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" क्या कहा ,हमेशा के लिए आ गई है । "
"हाँ !हाँ ! हाँ !! कितनी बार कहूँ मैं हमेशा के लिए आ गई हूँ ।" श्वेता ने झुँझलाकर कहा ।
"आखिर क्यों बेटी ?कुछ तो वजह होगी ?"
"वही भेड़िया ।अब वो मौका पाकर मेरा शिकार करना चाहता है । "
अब माँ को अच्छे से समझ में आ गया । भेड़िया और कोई नहीं श्वेता का देवर है क्योंकि वह पहले भी कई बार माँ को बतला चुकी है ।

मौलिक एवं अप्रकाशित ।

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Comment by Mohammed Arif on October 15, 2017 at 5:50pm
आदरणीया अल्पना भट्ट जी आदाब, भेड़िया से आशय श्वेता के देवर से है जिसका चाल-चलन ठीक नहीं है और वह उस पर बुरी नज़र रखता है । वह पहले भी उसके बारे में बता चुकी है । शायद अब स्पष्ट हो गया है । लघुकथा पर टिप्पणी के लिए हार्दिक आभार । सादर ।
Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on October 11, 2017 at 5:35pm

आदरणीय मोहम्मद आरिफ साहब कथा कुछ समझ नहीं आई , कहीं कुछ अनकहा रह गया ऐसा लग रहा है ,कुछ अधूरापन सा प्रतीत हो रहा है देखिएगा | सादर | 

Comment by Mohammed Arif on October 9, 2017 at 10:01pm
आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी लघुकथा पर प्रतिक्रिया देकर उसका मान बढ़ाने का बहुत-बहुत आभार । आख़िरी वाक्य में सुधार कर लिया है ।
Comment by Mohammed Arif on October 9, 2017 at 9:58pm
आली जनाब मोहतरम समर कबीर साहब आदाब, आपकी निरपेक्ष प्रतिक्रिया से मेरा लेखन सार्थक हो गया । बहुत-बहुत शुक्रिया ।
Comment by Sheikh Shahzad Usmani on October 8, 2017 at 6:43pm
गंभीर मुद्दे पर सार्थक बढ़िया प्रस्तुति के लिए तहे दिल से बहुत-बहुत मुबारकबाद मुहतरम जनाब मोहम्मद आरिफ़ साहब। आख़री वाक्य की ज़रूरत/रचना पर पुनः ग़ौर फ़रमाइयेगा।
Comment by Mohammed Arif on October 8, 2017 at 6:42pm
बहुत-बहुत आभार आली जनाब मोहतरम समर कबीर साहब । मेरा लेखन सार्थक हो गया आपकी टिप्पणी पाकर ।
Comment by Samar kabeer on October 8, 2017 at 5:58pm
जनाब मोहम्मद आरिफ़ साहिब आदाब,उम्दा लघुकथा लिखी आपने,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।

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"आदरणीया प्रतिभा जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार.. बहुत बहुत धन्यवाद.. सादर "
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"हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय। "
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"आदरणीय दयाराम जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। हार्दिक आभार। सादर।"
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"आदरणीया प्रतिभा जी, प्रदत्त चित्र को शाब्दिक करती मार्मिक प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
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