जी।

Comment by VIRENDER VEER MEHTA on March 29, 2018 at 2:20pm

कथ्य बहुत सुन्दर चुना है आपने भाई तेजवीर सिंह जी, हालांकि प्रस्तुतिकरण सीधा और सपाट रखा गया हैं, फिर भी अपना प्रभाव् छोड़ रहा है... बधाई स्वीकार करे भाई जी.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"आदरणीय  उस्मानी जी डायरी शैली में परिंदों से जुड़े कुछ रोचक अनुभव आपने शाब्दिक किये…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"सीख (लघुकथा): 25 जुलाई, 2025 आज फ़िर कबूतरों के जोड़ों ने मेरा दिल दुखाया। मेरा ही नहीं, उन…"
Wednesday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"स्वागतम"
Tuesday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

अस्थिपिंजर (लघुकविता)

लूटकर लोथड़े माँस के पीकर बूॅंद - बूॅंद रक्त डकारकर कतरा - कतरा मज्जाजब जानवर मना रहे होंगे…See More
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय सौरभ भाई , ग़ज़ल की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार , आपके पुनः आगमन की प्रतीक्षा में हूँ "
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय लक्ष्मण भाई ग़ज़ल की सराहना  के लिए आपका हार्दिक आभार "
Tuesday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
Sunday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
Sunday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय कपूर साहब नमस्कार आपका शुक्रगुज़ार हूँ आपने वक़्त दिया यथा शीघ्र आवश्यक सुधार करता हूँ…"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय आज़ी तमाम जी, बहुत सुन्दर ग़ज़ल है आपकी। इतनी सुंदर ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें।"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, ​ग़ज़ल का प्रयास बहुत अच्छा है। कुछ शेर अच्छे लगे। बधई स्वीकार करें।"
Sunday
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"सहृदय शुक्रिया ज़र्रा नवाज़ी का आदरणीय धामी सर"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service