For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

भुजंगप्रयात छंद (प्रथम प्रयास)

122 122 122 122

जहाँ ये दिलों की दगा का अखाड़ा,
किसी ने मिलाया किसी ने पछाड़ा;
यहाँ प्यार है बेसहारा बगीचा,
किसी ने बसाया किसी ने उजाड़ा;

.
मौलिक और अप्रकाशित

Views: 833

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Ramkunwar Choudhary on October 26, 2017 at 7:53pm
आप सभी को राय देने के लिए धन्यवाद। मैं अगली बार तुकान्तता का निर्वहन करुगां

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on October 25, 2017 at 5:05pm

बहुत खूब आदरणीय रामकुँवर जी. 

आपका छांदसिक प्रयास शिल्प की कसौटी पर दुरुस्त है. आप सतत प्रयास करें 

जैसा कि आदरणीय भाई रामबली जी ने दुरुस्त कहा है कि यह भुजंगप्रयात पर आधारित रचना नहीं है. वस्तुतः, यह रचना भुजंगप्रयात पर आधारित मुक्तक अवश्य है. 

हार्दिक शुभकामनाएँ 

Comment by रामबली गुप्ता on October 25, 2017 at 12:53pm
कथ्य और भावों के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें। सादर

यह भुजंगप्रयात छंद नही है बल्कि उक्त छंदाधारित मुक्तक कह सकते हैं। भुजंगप्रयात छंद में दो दो पदों में तुकान्तता का निर्वहन किया जाता है जो नही किया गया है। बगीचा और उजाड़ा परस्पर तुकान्त नही हैं। अतः छंद के नियमों पर अध्ययन और सचेतता की आवश्यकता है। सादर
Comment by मनोज अहसास on October 24, 2017 at 7:46pm
नमस्कार सर
मुझे लगता है जहाँ की जगह जहां होना चाहिए था
बाकी गुरुजनो पर निर्भर
सादर
Comment by Ramkunwar Choudhary on October 24, 2017 at 8:21am
आदरणीय समर कबीर साहब मुझे प्रेरित करने के लिए धन्यवाद । मैं और उम्दा लिखने का प्रयास करूंगा
Comment by Samar kabeer on October 23, 2017 at 8:33pm
जनाब राम कुमार जी आदाब,बहुत उम्दा छन्द लिखा आपने,भाव,शिल्प,प्रवाह बहुत अच्छा है,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें,ऐसे ही प्रयास करते रहें ।
Comment by Ramkunwar Choudhary on October 23, 2017 at 6:20pm
आदरणीय जानकारी देने के लिए धन्यवाद । मैंने छंद के उपर मात्राएँ लगा दी है।
Comment by Mohammed Arif on October 23, 2017 at 5:53pm
आदरणीय राम कुमार चौधरी जी आदाब, मेरा विधान से आशय मात्राओं से । आखिर यह छंद किन मात्राओं पर बाँधा गया है ?
Comment by Ramkunwar Choudhary on October 23, 2017 at 3:45pm
आदरणीय आरिफ जी मैं विधान का अर्थ ही नहीं समझ पाया। मुझे इससे अवगत कराएं
Comment by Mohammed Arif on October 23, 2017 at 3:40pm
आदरणीय राम कुमार चौधरी जी आदाब , आपका भुजंगप्रयात छंद का प्रयास बेहतर है । इस प्रयास हेतु हार्दिक बधाई स्वीकार करें ।
नोट:- ओबीओ मंच का नियम है कि कोई भी छंद बद्ध रचना के ऊपर उसका छांदसिक विधान लिखा जाता है । आपने नहीं लिखा है । कृपया छंद का विधान लिखें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा षष्ठक. . . . आतंक
"ओह!  सहमत एवं संशोधित  सर हार्दिक आभार "
30 minutes ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-121
"जी, सहमत हूं रचना के संबंध में।"
55 minutes ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-121
"शुक्रिया। लेखनी जब चल जाती है तो 'भय' भूल जाती है, भावों को शाब्दिक करती जाती है‌।…"
59 minutes ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - गुनाह कर के भी उतरा नहीं ख़ुमार मेरा
"आदरणीय निलेश शेवगाँवकर जी आदाब, नए अंदाज़ की ख़ूबसूरत ग़ज़ल हुई है मुबारकबाद पेश करता हूँ।"
8 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आपके संकल्प और आपकी सहमति का स्वागत है, आदरणीय रवि भाईजी.  ओबीओ अपने पुराने वरिष्ठ सदस्यों की…"
8 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आपका साहित्यिक नजरिया, आदरणीय नीलेश जी, अत्यंत उदार है. आपके संकल्प का मैं अनुमोदन करता हूँ. मैं…"
8 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"जी, आदरणीय अशोक भाईजी अशोभनीय नहीं, ऐसे संवादों के लिए घिनौना शब्द सही होगा. "
9 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . उल्फत
"आदरणीय सुशील सरना जी, इन दोहों के लिए हार्दिक बधाई.  आपने इश्क के दरिया में जोरदार छलांग लगायी…"
9 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"माननीय मंच एवं आदरणीय टीम प्रबंधन आदाब।  विगत तरही मुशायरा के दूसरे दिन निजी कारणों से यद्यपि…"
9 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा षष्ठक. . . . आतंक
"आप पहले दोहे के विषम चरण को दुरुस्त कर लें, आदरणीय सुशील सरना जी.   "
9 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-121
"आप वस्तुतः एक बहुत ही साहसी कथाकार हैं, आ० उस्मानी जी. "
9 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-121
"आदरणीया विभा रानी जी, प्रस्तुति में पंक्चुएशन को और साधा जाना चाहिए था. इस कारण संप्रेषणीयता तनिक…"
9 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service