For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

क्षणिकाएं - डॉ. विजय शंकर


  • 1.
    सच का कहीं दूर तक
    नहीं कोई पता है।
    हाँ ये सच है
    कि बहुत कुछ
    झूठ पर टिका है।
    2.
    रेत मुठ्ठी से जब
    फिसल जाती है ,
    जिंदगी कुछ कुछ
    समझ में आती है।
    3.
    रोज रोज के तजुर्बे
    यूँ बीच बीच में
    बांटा न करो ,
    ये जिंदगी गर
    एक सबक है तो
    उसे पूरा तो हो लेने दो

  • मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 624

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Dr. Vijai Shanker on December 27, 2017 at 10:52am

आदरणीय महेंद्र कुमार जी , आपका ह्रदय से आभार एवं धन्यवाद , सादर।

Comment by Dr. Vijai Shanker on December 27, 2017 at 10:52am

आदरणीय लक्षमण कुमार धामी जी , आपका ह्रदय से आभार एवं धन्यवाद , सादर।

Comment by Mahendra Kumar on December 27, 2017 at 10:04am

अच्छी क्षणिकाएँ हैं आ. विजय शंकर जी. हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिए. सादर.

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on December 26, 2017 at 4:16pm

आ. भाई विजय जी, सुंदर प्रस्तुति हुई है । हार्दिक बधाई ।

Comment by Dr. Vijai Shanker on December 26, 2017 at 10:33am

आदरणीय सुरेद्र नाथ सिंह कुशक्षत्रप जी , प्रशस्ति के लिए आभार एवं बधाई हेतु धन्यवाद , सादर।

Comment by Dr. Vijai Shanker on December 26, 2017 at 10:29am

आदरणीय समर कबीर साहब , नमस्कार , आपके द्वारा व्यक्त सुन्दर उदगारों के लिए ह्रदय से आभार। आपकी बहुत बारीक सीख के लिए अलग से बहुत बहुत आभार। अवश्य अपनाऊंगा। बधाई के लिए धन्यवाद , सादर।

Comment by Dr. Vijai Shanker on December 26, 2017 at 10:29am

आदरणीय शेख शहजाद उस्मानी जी , विशद व्याख्या के लिए ह्रदय से आभार एवं धन्यवाद , सादर।



Comment by Dr. Vijai Shanker on December 26, 2017 at 10:22am

आदरणीय मोहम्मद आरिफ जी , आपके उदगारों के लिए ह्रदय से आभार। बधाई केलिए धन्यवाद , सादर।

Comment by नाथ सोनांचली on December 26, 2017 at 9:40am

आद0 विजय शंकर जी सादर अभिवादन। बेहतरीन क्षणिकाएँ हुई है। बहुत बहुत बधाई

Comment by Samar kabeer on December 25, 2017 at 12:32pm

आली जनाब डॉ.विजय शंकर जी आदाब,बहुत उम्दा और प्रभावशाली क्षणिकाएं हुईं,इस प्रस्तुति पर दिल से बधाई स्वीकार करें ।

तीसरी क्षणिका में 'तजुर्बे' को "तज्रिबे" कर लीजियेग ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब। रचना पटल पर नियमित उपस्थिति और समीक्षात्मक टिप्पणी सहित अमूल्य मार्गदर्शन प्रदान करने हेतु…"
5 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर अमूल्य सहभागिता और रचना पर समीक्षात्मक टिप्पणी हेतु…"
5 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेम

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेमजाने कितनी वेदना, बिखरी सागर तीर । पीते - पीते हो गया, खारा उसका नीर…See More
6 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय उस्मानी जी एक गंभीर विमर्श को रोचक बनाते हुए आपने लघुकथा का अच्छा ताना बाना बुना है।…"
7 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सौरभ सर, आपको मेरा प्रयास पसंद आया, जानकार मुग्ध हूँ. आपकी सराहना सदैव लेखन के लिए प्रेरित…"
7 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय  लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार. बहुत…"
7 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहजाद उस्मानी जी, आपने बहुत बढ़िया लघुकथा लिखी है। यह लघुकथा एक कुशल रूपक है, जहाँ…"
7 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"असमंजस (लघुकथा): हुआ यूॅं कि नयी सदी में 'सत्य' के साथ लिव-इन रिलेशनशिप के कड़वे अनुभव…"
9 hours ago
Profile IconSarita baghela and Abhilash Pandey joined Open Books Online
12 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब साथियो। त्योहारों की बेला की व्यस्तता के बाद अब है इंतज़ार लघुकथा गोष्ठी में विषय मुक्त सार्थक…"
yesterday
Jaihind Raipuri commented on Admin's group आंचलिक साहित्य
"गीत (छत्तीसगढ़ी ) जय छत्तीसगढ़ जय-जय छत्तीसगढ़ माटी म ओ तोर मंईया मया हे अब्बड़ जय छत्तीसगढ़ जय-जय…"
yesterday
LEKHRAJ MEENA is now a member of Open Books Online
Wednesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service