For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

उसे होश में आया देख डॉक्टर का नुमाइंदा पास आया और फरमान सुनाने लगा । अपने घर बात करके  15 हज़ार रुपये काउंटर में जमा करवा दो बाकि के पैसे डिस्चार्ज के समय जमा करा देना । मगर साहब मै बीमार नहीं, बस दो दिन से भूखा हूँ। उसकी आवाज़ घुट के रह गई, नुमाइंदा जा चुका था ।

(मौलिक एवं अप्रकाशित)

Views: 740

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by नादिर ख़ान on December 15, 2017 at 10:44am

आदरणीय विजय निकोर जी हौसला अफ़ज़ाई का बहुत शुक्रिया .. आपकी सराहनीय टिप्पणी किसी टॉनिक से कम नहीं ...

Comment by नादिर ख़ान on December 15, 2017 at 10:36am

आदरणीया राजेश कुमारी जी बहुमूल्य एवं उत्साहवर्धक टिप्पणी के लिए धन्यवाद ..

Comment by vijay nikore on December 14, 2017 at 3:53pm

सुन्दर लघु कथा के लिए हार्दिक बधाई, आदरणीय नादिर ख़ान साहिब।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on December 12, 2017 at 8:45pm

कम शब्दों में आज के मेडिकल सिस्टम की पोल खोल कर रख दी बेहतरीन लघु कथा आद० नादिर खान जी बहुत बहुत बधाई 

Comment by नादिर ख़ान on December 11, 2017 at 5:09pm

हौसला अफ़ज़ाई का बहुत शुक्रिया जनाब समर कबीर साहब ... कोशिश सार्थक हुयी

Comment by नादिर ख़ान on December 11, 2017 at 5:02pm

आदरणीय सोमेश जी आपने रचना को जो मान दिया उसके लिए बहुत बहुत शुक्रिया आपका ...

Comment by Samar kabeer on December 11, 2017 at 2:21pm

जनाब नादिर ख़ान साहिब आदाब,कम शब्दों में बहतरीन लघुकथा लिख दी आपने,वाह बहुत ख़ूब, इस प्रस्तुति पर दिल से ढेरों बधाई स्वीकार करें ।

Comment by somesh kumar on December 10, 2017 at 3:58pm

एक साथ आप ने सबकी भूख साध ली यही इस लघुकथा की गहनता है |रचना के लिए बधाई |

Comment by नादिर ख़ान on December 10, 2017 at 3:06pm

जनाब शेख शहजाद साहब आपने रचना को जो मान दिया उसके लिए शुक्रिया ... भूख पर कविता लिखते लिखते  ये लघुकथा बन गई.... मार्गदर्शन का बहुत बहुत शुक्रिया  ।

Comment by नादिर ख़ान on December 10, 2017 at 3:02pm

हौसला अफजाई का बहुत शुक्रिया जनाब मोहम्मद आरिफ़ साहब .....

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 186 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का मिसरा आज के दौर के…See More
4 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"  क्या खोया क्या पाया हमने बीता  वर्ष  सहेजा  हमने ! बस इक चहरा खोया हमने चहरा…"
4 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"सप्रेम वंदेमातरम, आदरणीय  !"
5 hours ago
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
yesterday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
Friday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Wednesday
anwar suhail updated their profile
Dec 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Dec 5
ajay sharma shared a profile on Facebook
Dec 4
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Dec 1
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service